Big Success : छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को करारा झटका…! 40 लाख के इनामी 11 नक्सली हथियार डाल मुख्यधारा में लौटे…CM साय ने किया ट्वीट

नारायणपुर, 06 मार्च। Big Success : छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में नक्सल विरोधी अभियान को बड़ी सफलता मिली है। शुक्रवार को यहां 11 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें 7 महिलाएं शामिल हैं। इन सभी पर कुल मिलाकर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था। नारायणपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभात कुमार ने बताया कि इन नक्सलियों ने पुलिस, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया।
दरअसल, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने कहा कि वे माओवादी विचारधारा की खोखली और अमानवीय नीतियों से निराश हो चुके थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वरिष्ठ नक्सली कैडर भोले-भाले आदिवासियों का शोषण कर रहे थे। इसके अलावा, सुरक्षा बलों की बढ़ती उपस्थिति और सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों ने भी उन्हें मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने खासतौर पर ‘निया नेल्लानार’ (आपका अच्छा गांव) योजना की सराहना की, जिसके तहत अबूझमाड़ के दुर्गम इलाकों में विकास कार्यों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस योजना के तहत सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इससे आदिवासी समुदाय की जीवनशैली में सुधार हो रहा है।
बड़ी माओवादी इकाइयों के सदस्य थे ये नक्सली
एसएसपी प्रभात कुमार के मुताबिक, आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सली उत्तरी बस्तर और माड़ डिवीजन में सक्रिय थे। इनमें प्रमुख रूप से सन्नू उर्फ मंगेश उपेंडी (38) और संतू उर्फ बदरू वडादा (35) पर 8-8 लाख रुपये का इनाम, जनिला उर्फ जलको कोरमा (36) पर 5 लाख रुपये का इनाम, चार नक्सलियों पर 3-3 लाख रुपये का इनाम और तीन नक्सलियों पर 2-2 लाख और एक नक्सली पर 1 लाख रुपये का इनाम था।
पुनर्वास के तहत मिलेगी सहायता
पुलिस के अनुसार, इन सभी नक्सलियों को तत्काल पुनर्वास सहायता के रूप में 25,000 रुपये दिए गए हैं। आगे सरकार की नक्सली आत्मसमर्पण नीति के तहत इन्हें और सहायता प्रदान की जाएगी, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
नक्सलवाद के खिलाफ ‘माड़ बचाओ अभियान’ का असर
एसएसपी प्रभात कुमार ने बताया कि नारायणपुर पुलिस और आईटीबीपी की कड़ी मेहनत के कारण यह आत्मसमर्पण संभव हो पाया। उन्होंने कहा, इस आत्मसमर्पण से शीर्ष नक्सली नेतृत्व को बड़ा झटका लगा है। ‘माड़ बचाओ अभियान’ के तहत अबूझमाड़ को नक्सल मुक्त बनाने का सपना अब साकार होता दिख रहा है।
पिछले साल 792 नक्सलियों ने किया था आत्मसमर्पण
गौरतलब है कि पिछले साल बस्तर संभाग के सात जिलों में कुल 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था, जिनमें नारायणपुर भी शामिल है। यह इस बात का संकेत है कि सरकार की नीतियां और सुरक्षा बलों की रणनीति नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने में प्रभावी साबित हो रही हैं। सरकार और सुरक्षा बलों की रणनीति के चलते छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का आत्मसमर्पण बढ़ रहा है, जिससे राज्य के दुर्गम इलाकों में शांति और विकास का नया अध्याय लिखा जा रहा है।
