छत्तीसगढ

मेकाहारा की उपलब्धियों में जुड़ा एक और कारवां… धड़कते दिल से निकाला खतरनाक ट्यूमर

हार्ट चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग ने किया सफल ऑपरेशन

रायपुर, 24 जनवरी। प्रदेश के इकलौते बड़े सरकारी अस्पताल में हार्ट चेस्ट एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग एक के बाद एक उपलब्धियों का कारवां जोड़ रहा है। अब मेकाहारा के इस विभाग ने धड़कते दिल से एक खतरनाक ट्यूमर का सफल ऑपरेशन किया है। डॉक्टर का कहना है कि देश और दुनिया में 10 करोड़ लोगों में से केवल 1 में पाई जाती है।

अब तक लोगों ने बिंटिंग हार्ट कोरोनरी बायपास सर्जरी के बारे में सुना या देखा है, लेकिन बिनिंग हार्ट ओपन हार्ट सर्जरी के बारे में न सुना न देखा है। लेकिन यह कमाल डॉ. भीमराव अम्बेड़कर स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने कर दिखाया। हर बार की तरह यह सफल ऑपरेशन भी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में किया गया। सोमवार को विभागाध्यक्ष डॉ. साहू ने प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को इस बात की जानकारी दी।

Another caravan added to Mekahara's achievements… a dangerous tumor removed from the beating heart

ट्यूमर फेफड़ों में नहीं दिल में था

30 वर्षीय युवक को 4 महीनों से सांस फुलने की शिकायत थी एव 2 महीनों से खांसने पर थुक के साथ-साथ खून भी आ रहा था। यह युवक विभिन्न अस्पतालों में जा कर अपना ईलाज करवा चुका था परन्तु आराम नही मिल रहा था। किसी के सलाह से मरीज अंबेडकर अस्पताल के सर्जन डॉ कृष्णकांत साहू से परामर्श लिया। जांच के बाद यह ता चला कि इसकी बिमारी फेफड़े में न होकर दिल में है। जांच में यह भी निश्चित हुआ कि मरीज को हृदय के अंदर 4×4 से.मी का बड़ा सा ट्यूमर है। यह ट्यूमर मरीज के हृदय के दाये में स्थित हैं और वह हृदय के पंपिंग एवं याच मेकेनिज्म को प्रभावित कर रहा था।

लकवाग्रस्त होने की थी संभावना

सामन्यत ऐसे गाठ जो कि हृदय के अंदर स्थित होता है, उस मरीज को लकवे की बहुत अधिक संभावना होती है। गरीज को इस ट्यूमर के बारे में बताया गया तो यह बिल्कुल भी विश्वास नहीं कर पा रहा था कि हृदय के अंदर भी कोई ट्यूमर (कैंसर) भी होता है। मरीज को हाई रिस्क ऑपरेशन के लिए डॉक्टर ने पहले मानसिक रूप से तैयार किया। उन्हें समझाया कि अगर ऑपरेशन नहीं होगा तो मृत्यु तक की संभावना बनी रहेगी। इसके बाद डॉ. साहू के नेतृत्व में मरीज का सफल ऑपरेशन कर एक नयी जिंदगी दी। डॉक्टर ने बताया कि युवक का ऑपरेशन बहुत की विशेष तकनीक द्वारा किया गया। इस तकनीक को बिटिंग हार्ट ओपन हार्ट सर्जरी कहा जाता है।

धड़कन को बिना रोके ही निकाला ट्यूमर

सामान्यत: कोई भी ओपन हार्ट सर्जरी जिसमें कि मरीज के हृदय के चैंबर (प्रकोष्ठ) को खोला जाता है तो सबसे पहले उसे हार्ट लंग मशीन का सर्पोट दिया जाता है। एक विशेष द्रव जिसके कार्डियो प्लेजिया कहा जाता है, की सहायता से हृदय की धड़कन को बंद किया जाता है, उसके बाद ही हृदय के चैंबर को काट कर खोला जाता है, परन्तु इस मरीज के दाये अलिंद के ट्यूमर को निकालने के लिए हार्ट, लंग मशीन का सहायता लिया गया। टयूमर की स्थिति हृदय के दाये प्रकोष्ठ में होने के कारण मरीज के धड़कन को बिना रोके ही हार्ड के अंदर से यह ट्यूमर (कैंसर) निकाल लिया गया। इस विशेष तकनीक को चिकित्सकी भाषा में ट्यूमर रिमूवल आनपंप, बिंटिंग हार्ट, ओपन हार्ट सर्जरी कहा जाता है।

वयस्कों में वाल्व होना दुर्लभ

दूसरी अहम बात, इस ऑपरेशन की यह रही कि यह ट्यूमर दाये अलिंद के अदर स्थित युस्टेचियन वाल्व जो कि बाये अलिंद और इंफेरिवर वेनकेवा (IVK) के जोड़ पर स्थित होता है। जब शिशु गर्भ के अंदर होता है तब यह वाल्व जिसको इंफेरिवर वेनाकेवा का वाल्व कहा जाता है। शिशु के आक्सीजेनेटेड रक्त को इंफेरिवर वेनकेवा से सीधे फोरामेन ओवेल से होते हुए हृदय के बाये प्रकोष्ठ में ले जाता है। (चूकि गर्भ में शिशु के अंदर फेफड़ा काम नहीं करता) एवं यह वाल्व बच्चे के पैदा होने को कुछ बाद विलुप्त हो जाता है। परंतु बहुत ही विरले केस में यह वाल्व व्यस्क व्यक्ति में भी रहता है एवं उसके ऊपर ट्यूमर होना तो बहुत ही ज्यादा दुर्लभ बात है। अब मरीज 6 दिनों बाद स्वस्थ्य हो कर अपने पर जाने को तैयार है।

इस आपरेशन में शामिल

हार्ट सर्जन डॉ. कृष्णकात साहू विभागाध्यक्ष), डॉ. निशांत चंदेल (एमसीएच), कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. तान्या छौड़ा (DM), परफ्युजस्टि चंदन डिगेश्वर, नर्सिंग स्टॉफ राजेन्द्र कुमार साहू, नरेन्द्र मरकाम, यौवाराम, मुनेश एवं टेक्नीशियन भूपेन्द्र, हरीश शामिल रहे।

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