छत्तीसगढ

विशेष लेख: कोरोना से लड़ाई के असली हीरो पुलिस जवानों ने लॉक डाउन का पालन कराकर तोड़ी संक्रमण की चेन तो डॉक्टर्स ने मरीजों को ठीक करने लगाई जान की बाजी

रायपुर। इस समय देश में लगभग सभी राज्य कोरोना से बचने जूझ रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के रियल हीरोज ने अपनी जान की बाजी लगाकर नागरिकों को सुरक्षित कर रखा है। ये असल जीवन के हीरो पुलिस के जवान, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मी हैं। जो दिन-रात खुद की जान की फिक्र किये बगैर ड्यूटी में लगे हुए हैं।
छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी ने कहा है कि वे रियल लाईफ के इन असली हीरो को सैल्यूट करते हैं। पुलिस जवान, डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों को संक्रमण से बचा रहे हैं।

राज्य में कोंटा से वाड्रफनगर और वाघ नदी से सरायपाली तक पुलिस के जवान भीषण गर्मी में सड़कों पर लॉक डाउन को सफल बनाने खड़े हुए हैं। पुलिस महकमे में अधिकारी से लेकर सिपाही तक भूख-प्यास, खुद के संक्रमण और परिवार की चिंता किये बगैर सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखने सड़कों पर खड़े हैं। उनका परिवार संक्रमण से बचा रहे इसके लिए पुलिसकर्मी कई-कई दिन तक घर नहीं जा रहे हैं। अपने बच्चों से दूर हैं। ताकि जनता को सुरक्षित रख सकें। ऐसे समय पुलिसकर्मी अपनी सख्त छवि के बीच मानवीय कार्य भी आगे बढ़कर कर रही है। लोग भूखे ना रहें इसलिए कई घरों में तो पुलिस के जवान खुद पैसे खर्च राशन पहुचाएं हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में कोरोना संक्रमण की स्लो रेट का प्रमुख कारण पुलिस द्वारा लॉक डाउन का सख्ती से पालन कराना है। यही वजह है कि राज्य में दस में से सिर्फ एक संक्रमित बचा है। बाकी नौ लोग ठीक होकर घर जा चुके हैं।
इस लड़ाई के असली हीरो डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ भी हैं। छत्तीसगढ़ में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ने 10 में से 9 लोगों को ठीक कर घर भेज दिया है। कोरोना से संक्रमित मरीज को ठीक करने में सबसे बड़ा खतरा डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ को ही रहता है। इसके बावजूद डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ तन्मयता से संभावितों की जांच और संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं।

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