छत्तीसगढ

रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती पर विद्वानों ने रखें अपने ओजपूर्ण विचार

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र
तटस्थ हैं जो समय लिखेगा उनका भी अपराध

रायपुर, 1 अक्टूबर। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 112वीं जयंती के मौके पर राजधानी में कई आयोजन किये गए। कोरोना काल में ऑनलाइन  आयोजित किया गया। जिसमें वैश्विक लेखिका, अध्यक्षा, आचार्य कुल पुष्पिता अवस्थी और आलोचक वेदांत मर्मज्ञ डॉ संदीप अवस्थी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आचार्य कुल भारत लेखक संघ उपमान ग्लोबल कैलिफोर्निया एवं हिंदी वर्ल्ड फाउंडेशन नीदरलैंड्स के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय तरंग संगोष्ठी (वेबीनार) का आयोजन 23 और 24 सितंबर को आयोजित किया गया था। जिसमें देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी कई लोग जुड़े और कवि रामधारी सिंह दिनकर जी के क्रांतिकारी विचारधारा को आत्मसात किये।
कार्यक्रम में देश विदेश के जाने- माने
हिंदी साहित्य जगत के कथाकार, पटकथा लेखक, साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवी, संगीत प्रेमी, साहित्य प्रेमि आदि विद्वानों ने जुड़कर इस कार्यक्रम को अपने ओजपूर्ण वक्तव्य से सार्थक बनाया।
पहले सत्र की अध्यक्षता प्रो सोमा बंधोपाध्याय लेखिका और विचारक, पश्चिम बंगाल शिक्षक प्रशिक्षण ने किया, जिसमें विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो भगवान सिंह, भागलपुर जी जुड़के अपने जीवन के अनुभव को साझा किया। साथ ही साथ दिनकर जी पर अपने ओजपूर्ण वक्तव्य दिये। इसमे प्रो बीवा कुमारी, डॉ ऋतु माथुर, प्रयागराज, अनिता कुमारी ठाकुर ने शोधपत्र प्रस्तुत किए।

सिंहासन खाली करो कि जनता आती है

दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित ने किया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ सन्दीप अवस्थी ने दिनकर जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक वो समय था जब कवि शाशन में बैठे राजनीतिक लोगों को दिशा भटकने पर ललकार कर हुंकार भरते थे और उसके बाद तो सरकार के विरुद्ध जैसे आवाज ही नहीं उठती। इस प्रकार उन्होंने कवि के कर्तव्यों से परिचित कराया। वहीं प्रो कैलाश कौशल जो ज न व विश्वविद्यालय की पूर्व विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने सस्वर दिनकर जी के कविताओं की पंक्तियों को हम किस तरह जीवन में उतारे इस पर अपनी बात रखी।

दूसरे दिन के तीसरे सत्र में उर्वशी काम आध्यात्मिक प्रेम के विविध आयाम वर्तमान संदर्भ में पर प्रो गिरिश पंकज वरिष्ठ साहित्यकार पत्रकार और मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर नीलू गुप्ता, हिंदी शिक्षण प्रशिक्षण को समर्पित कैलिफोर्निया अमेरिका से उन्होंने अपने कविता के जरिए दिनकर को स्मरण किया। विशिष्ट वक्ता के तौर पर डॉ राजेश श्रीवास्तव अध्यक्ष, रामायण मंडल भोपाल, जीने उर्वशी पर डिलीट की डिग्री प्राप्त किए हैं। उन्होंने उर्वशी पर अपनी विशेष बात रखी, जिसमें उन्होंने बताया कि उर्वशी आज के संदर्भ में ही नहीं बल्कि यह युगो युगो से चला आ रहा। जिसका रामायण में ही नहीं बल्कि वेद में भी उल्लेख है। प्रोफेसर सुधीर शर्मा शिक्षाविद, पत्रकार छत्तीसगढ़ से उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि जो दिनकर जी लिख गए हैं इस तरह का काव्य आज तक देखने को नहीं मिला और ना आज तक कोई इस तरह के काव्य रचना रच रहे हैं। इस दूरी को हमें दूर करना होगा। वही चौथे सत्र में डॉ अमृता,
केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ जी के कुशल संचालन में ‘रश्मिरथी’ से आलोक को आलोकित होता भारतीय काव्य जगत, पर प्रोफेसर अर्जुन चौहान ने अपने ओजपूर्ण हुंकार भर कर दिनकर के कविताओं का सस्वर पाठ कर उसकी बारीकियों पर पाठकों और छात्रों को अवगत कराएं।
कार्यक्रम के अंत में डॉक्टर संदीप अवस्थी जी ने सभी जुड़े साहित्यकारों को धन्यवाद ज्ञापन दिया। जबकि प्रस्तुति संतोष कुमार वर्मा, कोलकाता का रहा।

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