छत्तीसगढ

राष्ट्रीय कृषि मेला की प्रदर्शनी: कृषि उत्पादन बढ़ाने उन्नत तकनीकों की जानकारी

रायपुर। आप यदि किसान है, बागवानी में रूचि रखते हैं, पशुपालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन करना चाहते हैं, मशरूम उत्पादन, लाख उत्पादन, नर्सरी सहित अन्य कृृषि क्षेत्र में स्वरोजगार को अपनाते हुए कम लागत और कम समय में अधिक उत्पादन कर आर्थिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो राष्ट्रीय कृषि मेला अवश्य आए। रायपुर से कुछ दूर ग्राम तुलसी बाराडेरा में आयोजित तीन दिवसीय कृषि मेला में आधुनिक तकनीक से फसल उत्पादन, कुक्कुट, मत्स्यपालन, मधुमक्खी पालन की न सिर्फ सही जानकारी मिलेगी, आपको यहां अधिक उत्पादन देने वाली प्रमाणित धान एवं सब्जियों, फलों की बीज, हाइब्रिड पौधे, कल्टीवेशन से तैयार नर्सरी के पौधे, सब्सिडी वाले आधुनिक कृषि यंत्र तकनीक, फसलों के उत्पादन में महत्वपूर्ण जैविक खाद सहित उन कृषि उत्पाद भी मिलेंगे, जिसे देखकर आप स्वयं भी उस उन्नत फसल तकनीक को अपनाना चाहेंगे।

शुगरकेन हार्वेस्टर बनी आकर्षण का केन्द्र

कृषि मेला में पहली बार प्रदर्शित शुगरकेन हार्वेस्टर सबके आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। गन्ने की क्रमवार सही कटाई और संग्रहण के लिए उपयोगी शुगरकेन हार्वेस्टर की खासियत है कि दो घंटे के भीतर एक एकड़ में गन्ने की कटाई कर लेता है। 8-8 इंच के टुकड़ों में गन्ने को काटकर संग्रहित करने के साथ इस हार्वेस्टर से गन्ने को जमीन के उस भाग तक के हिस्से को काटा जा सकता है, जो कि आमतौर पर किसान नहीं काट पाते। गन्ने की फ्लैट कटिंग से और मेटिनेंस कम होने से यह गन्ना उत्पादकों के लिए किफायती है। एक सप्ताह के प्रशिक्षण पश्चात कोई भी किसान इस मशीन का संचालन कर सकता है। इसमें गन्ने की कटाई के पश्चात पत्तियों को जड़ वाले हिस्से में ही छोड़ दिया जाता है, जिससे गन्ने में किसी प्रकार की बीमारी का खतरा नहीं रहता। उन्होंने बताया कि शुगरकेन हार्वेस्टर से किसानों को अधिक मात्रा में गन्ना, चीनी की अधिक रिकव्हराी होती है। इसकी कीमत फिलहाल लगभग एक करोड़ रूपए है और 45 मशीनें मध्यप्रदेश, लगभग 500 मशीनें महाराष्ट्र में संचालित है, उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में अभी यह मशीन किसी के पास नहीं है। यहां गन्ने की खेती करने वाले किसान इस मशीन का उपयोग कर सकते हैं।

कड़कनाथ मुर्गी और इन्क्यूबेटर से कुकुक्ट पालन

कड़कनाथ नस्ल की मुर्गियों की प्रदर्शनी और इसके पालन की आधुनिक विधि की जानकारी मेले में कई किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। प्रदर्शनी में कड़कनाथ के पालन से लाभ की विस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है। बटेर पालन से होने वाले लाभ के संबंध में भी लोगों को बताया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र कोरबा द्वारा अण्डे को बिना मुर्गी के विशेष तापक्रम में रखकर चूजे उत्पादन करने स्वचलित इन्क्यूबेटर की प्रदर्शनी भी लगाई गई है।

कम लागत में स्थापित कर सकते हैं राइसमिल

मेले में लगभग 12 हजार रूपए की कीमत वाली मिनी राइस मिल की प्रदर्शनी भी विक्रय हेतु लगाई गई है। इस मिल को किसान आसानी से अपनी घर में स्थापित कर धान की कुटाई कर सकते हैं। तीन हार्स पावर इस सिंगल फेस वाले राइस मिल से एक घंटे में 50 से 60 किलो चावल तक प्राप्त किया जा सकता है। इसी तरह से 10 एच.पी. का राइसमिल भी मेले में प्रदर्शित है, जिसकी कीमत एक लाख 25 हजार रूपए है। इससे 7 क्विंटल तक चावल निकाला जा सकता है।

