छत्तीसगढ

सरकार के निर्णय से व्यापारियों में आक्रोश, कहा- व्यापारियों को रखा बन्धन में और ई कॉमर्स को दिया खुली छूट

रायपुर। कॉनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोशी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं प्रदेश प्रवक्ता राजकुमार राठी एवं कैट के प्रदेश मिडिया प्रभारी संजय चौबे एवं मोहम्मद अली हिरानी ने बताया सरकार ने 20 अप्रैल के बाद ऑनलाइन और ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उत्पाद बेचने की छूट दे दी है, वहीं व्यापारियों को सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की दुकान खोलने की छूट दी है। ई-कॉमर्स कंपनियां इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल यह सब बेच सकती है। यह बहुत ही भेदभाव पूर्ण रवैया है। व्यापारियों को बांध के रखा गया है और ई कॉमर्स को खुली छूट देना देश के 7 करोड़ और राज्य के 6 लाख कारोबारियों के साथ अन्याय है। सरकार के इस फैसले को लेकर देशभर के व्यापारियों में बहुत जबरदस्त आक्रोश है। आज देशभर के व्यापारी नेताओं के बीच में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की गई। एक बात सामने आ रही है कि अगर सरकार ने व्यापारी हित में निर्णय नहीं लिया तो हम महात्मा गांधी की तर्ज पर असहयोग आंदोलन करने पर मजबूर होंगे। महात्मा गांधी ने विदेशी व्यापार के देश में अनुचित तरीके से कब्जे के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंका था, वहीं अब कैट के नेतृत्व में देशभर के व्यापारी असहयोग आंदोलन करेंगे। कैट ने इस मामले में देशभर के व्यापारी संगठनों से राय आमंत्रित किया है।

कैट ने सरकार के हर मुद्दों पर सकारात्मक रूख दिखाते हुए सोशल डिस्टेसिंग और अन्य फैसलों का समर्थन किया है। व्यापारियों ने इस महामारी में जान जोखिम में डालते हुए लोगों को आवश्यक व जरूरत के सामान उपलब्ध करवाने के लिए अभूतपूर्ण भूमिका निभाई। अब जब व्यापारियों की हितों की बात होनी चाहिए तब सरकार ने पक्षपात पूर्ण रवैये अपनाते हुए ऑनलाइन और ई-कॉमर्स की बड़ी कंपनियों को छूट दे दी। जबकि यह बात सरकार जानती है कि ऑनलाइन कंपनियों से राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है। दुकानें खुलने पर ही सरकार को वास्तविक जीएसटी और राजस्व की प्राप्ति होगी, वहीं इससे व्यापारी इस चुनौतीपूर्ण विपदा से लड़ते हुए अपनी आर्थिक हालत भी सुधार सकते हैं। ऑनलाइन और ई-कॉमर्स व्यवसाय में उत्पादों की कोई मॉनिटरिंग नहीं की जा सकती है, वहीं इसे वायरस के फैलने का भी खतरा रहेगा। हमारी मांग यह है कि यदि ऑनलाइन और ई-कॉमर्स को 20 अप्रैल के बाद अपने उत्पाद बेचने का मौका मिलता है तो देशभर के रिटेल और होलसेल दुकानों को भी यह छूट मिलनी चाहिए। दुकानों में सोशल डिस्टेसिंग के लिए व्यापारी अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे। केंद्र सरकार को इस निर्णय पर पुर्नविचार करना चाहिए, वहीं राज्य सरकारों से भी अपील है कि वे ऑनलाइन कंपनियों और ई-कामर्स कंपनियों के पक्ष में दिए गए फैसले पर एकबारगी फिर से विचार करें, ताकि छोटे दुकानदारों को इस आपदा से बाहर निकाला जा सके।

CAIT ने केंद्र सरकार से यह मांग करती है की जो मल्टीनैशनल कम्पनी पीछे दरवाज़े से एंट्री दे रही है उसका पूरे प्रदेश और देश के व्यापारी विरोध करते है । और यदि चोर दरवाज़ा बंद न हुआ तो मजबूरी में व्यापारी पूरे देश में असहयोग आंदोलन करेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button