स्रोत व्यक्तियों ने जाना साक्षरता का पाठ, असाक्षर पढेंगे छत्तीसगढ़ की वीरांगना राधाबाई को
रायपुर, 29 दिसंबर। स्कूल शिक्षा छत्तीसग़ढ़ शासन एवं राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के संचालक श्री डी. राहुल वेंकट के नेतृत्व पर स्रोत व्यक्तियों के प्रशिक्षण का आज दूसरा दिन रहा। आज के दिन पढ़ना लिखना अभियान में वातावरण निर्माण, स्वयंसेवी शिक्षकों की भूमिका, प्रौढ़ मनोविज्ञान पर सारगर्भित व रोचक गतिविधियों का समावेश किया गया था। इस मौके पर राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण के सहायक संचालक एवं पढ़ना लिखना अभियान के नोडल अधिकारी श्री प्रशान्त कुमार पाण्डेय, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के सहायक प्राध्यापक डाॅ. विद्यावती चन्द्राकर, समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डाॅ. एम. सुधीश, यूनिसेफ प्रतिनिधि डाॅ. मनीषा वत्स, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के शिक्षा सलाहकार श्री सत्यराज अय्यर, सेंट्ल काॅलेज आॅफ एजुकेशन के सहायक प्राध्यापक श्रीमती धारा यादव, एसएलएमए के समन्वयक श्रीमती निधि अग्रवाल, श्री सुनील राॅय, सुश्री नेहा शुक्ला तथा एसआईआरडी के तकनीकी सलाहकार श्री ए. अमीन, श्री कृष्णा सिंह गौर, श्री डमरूधर दीप, सुश्री कविता एवं श्रीमती विभा मिश्रा सहित रोल प्ले हेतु नन्दनी एवं अंजु दास की उपस्थित रही।
प्रशिक्षण का पुनरावलोकन श्री प्रशान्त कुमार पाण्डेय के द्वारा किया गया। प्रतिभागियों ने पुरी तन्मयता के साथ कल के सत्रों से संबंधित विषयों पर अपनी बात रखी। इस क्रम में डाॅ. एम. सुधीश ने प्रौढ़ शिक्षा में नवाचारी गतिविधियों को बहुत ही उमदा तरीके से पावर पाइंट प्रदर्शन तथा सहभागीता के साथ विभिन्न उदाहरणों के समावेश कर रोचक अंदाज में अपनी बात को रखा। उन्होंने बताया कि हम सभी स्वयं की स्थिति में बदलाव नहीं चाहते है। यदि हम बदलाव नहीं ला पाएंगे तो नवाचार भी नहीं कर पाएंगे । ऐसा देखा जाता है कि परिस्थितियों के कारण व्यक्ति स्वयं नवाचार को अपना लेता है। नवाचार का उपयोग साक्षरता में करना है। उन्होंने आगे बताया कि स्कूलो में समय पर बच्चों को पानी पीने के लिये कालखण्ड अनुसार ही घण्टी बजाने का प्रयोग किया गया जो एक नवाचार ही है।उन्होंने नवाचार हेतु थींक पियर एंड शेयर को अपनाने कहा जिसके अंतर्गत खुद सोचिए, अपने ग्रुप में बात रखिये तथा इसके बाद शेयर कीजिए पर समझ को विकसित किया।
इसी क्रम में डाॅ मनीषा वत्स ने इस अभियान के लिए साक्षरता किताब के तहत प्रवेशिका आखर झांपी का परिचय प्रस्तुत किया उन्होंने बताया कि यह प्रवेशिका आई.पी.सी.एल. पद्धति से निर्मित है जिसमें कुल 24 पाठ है तथा सभी पाठांे के निर्धारित मापदंड को ध्यान में रखा गया है। इस प्रवेशिका में प्रौढ़ मनोविज्ञान का पूर्ण समावेश है। राष्ट्रीय व राज्यकीय मूल्यों को भी सम्मिलित किया गया है। छत्तीसगढ़ की वीरांगना राधाबाई भी इस पाठ में शामिल है।
डाॅ. मनीषा वत्स ने पठन-पाठन की गतिविधियों में लिखने को रेत के माध्यम से, पढ़ने को कार्ड के माध्यम से तथा गणित के ज्ञान पेड़ की पत्तियों व कंकडों का उपयोग कर व्यवहारिक उदाहरणों से एवं रोल प्ले का प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट किया।
प्रौढ़ो के सीखने के लिए शिक्षण पद्धति सत्र पर श्री सत्यराज अय्यर ने एक्टिव एवं पैसीव लर्निंग में समझ विकसित किया। उन्होंने सूत्र L=P +Q+R ;अर्थात L=लर्निंग, P= प्रोग्राम नाॅलेज,Q=प्रश्न तथा R= रिफलेक्शन) को बड़ी तन्मयता के साथ समन्वय बनाते हुए स्पष्ट किया।
अंत में पढ़ना लिखना अभियान के अंतर्गत क्रियान्वयन पर चर्चा व फीडबैक प्रतिभागियों से प्राप्त किया गया।