छत्तीसगढ

विकास तिवारी ने जागेश्वरी बिसेन की जांच पर उठाया सवाल, कहा- गलत दिशा देकर आरोपी को बचा रहे हैं

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के ओएसडी अरूण बिसेन की पत्नी की एनआरडीए में नियुक्ति में अनियमितता मामले की शिकायत की प्रारंभिक जांच के बाद प्रकरण आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों को सौंप दिया गया है। दरअसल, फर्जी नियुक्ति की शिकायत के एक साल बाद eow को सौंपने पर शिकायतकर्ता कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि अधिकारी आज भी सरकार को गुमराह कर रहे है। एक साल पहले की शिकायत ने लीपापोती करके और अपने कुनबे के शीर्ष अधिकारियों को बचाने के लिये किया गया कृत्य है। अभी तक तो इस प्रकरण ने fir दर्ज करके नियुक्ति देने वाले ias अधिकारी सहित अन्य पर मुकदमा दर्ज होना था, पर केवल nrda को आर्थिक नुकसान की बात करना साफ है कि ias लॉबी आज भी डॉ रमन के खौफ में है और अपने कुनबे के अधिकारी को बचाने के लिये एडिचोटी एक किये है। विकास तिवारी ने कहा कि वह अधिकारियों की जांच से बिल्कुल भी संतुष्ट नही है। अधिकारी जांच को गलत दिशा में लेकर मुख्य आरोपी को बचा रहे है।
आरडीए के सीईओ ने जांच कर प्रारंभिक रिपोर्ट सरकार को भेजी थी। यह कहा गया कि मेसर्स ली एसोसिएट के द्वारा जागेश्वरी बिसेन को अटल नगर विकास प्राधिकरण के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इंफ्रा प्रोजेक्ट सलाहकार के रूप में आईटी एक्सपर्ट के पद पर नियुक्त किया गया था। श्रीमती बिसेन ने 5 अप्रैल 2017 को कार्यभार ग्रहण किया और उनके द्वारा 6 अप्रैल 2019 तक अपनी सेवाएं प्रदान की गई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि जागेश्वरी बिसेन की नियुक्ति ली एसोसिएट साउथ एशिया द्वारा की गई थी। उन्हें एनआरडीए द्वारा सीधे कोई भुगतान नहीं किया गया। इसके अलावा एनआरडीए द्वारा ली एसोसिएट को आईटी रिसोर्स के मद में कुल 23 लाख 39 हजार 533 रूपए का भुगतान किया गया। मेसर्स ली एसोसिएट द्वारा जागेश्वरी बिसेन को किस दर पर भुगतान किया गया। इसकी जानकारी विभाग के पास नहीं है।
बताया गया कि प्राधिकरण द्वारा आईटी एक्सपर्ट पद के लिए 5 से 7 वर्ष का अनुभव चाहा गया था। किन्तु जागेश्वरी बिसेन द्वारा 4 वर्ष 10 माह का अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया। इस सिलसिले में एनआरडीए के तत्कालीन सीईओ से जानकारी चाही गई थी, लेकिन यह कहा गया कि संबंधित दस्तावेजों की उपलब्धता के बिना जानकारी प्रदाय करना संभव नहीं है। जांच रिपोर्ट के बाद आर्थिक अपराध ब्यूरों को जांच के लिए सुपुर्द कर दिया गया है।

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