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मुख्य सचिव को दिल्ली तलब किए जाने का मामला, शोले के डायलॉग से ममता का केंद्र पर हमला

नई दिल्ली, 1 जून। पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव आईएएस अलापन बंदोपाध्याय को केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली बुलाए जाने के बाद खड़े हुए विवाद के बीच सोमवार को वे रिटायर हो गए। उन्हें पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया है। इस सब के चलते बंगाल सरकार और केंद्र के बीच एक बार फिर जंग छिड़ गई है। दरअसल, बंदोपाध्याय को तीन महीने का कार्यकाल विस्तार मिला था और केंद्र सरकार ने उन्हें प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली रिपोर्ट करने का आदेश दिया था। लेकिन इसे खारिज करते हुए उन्होंने रिटायरमेंट का फैसला लिया। बंदोपाध्याय को दिल्ली में नहीं रिपोर्ट करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

‘जो डरते हैं वो मरते हैं, करबो लरबो जीतबो’

इस हो हल्ले के बीच ममता ने देश के सभी विपक्षी मुख्यमंत्रियों से केंद्र के खिलाफ बिना किसी डर के अपनी आवाज उठाने की अपील की। सीएम ममता बनर्जी ने कहा, ‘वो किसी से नहीं डरतीं। हम मरने के लिए तैयार हैं। उन्होंने शोले फिल्म का डायलॉग देते हुए कहा- जो डरते हैं वो मरते हैं, करेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे। मैं हैरान हूं। मैंने फैसला किया है कि कोरोना के समय में हमें उनकी सेवाओं की जरूरत होगी।’ ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि अलापन का मामला दिखाता है कि किस तरह प्रशासनिक अधिकारियों को प्रताड़ित किया जाता है।

ममता सरकार ने अलापन को दिल्ली जाने से रोका

बंदोपाध्याय को सोमवार सुबह 10 बजे नार्थ  ब्लॉक में रिपोर्ट करना था, लेकिन वो नहीं आए। केंद्र सरकार अब उन पर अनुशासनात्मक कारवाई करने की तैयारी में है। बता दें कि यदि कोई अधिकारी राज्य में तैनात है तो उसको सेन्ट्रल डेपुटेशन को कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी होती है। ऐसे में राज्य चाहे तो सेंट्रल डेपुटेशन के आदेश को मानने से इनकार कर सकती है। यही नहीं अगर केंद्र राज्य में तैनात किसी भी अधिकारी को दिल्ली तलब करता है तो ऐसे मामले में भी राज्य सरकार की सहमति जरूरी है। अलापन बंदोपाध्याय को ममता सरकार ने दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दी। इधर, बंदोपाध्याय को दिल्ली में नहीं रिपोर्ट करने को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

ममता ने पीएम मोदी को भेजा था 5 पन्नों का खत

दरअसल, सोमवार सुबह 10 बजे दिल्ली स्थिति केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के ऑफिस में रिपोर्ट करना था, लेकिन उन्होंने न जाने का फैसला लिया और सीएम के साथ मीटिंग्स करते रहे। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से अनुशासनात्मक फैसला लिए जाने की चर्चा थी, जिसके पहले ही उन्होंने रिटायरमेंट का फैसला ले लिया। इससे पहले, ममता बनर्जी ने केंद्र के आदेश को असंवैधानिक करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह आदेश वापस लेने का अनुरोध किया था। बनर्जी ने कहा था कि उनकी सरकार बंदोपाध्याय को कार्यमुक्त नहीं कर रही है। बनर्जी ने प्रधानमंत्री को भेजे पांच पन्नों के पत्र में, मुख्य सचिव को तीन माह का सेवा विस्तार दिए जाने के बाद, उन्हें वापस बुलाने के केंद्र सरकार के फैसले पर पुन:विचार करने का अनुरोध किया है। बनर्जी ने कहा कि वह केंद्र के फैसले से स्तब्ध हैं। उन्होंने आदेश को एकपक्षीय करार दिया जो राज्य सरकार से बिना कोई परामर्श किए जारी किया गया।

पीएम की बैठक में देरी से पहुंचे थे ममता-अलापन

ये सारा विवाद बीते सप्ताह शुरू हुआ था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यास चक्रवात से हुए बंगाल में नुकसान का जायजा लेने पहुंचे थे। इस दौरे के दौरान हुई एक समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बंगाल के मुख्य सचिव अलापन के देरी से पहुंचने के बाद विवाद शुरू हो गया था। केंद्रीय मंत्रियों से लेकर बीजेपी नेताओं तक ने ममता बनर्जी पर हमला बोला था। बाद में केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव अलापन का ट्रांसफर दिल्ली कर दिया था।

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