छत्तीसगढ

Workshop on Forensic Science : डिजीटल साक्ष्यों के पहचान, संग्रहण एवं संरक्षण से ऑनलाइन ठगी को शीघ्र पकडऩा संभव

बिलासपुर एवं सरगुजा रेंज के पुलिस अधिकारियों के लिए राष्ट्रीय ई-सम्मेलन-2021

रायपुर, 28 अगस्त। फॉरेंसिक साइंस विषय पर बिलासपुर एवं सरगुजा रेंज पुलिस एवं फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन एजेंसी बिलासपुर द्वारा ‘प्रथम राष्ट्रीय ई-कांफ्रेंस 2021’ पुलिस अधिकारियों के लिए दो दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला आयोजित किया गया। कार्यशाला में विवेचना के दौरान साक्ष्य हेतु फॉरेंसिक साइंस एवं डिजिटल/सायबर फॉरेंसिक साइंस के महत्व को फॉरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा बताया गया।

वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक डिवाईस के माध्यम से समाज में बढ़ते ऑनलाइन अपराधों के प्रकरणों में पुलिस अधिकारियों को विवेचना के दौरान डिजीटल साक्ष्य संकलन के संबंध में विशेष पुलिस महानिदेशक आर.के.विज द्वारा कार्यशाला में व्याख्यान दिया गया।

श्री विज ने बताया कि पुलिस के सामने वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती ऑनलाइन होने वाले अपराधों से जुड़े डिजीटल साक्ष्यो का पहचान, संग्रहण, अधिग्रहण एवं संरक्षण करना है, इन चुनौतियों का सामना करने के लिए विभाग के प्रत्येक अधिकारी-कर्मचारियों को कम्प्यूटर की फंक्शनिंग का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।

अपराधी लगातार बदल रहे हैं तरीके

आर.के.विज ने कहा कि, अपराधियों द्वारा लगातार तरीके बदल-बदल कर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्सअप आदि के माध्यम से अपराधों को अंजाम दिया जा रहा हैं।

अपराध घटित होने के बाद अपराध से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजीटल साक्ष्यों का पहचान, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस जैसे- कम्प्यूटर के पाट्र्स, मोबाईल, सीसीटीवी कैमरा आदि का संग्रहण, अधिग्रहण एवं संरक्षण के संबंध में भारत सरकार द्वारा IS/ISO/IEC/27037:2012 में दिये गये गाईडलाईन का पालन करते हुऐ परीक्षण हेतु सायबर लैब भेजे।

न्यायालय में पेश करने तक की संपूर्ण प्रक्रिया के संबंध में प्रत्येक पुलिस अधिकारियों को ज्ञान होना आवश्यक है, ताकि साक्ष्य का मूल स्वरूप बना रहे। जो न्यायालय में ग्राह्य हो सके, तभी ऑनलाइन अपराधों में अपराधियों को पकड़ा जा सकेगा। इससे पीडि़तों को न्याय मिल पायेगा। साथ ही समाज में जागरूकता लाने की जरूरत है, जिससे लोग ऑनलाइन अपराध से बच सके।

अपराध होने पर सूचना तत्काल टोल फ्री नंबर 155260 एवं cybercrime.gov.in  पर ऑनलाइन शिकायत कर सके।

ऑनलाइन अपराधों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम जरूरी

उन्होंने आगे बताया कि छत्तीसगढ़ सायबर टीम द्वारा ऑनलाइन ठगी के लगभग 65 लाख से अधिक रूपये को आरोपियों तक पहुंचने से रोका गया है। आगरा व दिल्ली के ऑनलाइन ठगी के पीडि़तों के रूपये भी वापस कराये गये हैं। ऑनलाइन अपराधों के संबंध में लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाकर पुलिस के अधिकारी/कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाना अत्यंत आवश्यक है।

इस दिशा में फोरेंसिक इन्वेस्टिगेशन एजेंसी बिलासपुर द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम बहुत ही महत्वपूर्ण एवं सराहनीय पहल है। निश्चित रूप से इसका लाभ पुलिस के अधिकारियों/कर्मचारियों को मिलेगा। इस तरह के कार्यक्रम पूरे प्रदेश में कराये जाने की आवश्यकता है।

उक्त प्रशिक्षण कार्यशाला में पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर एवं सरगुजा रेंज रतनलाल डांगी, समस्त पुलिस अधीक्षक बिलासपुर एवं सरगुजा रेंज, फॉरेसिंक विशेषज्ञ एवं लगभग दो सौ से अधिक पुलिस अधिकारी वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से सम्मिलित हुये। कार्यशाला को आयोजित करने में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दीपमाला कश्यप का विशेष योगदान रहा।

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