छत्तीसगढ

स्कूल शिक्षा मंत्री ने लॉकडाउन में घरों में पढ़ाई कराने में जुटे पालकों के प्रति जताया आभार

रायपुर। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने लॉकडाउन के दौरान बच्चों को सीखने के लिए प्रेरित करने हेतु पालकों के प्रति आभार व्यक्त किया है। डॉ. टेकाम ने कहा है कि सामान्य दिनों में हम बार-बार सभी पालकों से घर पर बच्चों को सीखने में सहयोग देने की अपील करते रहते हैं, पर ऐसा बहुत कम ही हो पाता है। पालकों का अधिकांश समय काम-काज और खेती-बाड़ी में ही निकल जाता है, परंतु लॉकडाउन के दौरान प्रदेश में पालकों ने घर पर रह कर बच्चों को पर्याप्त समय देने के साथ-साथ उन्हें पढ़ाने-लिखाने का कार्य करने में सभी प्रकार का आवश्यक सहयोग दिया है। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छी परंपरा है, जो जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस कठिन परिस्थितियों में भी राज्य में बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर ‘पढ़ई तुंहर दुआर‘ कार्यक्रम प्रारंभ कर बच्चों को अवकाश के सद्उपयोग करने की दिशा में अन्य राज्यों से पहले इसका क्रियान्वयन किया।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा कि लाकॅडाउन की अवधि में बच्चों से निरंतर संपर्क के लिए एक मात्र साधन है, उनके पालकों का मोबाइल। उन्होंने सभी शिक्षकों से अपील की है कि वे अपने विद्यार्थियों के पालकों से निरंतर संपर्क में रहें और समय-समय पर उनके मोबाइल पर कॉल कर हाल-चाल पूछते रहें। साथ ही विद्यार्थियों की पढ़ाई के बारे में भी जानकारी लें और बच्चों के बारे में कुछ विशिष्ट जानकारी देते हुए उन्हें घर पर प्रेरित करते हुए पढ़ाने में आवश्यक सहयोग करें। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि पालकों और शिक्षकों के बीच बने संबंधों की प्रभावी कड़ी को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए ‘गुरु तुझे सलाम’ अभियान की शुरुआत की है। संकट के इस दौर में अभी पालक ही बच्चों के लिए शिक्षक का काम कर रहे हैं। ऐसे में शिक्षकों को पालकों से संपर्क कर उन्हें बच्चों को सिखाने हेतु टिप्स देने के साथ-साथ सभी आवश्यक सहयोग देते रहना चाहिए। डॉ. टेकाम की अपील पर सैकड़ों की संख्या में शिक्षक भी इस बात के महत्व को समझ कर पालकों को आभार के साथ-साथ बच्चों को ऑनलाईन एवं ऑफलाईन सीखने में सहयोग करने लगे हैं।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा है कि आमतौर पर सीखने-सिखाने का कार्य औपचारिक तरीकों से स्कूलों में ही हो पाता है। अधिकांश पालक ऐसी स्थिति में नहीं होते कि वे बच्चों को अपने घर पर सीखने में सहयोग दे सके, लेकिन लॉकडाउन में इस बार घर पर रह रहे पालकों और बच्चों में सीखने के लिए सभी तरीकें से सहयोग देने का पुनीत कार्य प्रारंभ करने में सहयोग दिया। पालकों और शिक्षकों द्वारा कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने के बावजूद घर पर रहते हुए अलग-अलग तरीकों से बच्चों और विद्यार्थियों को सहयोग प्रदान किया है। डॉ. टेकाम ने कहा कि ऐसे सभी शिक्षकों और पालकों को उनके अच्छें कार्यों के लिए आभार मानना चाहिए और आगे भी ऐसा करते रहने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

‘पढई तुंहर दुआर’ कार्यक्रम के माध्यम से हम बहुत बड़ी संख्या में बच्चों तक ऑनलाईन पहुँचने का प्लेटफार्म तैयार कर चुके हैं। इस कार्यक्रम की सफलता के लिए आवश्यक है कि हमारे शिक्षक पालकों के निकट संपर्क में रहें और उन्हें विद्यार्थियों को सीखने-सिखाने में सहयोग करने हेतु टिप्स देते रहें।”

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