
मुंबई, 15 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पिछले कुछ वर्षों में बढ़ने के कई कारण रहे हैं। गरीब भारतीयों को रसोई गैस, शौचालय और बिजली जैसी चीजें देने पर ध्यान केंद्रित करने के कारण उनकी लोकप्रियता और बढ़ी है। अब वह चाहते हैं कि 2024 में आम चुनाव तक गांवों के हर घर में साफ पानी उपलब्ध हो।
4 साल में योजना पूरी करने की कोशिश
3.60 लाख करोड़ रुपए की लागत वाले कार्यक्रम से अगले चार वर्षों में भारत के सभी 19.2 करोड़ घरों में पाइप से पानी पहुंचाया जाएगा। हालांकि यह आसान नहीं होगा। क्योंकि वर्तमान में केवल 7 करोड़ भारतीय परिवारों के घरों में पाइप से पानी आता है, जो कुल घरों का सिर्फ 36% है। भारत के जल मंत्रालय के तहत पाइप और पीने योग्य पानी के लिए बनाये गए एक विशेष डिवीजन “जल जीवन मिशन” के प्रमुख भरत लाल कहते हैं कि यह मिशन दिखाता है कि अगर हम भारत में अपनी पानी की उपलब्धता को ठीक नहीं करते हैं तो यह तेजी से सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए हमारी खोज में एक बाधक बन सकता है।
पानी सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है
पानी सबसे महत्वपूर्ण मौलिक अधिकार है। मोदी की सरकार 3 कानून को लेकर महीनों से किसानों के विरोध का सामना कर रही है। आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है कि अब उनकी खेती बारी पर कॉर्पोरेट दिग्गजों का बोलबाला हो जाएगा। इसके बरक्स, मोदी सरकार पर हिंदू और मुसलमानों के बीच में आपसी कटुता बढ़ाने का भी आरोप अक्सर विपक्षी पार्टियां लगाती रही हैं।
ऐसे में अगर घर-घर में साफ पानी पहुंचाने का मोदी सरकार का प्लान सफल हो जाता है तो विरोधियों को जवाब दिया जा सकेगा कि सरकार धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर रही है।
राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है पानी
पानी आने वाले दिनों में एक अधिक जरूरी राजनीतिक मुद्दा बनने जा रहा है। 2018 की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अपने इतिहास के सबसे खराब जल संकट से गुजर रहा है और लाखों लोगों की जान और आजीविका खतरे में है। लाल ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यक्रम का उद्देश्य नई पाइपलाइनों का निर्माण करना है। मौजूदा नेटवर्कों को सही करना है। इससे प्रति दिन प्रत्येक व्यक्ति को कम से 55 लीटर पीने योग्य पानी मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि बड़े नदी के क्षेत्रों में भू-जल का उपयोग करने और कोस्टल एरिया में प्लांट (desalination plants) स्थापित करने की योजना बना रहा है।
भारत जमीन के पानी का सबसे बड़ा यूजर है
वाटर ऐड की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में भारत भू-जल का दुनिया का सबसे बड़ा यूजर है। यह चीन और अमेरिका दोनों को मिलाकर भी ज्यादा है। सरकार ने नवंबर 2019 में संसद को बताया था कि देश में भू-जल स्तर में 2007 और 2017 के बीच 61% की गिरावट आई।
भारत का जल संकट मोदी के लिए समस्या बनता जा रहा है
वरमोंट स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल कम्युनिटीज के मोंटपेलियर में एसोसिएट डायरेक्टर रोमित सेन ने कहा कि अगर भारत एक साथ जल स्रोतों को मजबूत करने का प्रबंध करता है तो यह योजना काम करेगी। हम बैकएंड को ठीक करने के लिए यह सुनिश्चित करेंगे कि इससे पानी का अधिक शोषण न हो।भारतीय गांवों में पीने के पानी की आपूर्ति के पिछले प्रयास काफी हद तक विफल रहे हैं। 2018 में भारत के संघीय लेखा परीक्षक ने अपने ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम में कमियों के लिए खराब प्रदर्शन और कॉन्ट्रैक्ट मैनेजमेंट को दोषी ठहराया।
मोदी की इस योजना में गांवों, राज्यों और निजी कंपनियों के साथ काम करने का आह्वान किया गया है। इसकी शुरुआत में ही कुछ अच्छे नतीजे दिखने लगे हैं। नल के पानी (tap water) के साथ ग्रामीण घरों की संख्या 2019 के बाद से दोगुनी होकर 7 करोड़ हो गई है।
पानी का चुनावी कनेक्शन
लाल ने कहा कि हर दिन 1 लाख से अधिक पानी के कनेक्शन जोड़ने का मतलब पाइप, सीमेंट और प्लास्टिक बनाने वाली कंपनियों में अधिक नौकरियां और रेवेन्यू पैदा करना भी है। सरकार की योजना 2021 में 27 अरब डॉलर के काम को ठेके पर देने की है। सत्ता में आने के बाद से मोदी ने मतदाताओं खासकर महिलाओं को लाभार्थी बनाने के लिए कल्याणकारी योजनाओं को लांच किया है। 2016 में सरकार ने गरीब परिवारों के लिए खाना पकाने के ईंधन पर सब्सिडी दी थी।
न्यूनतम मजदूरी के साथ सामाजिक सुरक्षा
दो साल बाद राष्ट्रीय चुनावों से पहले इसने घरेलू कामगारों के लिए न्यूनतम मजदूरी के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा की शुरुआत की, जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं। इससे मातृत्व और चाइल्डकेयर लाभ भी बढ़े। नई दिल्ली के सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के आदित्य भोल ने कहा कि एक सामाजिक राजनीतिक मोर्चे पर इस तरह के कार्यक्रम वास्तव में मायने रखते हैं। भारत के ज्यादातर हिस्सों में यह महिलाएं ही हैं जो अपने घरों के लिए पानी भरकर लाती हैं।
इन सब के बावजूद हर घर में पानी मुहैया कराना बड़ा ही मुश्किल कार्य है। अगर इसके पुराने ट्रैक रिकॉर्ड को देखा जाए तो इसे कामयाब बनाने के लिए सरकार को तन मन और धन लगाकर काम करना पड़ेगा।