छत्तीसगढ

रायपुर में मार्च निकालकर राज्यपाल को रोष पत्र देना चाहते थे किसान संगठन, पुलिस ने 100 मीटर भी नहीं जाने दिया

रायपुर, 26 जून। केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीन कानूनों के खिलाफ एक साल से चल रहा किसान आंदोलन एक फिर सुलग उठा है। रायपुर में आज किसानों ने मार्च निकालकर राज्यपाल को रोष पत्र देने की कोशिश की। पुलिस ने उन्हें 100 मीटर भी आगे नहीं बढ़ने दिया। नाराज किसानों ने करीब दो घंटे तक सड़क पर बैठकर प्रदर्शन किया।

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर छत्तीसगढ़ के प्रमुख किसान संगठनों ने आज रायपुर के मोतीबाग पार्क से राजभवन मार्च की घोषणा की थी। तय समय पर किसान नेता मोतीबाग पहुंच गए। इसमें छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, प्रगतिशील किसान संगठन और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के प्रतिनिधि शामिल थे। किसानों ने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राजभवन की ओर चलना शुरू किया। पार्क की बाउंड्री खत्म होते ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया। राजभवन जाने की जिद पर अड़े किसानों को आगे बढ़ने नहीं दिया गया। बाद में पहुंचे तहसीलदार ने उनसे कहा, राज्यपाल अभी छिंदवाड़ा प्रवास पर हैं। वे उन्हें ही ज्ञापन दे दें।जवाब में किसानों ने कहा, वे कई महीनों से अपने क्षेत्र में तहसीलदार को ज्ञापन दे रहे हैं। यह ज्ञापन नहीं है। यह किसानाें की नाराजगी जताने का रोष पत्र है। इसे राजभवन जाकर ही दिया जाएगा। हमने राजभवन में इसकी सूचना भी दी हुई है। प्रशासन नहीं माना और किसानों को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं मिली। किसान करीब दो घंटे तक वहीं सड़क पर बैठकर नारेबाजी करते रहे। प्रदर्शन करने वालों में जनक लाल ठाकुर, सौरा यादव, गौतम बंद्योपाध्याय, आईके वर्मा, सुदेश टीकम, संजय पराते, आलोक शुक्ला, नरोत्तम शर्मा, तेजराम विद्रोही, पारसनाथ साहू, रूपन चंद्राकर, शत्रुघन साहू, मदन लाल साहू, श्याम मूरत कौशिक, राजू शर्मा, विश्वजीत हारोड़े, आत्माराम आदि शामिल थे।

बेरीकेट पर चिपका दिया रोष पत्र

राजभवन जाने की जिद पर अड़े किसानों ने पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को अपना मांगपत्र नहीं दिया। जब जाने की अनुमति नहीं मिली तो पुलिस बेरीकेट पर ही रोष पत्र को चिपका कर अपनी नाराजगी जताई। इस रोष पत्र में किसानों ने तीनों विवादित कानूनों को अविलंब वापस लेने की मांग दोहराई है।

किसानों ने कहा, यह भी आपातकाल है

किसान नेता तेजराम विद्रोही ने कहा, 46 साल पहले 26 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने देश में आपातकाल लगाया था। अब यह दूसरा आपातकाल है। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसानों के दिल्ली आंदोलन को 26 जून को 7 महीने पूरे हो गए हैं। किसान संगठनाें ने “खेती बचाओ – लोकतंत्र बचाओ” आंदोलन के तहत सभी राज्यों में राजभवन के बाहर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम रोष पत्र सौंपने का फैसला किया था। यहां छत्तीसगढ़ में हमें राजभवन तक भी नहीं पहुंचने दिया गया। किसानों के प्रतिनिधि मंडल से बातचीत करने के लिए राज्यपाल भी मौजूद नही थीं।

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