छत्तीसगढ

विधानसभा सत्र: दूसरा दिन तीखे आरोपों से भरा रहा, शराब- क्लिंकर पर सदन में तल्ख नोकझोंक, सुपेबेड़ा मौत पर भी दिया स्पष्टीकरण

रायपुर। छत्तीसगढ़ की विधानसभा में मंगलवार को विपक्ष के सदस्य ने जमकर हंगामा मचाया, लिहाजा एक घंटे का महत्वपूर्ण प्रश्नकाल भी काफी गहमगहमी के बीच हुआ। कई बार पक्ष-विपक्ष टीका-टिप्पणी तो कभी गुस्साए भी नजर आए। इस बीच भारतीय संविधान के अंगीकरण की 70वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक, दोनों पूर्व cm अजीत जोगी, डॉ. रमन सिंह, विधायक बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर व तमाम विधायकगण अपना पक्ष रखा।

टोका टोकी पर आसंदी ने दी सदस्यों को समझाइश

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सदन की कार्यवाही में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने सदस्यों को नसीहत दी। उन्होंने प्रश्नकाल में प्रश्न और उत्तर के बीच की टिप्पणी को विलोपित कर दिया। दरअसल प्रश्नकाल में सदस्यों द्वारा बार-बार टोका टोकी और टिप्पणी को लेकर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने सख्त नसीहत दी है। उन्होंने सदस्यों को कहा कि प्रश्नकाल बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि समय केवल एक घंटे का होता है। इसलिए नए सदस्य हों या पुराने, उनसे अपेक्षा है कि वे अनावश्यक टिप्पणी ना करके मुद्दे पर बात करे। इतना कहकर आसंदी ने कहा कि, मैं प्रश्न और उत्तर के बीच की सभी टिप्पणियों को विलोपित करता हूं, सदस्य ध्यान रखें। विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने यह टिप्पणी तब की जबकि प्रश्नकाल के दौरान जीएसटी के एक सवाल पर आए उत्तर के बाद अचानक टिप्पणीयों की रफ्तार बढ़ गई, जिसे लेकर विपक्ष ने पुरजोर विरोध भी जताया।

शराब बिक्री: धर्मजीत ने की जांच की मांग तो कवासी ने कहा जरूरत नहीं

सदन में आज शराब की बिक्री का मामला गूंजा। जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने मामला उठाते कहा कि सरकार के जवाब में बताया गया है कि 11 हजार 28 सौ करोड़ रुपये की शराब सरकारी दुकान से बेची गई। जबकि कोषालय में 8 हजार 278 करोड़ रुपये जमा हुआ है। ऐसी स्थिति में 2856 करोड़ रुपये कहां गए। जवाब में मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि 2856 करोड़ रुपए शराब खरीदी, शराब के परिवहन, स्टाफ पेमेंट जैसे मदों में खर्च किए गए हैं। मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट विधायक ने कहा कि ये आपकी दुकान नहीं है और न ही आम इसके मालिक है। ये सरकारी रुपए है जिसे पहले कोषालय में जमा होना चाहिए था। विधायक धर्मजीत ने इसमें बड़ा घोटाला  कहते हुए, इसकी जांच कराने की मांंग की, जिस पर मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि इस मामले में किसी तरह की जांच की जरूरत नहीं है। शराब खरीदने में राशि खर्च की गई है।

सूपाबेडा में किडनी मौत पर घिरते दिखे स्वास्थ्य मंत्री

प्रश्नकाल के दौरान ही सूपाबेडा में हुए किडनी मौत पर स्वास्थ्य मंत्री घिरते नजर आए। दरअसल, वरिष्ठ विधायक धनेंद्र साहू ने प्रश्नकाल में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आए जवाब को लेकर गंभीर आपत्ति जताई। जिस पर स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव को बेहद संतुलित शब्दों में स्पष्टीकरण दिया। हालांकि उनके जवाब से विधायक धनेंद्र संतुष्ट नहीं हुए और बार-बार प्रश्न दोहराया। दरअसल धनेंद्र साहू ने सूपाबेडा में किडनी से मृत्यु का आंकड़ा पूछा, जिसका लिखित में और स्वयं मंत्री ने भी जवाब दिया कि किडनी रोग से कोई मृत्यु नहीं हुई। धनेंद्र साहू ने इस जवाब पर गहरी आपत्ति दर्ज की तो स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने तब कहा, मृत्यु का चिकित्सकीय परिक्षण होता है, उसका प्रोफार्मा है। मृत्यु का कारण हृदयाघात पाया गया, वह दर्ज है। इस उत्तर से विधायक धनेंद्र साहू संतुष्ट नहीं हु और उन्होंने कहा, मृत्यु को स्वीकार नहीं करेंगे तो उपचार कैसे होगा। स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने कहा, थोड़ा समझने का आग्रह करुंगा, मेरे पिता को डायबिटीज था, लेकिन उनकी मृत्यु का कारण चिकित्सकीय परिक्षण में हृदयाघात आया, माननीय सदस्य यदि यह पूछते कि किडनी रोग से प्रभावित हैं तो हम पृथक से जानकारी दे देते। साथ ही सदन मे उन्होंने ये भी स्वीकारा कि, सूपेबेडा में किडनी के गंभीर रोगी है, वहां 200 से अधिक लोग प्रभावित हैं और हम उपचार कर रहे हैं।