ड्रोन से होगा पानी और कीट नाशकों का छिड़काव

अब तक फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी के इस्तेमाल में आने वाले ड्रोन का इस्तेमाल अब खेतों में भी आसानी से किया जा सकेगा। फसलों में पानी और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए मेला में ड्रोल का इस्तेमाल करना बताया जा रहा है। पहुंचविहीन क्षेत्रों में ड्रोन का उपयोग किसानों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है, यह भी बताया जा रहा है। गुजरात के हाइटेक संस्था द्वारा प्रदर्शित इस ड्रोन से 10 लीटर तक पानी या दवाई का छिड़काव आसानी से किया जा सकता है। 10 से 15 मिनट में दो एकड़ क्षेत्र में ड्रोन से छिड़काव किया जा सकता है। फिलहाल इस तरह की ड्रोन की कीमत 5 से 10 लाख रूपए के बीच बताई गई है।

आसान हो जाएगा मक्का छिलाई

कृषि मेले में फसल उत्पादन को बढ़ाने और आसान वाले आधुनिक यंत्र किसानेां को बहुत प्रभावित कर रहे हैं। मक्का की खेती करने वाले किसाना कार्न सिलर (मक्का छिलाई यंत्र) ढेंस (कमल ककड़ी) की खेती करने वाले किसान लोटस राइजोम हार्वेस्टर ढेंस खुदाई यंत्र, पौधों एवे बीज को खेत पर निश्चित दूरी में क्रमवार रोपने वाला रीडर यंत्र सहित अन्य आधुनिक कृषि यंत्र, किसानों को प्रभावित करने के साथ इसे अपनाने की दिशा में प्रेरित कर रहे हैं। मेले में किसानों के लिए ग्रीन हाउस, जैविक खाद, कीटनाशक सहित अन्य उप्पादों की भी जानकारी मिल रही है। यहां नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी का विकास मॉडल भी प्रदर्शनी में आने वालों को प्रभावित कर रहा है।

4 किलों का मूली बना आकर्षण का केन्द्र

राष्ट्रीय कृषि मेला में लगभग 4 किलों का एक मूली यहां आने वाले किसानों सहित आम लोगों के लिए भी आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। मेले में जांजगीर-चांपा जिले के नवागढ़ विकासखण्ड के ग्राम कुथूर के किसान श्री मानू राम पटेल द्वारा जैविक खाद से उत्पादित तीन बड़ी-बड़ी मूली प्रदर्शित की गई है। आईपीएल के प्रोजेक्ट ऑफिसर अखिलेश कुमार ने बताया कि जैविक खेती के माध्यम से किसानों को प्रोत्साहित किया जाता है। कम लागत में अधिक उत्पादन और किसानों की आर्थिक लाभ बढ़ाना ही आईपीएल का उद्देश्य है। उन्होंने बताया कि जैविक खाद का इस्तेमाल फसलों का अधिक उत्पादन के साथ आम लोगों को स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद प्रदान करना है।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल के लिए 150 रूपए में बायो उत्पाद

राष्ट्रीय कृषि मेला में प्रदेश भर की स्व-सहायता समूहों द्वारा तैयार की जाने वाली विभिन्न बायो उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। कोरबा जिला के विकासखण्ड करतला अंतर्गत ग्राम कोई की हरियाली सहकारी समिति मर्यादित की महिलाओं द्वारा तैयार रक्तचाप नियंत्रक (ब्लड प्रेशर कंट्रोलर) लगभग 150 रूपए में उपलब्ध है। गोबर, गौमूत्र, बेल सहित अन्य औषधि के इस्तेमाल से बनी रक्तचाप नियंत्रक के संबंध में बताया गया कि लगभग 15 से 20 मिनट इस नियंत्रक में बैठने के बाद ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है। इसे परिवार के सभी लोग आसानी से उपयोग में ला सकते हैं। इसके विक्रेता ने बताया कि अभी तक लगभग एक हजार रक्तचाप नियंत्रक की बिक्री कर चुके हैं। वे विगत 3 साल से इस उत्पाद को बना रहे हैं। इसी तरह इस स्टाल में ही 100 ग्राम उपला (गोबर कण्डे) 30 रूपए में बिक्री हो रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button