सिद्धू को बड़े पद की चर्चाओं के बीच कैप्टन की लंच डिप्लोमेसी, हिंदू नेताओं के सहारे हाईकमान को दिया बड़ा संदेश
चंडीगढ़, 2 जुलाई। कांग्रेस हाईकमान की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी में बड़ी जिम्मेवारी देने के संकेतों के बीच मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वीरवार को लंच डिप्लोमेसी की। कैप्टन ने कांग्रेस के प्रमुख हिंदू नेताओं को लंच पर बुलाया। लंच के दौरान जो चर्चा हुई उससे हाईकमान को यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि पंजाब में पार्टी का प्रधान हिंदू ही होना चाहिए।
कैप्टन का हाईकमान को संदेश- पंजाब कांग्रेस का प्रधान कोई हिंदू नेता ही हो
बता दें कि बुधवार को नवजोत सिंह सिद्धू की कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मुलाकात के बाद पंजाब की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। कहा जा रहा है कि सिद्धू को पंजाब में पार्टी बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। इस मुलाकात को लेकर पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने कहा है कि राज्य में पार्टी का विवाद जल्द खत्म होगा और सभी समस्याओं का निराकरण होगा।
राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात के बाद सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की चर्चाएं
राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी के साथ हुई नवजोत सिंह सिद्धू की बैठक के बाद ऐसी सूचनाएं आई थीं कि हाईकमान सिद्धू को पंजाब प्रधान बना सकती है। इसी बीच कैप्टन की लंच डिप्लोमेसी ने पंजाब में कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में नई चर्चा छेड़ दी है।
लंच बैठक में नेता बोले, 15 हिंदू बहुल सीटों पर जट्ट सिख हैं विधायक, इसका गलत असर पड़ रहा है
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस के हिंदू नेताओं को दिए लंच में छह मंत्री, कई विधायक और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इनमें से ज्यादातर नेताओं ने कहा कि पंजाब में सिखों के बाद सबसे हिदू सबसे बड़ा वोट बैंक हैं लेकिन उनकी उपेक्षा की जा रही है। राज्य की 15 ऐसी सीटें हैं जो हिंदू बहुल हैं और कभी यहां हिंदू उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में उतारे जाते थे। लेकिन अब वहां पर जट्ट सिख विधायक हैं। ऐसे में हिंदू नेता कहां जाएंगे इसका जवाब ढूंढ़ना चाहिए।
कांग्रेस की जट्ट सिख राजनीति में ¨हदू नेताओं की अनदेखी पड़ सकती है भारी
पार्टी के उच्चस्तरीय सूत्रों के अनुसार इन नेताओं ने बठिंडा, गुरदासपुर, फिरोजपुर और कोटकपूरा सीट का प्रमुख तौर पर जिक्र किया। बठिंडा से विधायक और वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की मौजूदगी में नेताओं ने कहा कि 1992 में बठिंडा से सुरिंदर कपूर (कांग्रेस), 1997 में चिरंजीलाल गर्ग (शिअद), 2002 में सुरिंदर सिंगला (कांग्रेस), 2007 में हरमिंदर जस्सी (शिअद), 2012 में सरूप चंद सिंगला (शिअद) और 2017 में मनप्रीत बादल (कांग्रेस) ने जीत दर्ज की। यानी इन छह चुनाव में से केवल दो बार जट्ट सिख उम्मीदवार जीते, जबकि 1957 से 2017 तक इस सीट पर 14 विधानसभा चुनावों में 11 बार हिंदू उम्मीदवार जीते। इसी तरह गुरदासपुर सीट पर कांग्रेस पहले रमन बहल को आगे करती रही है तो कोटकपूरा में उपेंद्र शर्मा जैसे नेता पार्टी के उम्मीदवार रहे।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस में हो रही उपेक्षा के कारण दो दिन पहले कांग्रेस छोड़ने का मन बना चुके वरिष्ठ नेता अश्वनी सेखड़ी भी वीरवार को कैप्टन के लंच में मौजूद रहे। उन्होंने उनके हलके बटाला में मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा का दखल का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कई बार इस ओर ध्यान दिलवाए जाने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ।
पार्टी सूत्रों के अनुसार पंजाब अधीनस्थ सेवाएं बोर्ड के चेयरमैन रमन बहल ने भी कहा कि गुरदासपुर में उन्हें शून्य कर दिया गया है। अमृतसर के जुगल किशोर शर्मा ने कहा कि उनकी दो पीढि़यां कांग्रेस से जुड़ी होने के बावजूद उनकी उपेक्षा की गई।
अनीश सिदाना ने कहा कि हिंदू और ओबीसी वर्ग कांग्रेस का स्थायी वोट बैंक रहे हैं, लेकिन सरकार में पिछड़े वर्ग को पूरी तरह से उपेक्षित रखा गया है। नेताओं ने कैप्टन को सुझाव दिया कि हिंदू नेताओं के लिए तुरंत लक्षित रणनीतिक कदम उठाने और सरकार की जनहितैषी योजनाओं को जनता में ले जाने के लिए विधायकों व नेताओं की ड्यूटी लगाने का सुझाव भी दिया।
लंच पर हुई बैठक में मंत्री मनप्रीत बादल, ब्रह्म मोहिंदरा, भारत भूषण आशु, ओपी सोनी, सुंदर श्याम अरोड़ा, विजय इंद्र सिंगला, सांसद मनीष तिवारी व गुरजीत औजला सहित करीब 30 नेता मौजूद रहे।
सुनील जाखड़ नहीं पहुंचे लंच पर
कैप्टन की ओर से दिए गए लंच में पार्टी के सभी वरिष्ठ हिंदू नेताओं को बुलाया गया था परंतु कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ नहीं पहुंचे। उनकी गैरहाजिरी चर्चा का विषय रही। सूत्रों के अनुसार कुछ नेताओं ने यह भी कहा कि जाखड़ ने कभी भी पार्टी नेताओं की कोई बैठक ही नहीं बुलाई।