क्लिंकर बहार भेजने पर तीखी बहस

सदन में आज भाजपा विधायक सौरभ सिंह ने प्रदेश से बाहर भेजे जा रहे क्लिंकर और इससे साला हो रहे करोड़ों के नुकसान का मुद्दा उठाया है। इस पर जवाब देते हुए उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने कहा कि केंद्र की नीति के तहत ही क्लिंकर बाहर भेजा जाता है जो  केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। पिछले 15 सालों से ये क्लिंकर पश्चिम बंगाल और झारखंड भेजा जा रहा है। तीन वित्तीय वर्ष में 17 लाख 22 हजार टन क्लिंकर बाहर भेजा गया है। मंत्री के जवाब के बाद सौरभ सिंह ने फिर पूछा कि माइनिंग लीज के दौरान क्या ये प्रावधान था। कवासी लखमा ने कहा कि केंद्र की नीति के हिसाब से काम हो रहा है। वहीं वाणिज्यिक मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि जीएसटी पॉइंट ऑफ कंजक्शन पर होता है, पॉइंट ऑफ  प्रोडक्शन पर नहीं होता। हम जब विपक्ष में थे तब यही सवाल उठाते थे कि जीएसटी से राज्य को बड़ा नुकसान होगा। मंत्री के जवाब के बाद जेसीसी विधायक धर्मजीत सिंह ने पूछा कि छत्तीसगढ़ की खनिज सम्पदा को यदि बाहर भेजा जा रहा है, जिस पर राज्य को टैक्स नहीं मिल रहा है, तो क्या जीएसटी काउंसिल की बैठक में ये मुद्दा उठाएंगे।  इस सवाल का जवाब देने जब संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे जवाब के लिए खड़े हुए तो बीजेपी सदस्यों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि सवाल उद्योग मंत्री से पूछा गया। आसंदी ने जीएसटी मंत्री को भी जवाब की अनुमति दी। क्या दो मंत्री जवाब देने में असफल हो गए इसलिए संसदीय कार्यमंत्री को जवाब देना पड़ रहा है।  विपक्षी सदस्यों ने इस पर सदन में जमकर नाराजगी जाहिर किया। विपक्ष के हंगामें को देखते हुए स्पीकर ने संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे से कहा कि अपने सदस्यों को नियंत्रित कीजिए, इसी बीच नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, सदस्यों के सवाल के दौरान व्यवधान पहुंचाना उचित नहीं, छत्तीसगढ़ से जुड़ा सवाल है और बृहस्पति सिंह उन सवालों में मोदी जी का नाम लेकर आते हैं।

जब अजय चंद्राकर ने कैबिनेट बैठक को अवैधानिक कहा

विधानसभा में आज अनुपूरक बजट में चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्ष के बीच कैबिनेट की वैधानिकता और अवैधानिकता को लेकर वाव-विवाद हो गया। भाजपा विधायक अजय चंद्रकार ने कहा कि कैबिनेट अवैधानिक है। दरअसल, ऐसा उन्होंने सीएम के ओएसडी के कैबिनेट बैठक में शामिल होने पर कहा। उन्होंने तो सरकार को यह कहते हुए चुनौती दे दी कि विधि सचिव यहां बैठे हैं। पांच मिनट सदन की कार्यवाही रोककर कमरे में विधि सचिव से इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि की जा सकती है। एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि होने के नाते यह कहना मेरा अधिकार है। अजय चंद्राकर के इस तीखे सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी करारा कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि आपकी सरकार के दौरान कभी भी आपने ये रमन सिंह इसे पूछा था कि सीएम सचिवालय में हर एक अधिकारी संविदा नियुक्ति वाला क्यों था। आज वे लोग कहां गए, क्या ये आप लोगों ने पूछा था। वहीं अजय चंद्रकार की टिप्पणी पर सदन में हंगामा मचा। सत्तापक्ष के सदस्यों ने अजय चन्द्राकर की टिप्पणी पर गहरी नाराजगी जताई। संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि ये पागलपंती की निशानी है। पागलपन का दौरा आ गया है। संसदीय कार्यमंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि तीन चौथाई बहुमत के साथ जनता ने हमे चुना इसे आप अवैधानिक कह रहे हैं और महाराष्ट्र में बहुमत नहीं होने के बाद भी जो हो रहा है, क्या वह अवैधानिक नहीं है।

मुख्यमंत्री ने अजय को मर्यादा में बोलने की दी नसीहत

विधानसभा में अनुपूरक बजट में चर्चा के दौरान कई मौके से ऐसे भी आते रहे जब सदस्य शब्दों की मर्यादा को लांघते रहे और विरोध के बाद खेद भी जताते रहे। इस कड़ी में संसदीय शब्दावलियों के विशेषज्ञ माने जाने वाले पूर्व संसदीय कार्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर नाम भी प्रमुखता के साथ जुड़ा। उन्होंने कांग्रेस के लिए अमर्यादित टिप्पणी कर दी। टिप्पणी इतनी खराब थी कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्षी विधायक पर भड़क उठ। दरअसल यह स्थिति अजय चंद्रकार की ओर उस बयान पर सामने जिसमें वो कह रहे थे कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की है कि दिव्यांग को भी एल्डरमेन बनाया जाएगा। इसी को आधार बनाकर चंद्रकार ने कहा कि मुझे लगता हैै कि कांग्रेस विकलांग है। चंद्रकार के इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि आपको बोलने की इजाजत है, लेकिन शब्दों की मर्यादा के साथ। आप अमर्यादित शब्द बोल रहे हैं। बाद में अजय चंद्रकार ने अपनी टिप्पणी के लिए खेद प्रकट किया।

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