छत्तीसगढ

संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने किया सवाल, अंतागढ़ मामले में दो दिग्गजों का नाम आने के बाद भी क्यों नहीं तलब किया भाजपा

रायपुर। अंतागढ़ मामले में मंतूराम पवार के निष्काषन के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि, रमन सिंह और राजेश मूणत ये दोनों भाजपा की बी टीम के साथ मिलकर लोकतंत्र की हत्या की। भाजपा बतायें कि मंतूराम पवार द्वारा अदालत में धारा 164 के तहत दिये गये कलमबद बयान के बाद भाजपा इन दोनों पर अनुशासनात्मक कार्यवाही अब तक क्यों नहीं की? पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के ऊपर पैसों के लेनदेन का, पुलिस से दबाव डाल कर नाम वापसी का आरोप मंतूराम पवार ने लगाया तो भाजपा ने मंतूराम को तो पार्टी से निकाल दिया, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और पूर्व मंत्री राजेश मूणत से इन गंभीर आरोपों पर सफाई मांगने की जरूरत तक भी क्यों नहीं समझी? दोनों भाजपा नेताओं रमन सिंह और राजेश मूणत पर भाजपा द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने का मतलब साफ है अंतागढ़ में लोकतंत्र की हत्या में पूरी भाजपा भी भाजपा की बी टीम के साथ शामिल थी।
प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि अंतागढ़ उपचुनाव में भाजपा सरकार द्वारा सत्ता बल के दुरूपयोग का जीताजागता उदाहरण कांकेर में देखने को मिला था, जब तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल को होटल में नजरबंद किया गया, सुरक्षा के नाम पर रमन सिंह सरकार की पुलिस द्वारा मिलने जुलने वालों पर नजर रखी गयी होटल की बिजली रातभर काट दी गयी।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव पंकज महावर के घर रात 3.30 बजे धमतरी और कांकेर के पुलिस बल ने 20-25 गुण्डों और 40-50 कमांडों के साथ आक्रमण किया। दीवार लांघकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव पंकज महावर के घर का दरवाजा तोड़ा गया। 6 निर्दलीय प्रत्याशियों को बंदूक की नोक पर पुलिस और इन असामाजिक तत्वों के साथ अपहरण करके ले जाया गया और नाम वापसी करवायी गयी। पुलिस खाकी वर्दी में भाजपा कार्यकर्ताओं की तरह आचरण कर रही है और गुण्डों की मदद कर रही है।

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ने अंतागढ़ उपचुनाव में हारने की डर से आतंक दबाव और खरीद फरोख्त की राजनीति कर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम दिया था। अंतागढ़ में भाजपा लोकतंत्र की हत्या की गुनहगार थी और है। कांग्रेस उम्मीदवार मंतूराम पवार को देखकर निर्दलीयों ने नाम वापस ले लिया जैसे बातें करके भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक भाजपा के पाप की गठरी को हल्का करने का असफल प्रयास किया था।
भाजपा द्वारा सब कुछ अंतागढ़ उपचुनाव को पैसे से प्रभावित करने के लिये इस तरह के हरकते की है। भाजपा का अंतागढ़ का उपचुनाव हारना तय हो चुका था।
दर्जन भर निर्दलीयों की नाम वापसी इस बात का जीताजागता सबूत था कि मंतूराम पवार के नाम वापसी के लिये तर्क और नाम वापसी के लिये बताये गये कारण पूरी तरह से गलत था। समर्थकों के आपस विवाद के कारण नाम वापसी का थोथा तर्क भाजपा ने दिया था। क्या भाजपा निर्दलियों के समर्थकों में भी आपसी विवाद की बात कहकर इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवारें की नाम वापसी के औचित्य को साबित करती?
निर्दलीय प्रत्याशीगणों को पुलिस प्रशासन के कब्जे में लेकर दबाव डालकर नाम वापस करवा लिया गया। राज्य की भाजपा सरकार के इस कृत्य से निश्चित रूप से अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव निष्पक्ष व पारदर्शी संपन्न होना संभव ही नहीं रह गया था।
अंतागढ़ उपचुनाव में राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार चुनाव में तय शुदा हार से बचने के लिये अपने सरकारी संसाधनों का भरपूर दुरूपयोग किया था। पुलिस प्रशासन के माध्यम से सरकार उम्मीदवारों को भय, दबाव और प्रलोभन देकर प्रत्याशियों पर नाम वापसी हेतु दबाव बनाया गया था।
अंतागढ़ उपचुनाव के संदर्भ में शिकायत लेकर भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने 2 सितंबर 2014 को दोपहर 12 बजे मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल, कांग्रेस विधायक दल के नेता टी.एस. सिंहदेव, प्रदेश कांग्रेस सचिव पंकज महावर और कांकेर जिला अध्यक्ष नरेश ठाकुर शामिल

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