छत्तीसगढ

माइग्रेन जागरूकता सप्ताह: सिरदर्द को हल्के में ना लें, हो सकता है माइग्रेन का खतरा

रायपुर, 13 सितंबर। माइग्रेन की समस्या आजकल अधिकांश लोगों में देखने को मिल रही है। अक्सर ही इसे सामान्य सिरदर्द मानकर लोग इसपर उतना ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन यह साधारण सिरदर्द नहीं है, बल्कि यह विशेष तरह का सिरदर्द है, जिसमें सिर के आधे हिस्से में दर्द होता है, और कई बार छनछनाहट भी महसूस हो सकती है। माइग्रेन जागरूकता सप्ताह के दौरान चिकित्सकों ने सिर में दर्द होने पर डॉक्टरी सलाह लेने की अपील की है।

माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है। माइग्रेन जागरूकता सप्ताह हर साल 6 से 12 सितंबर तक मनाया जाता है, ताकि लोगों को माइग्रेन के प्रति जागरूक किया जा सके। अम्बेडकर अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. विजय कुर्रे ने बताया माइग्रेन की समस्या लोगों में काफी देखने को मिल रही है। 10 लोगों में से 4 से 5 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हैं। लोगों में माइग्रेन के उपचार के संभावित तरीकों के प्रति जागरूकता की कमी है, जिसके कारण वे इस सिर की बीमारी का सही इलाज नहीं करा पाते हैं। इसलिए जरूरी है लोगों को माइग्रेन की सही जानकारी दी जाए, ताकि वे सिर की बीमारी के प्रति सतर्क रहें।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में समस्या होने की संभावना अधिक – डॉ. विजय कुर्रे ने बताया माइग्रेन आमतौर पर एक मध्यम या गंभीर सिरदर्द होता है, जिसमें सिर के आधे हिस्से में भारीपन महसूस होता है। सिर में असहनीय दर्द कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रह सकता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में माइग्रेन की समस्या के होने की संभावना अधिक रहती है। कुल माइग्रेन के मरीजों में 85 प्रतिशत महिलाएं और 15 प्रतिशत पुरूष होते हैं। विशेषकर यह बीमारी किशोरावस्था की शुरूआत यानि 13 वर्ष से 45 वर्ष तक के महिला-पुरूषों में ज्यादा देखने को मिलती है। इसका मुख्य कारण तनाव होता है।

माइग्रेन कई तरह के – न्यूरो सर्जन के मुताबिक माइग्रेन कई तरह के होते हैं। इनमें क्लासिक माइग्रेन दृष्टि संबंधी समस्या जैसे- काला धब्बा आना, रोशनी में चकाचौंध नजर आना, सामान्य माइग्रेन यानि तेज सिरदर्द के साथ उल्टी होना, मूड बदलना, मासिक धर्म माइग्रेन यानि मासिक धर्म के शुरू होने की तिथि पर होता है। क्रोनिक माइग्रेन जो कि तनाव की वजह से उत्पन्न होता है। ऑप्टिकल माइग्रेन या आई माइग्रेन , जिसका असर केवल एक आंख पर ही पड़ता है।

लक्षण- किसी व्यक्ति को यह लक्षण नज़र आते हैं, तो उसे इन्हें नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए और इनकी सूचना तुरंत अपने डॉक्टर को देनी चाहिए जैसे- कब्ज का होना, भूख लगना, गर्दन में अकड़न का होना, थकावट होना, अत्याधिक प्यास लगना एवं बार-बार पेशाब का आना, ज्यादा जम्हाई आना, उल्टी, चक्कर आना आदि।

मूड स्विंग होने पर ले मनोवैज्ञानिक सलाह- मूड स्विंग का होना भी माइग्रेन में देखने को मिलता है। मनोचिकित्सक डॉ. सुचिता गोयल के मुताबिक अगर सिर में दर्द के साथ व्यक्ति परेशान है और उसका मूड बार-बार बदलता है या व्यक्ति इससे परेशान है तो उसे तुंरत मनोवैज्ञानिक से मिलकर इसका इलाज कराना चाहिए।

ऐसे करें बचाव- ज्यादातर लोगों को एलर्जी, तेज खुशबू, बदबू, हेयर डाई, शैंपू के इस्तेमाल, चाय, कॉफी, खट्टे फल, तेज रोशनी, तेज ध्वनि आदि से भी सिर में तेज दर्द माइग्रेन हो सकता है। इसलिए चिकित्सक इन सारी ट्रिगर फैक्टर को पहचानकर इससे दूर रहने, योगा या मेडिटेशन करने, तनाव कम से कम लेने, भरपूर नींद लेने, पौष्टिक आहार लेने की सलाह देते हैं।

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