छत्तीसगढ

गांव गली मोहल्ला में सामुदायिक सहायता से पढ़ाई…नवाचार शिक्षकों को मिलेगी प्राथमिकता

रायपुर, 29 जुलाई। कोरोना काल में स्कूल बंद है, ऐसे में बच्चों को कैसे शिक्षा दें, इस विषय को लेकर आज स्कूलशिक्षा विभाग द्वारा मुमकिन है ऑनलाइन बेबीनार का आयोजन किया गया। इस वेबीनार में 35 हजार से ज्यादा शिक्षक, शिक्षाविद्, अधिकारी-कर्मचारी जुड़े। इन लोगों ने अपना नवाचार और अनुभव साझा किया। एससीआरटी के सहयोग से आयोजित वेबीनार में नए शिक्षा सत्र में प्रवेश से लेकर पढ़ाई तक के कई वैकल्पिक सुझावों पर रणनीति बनाई गई। अब शिक्षक स्कूल नहीं, गांव-गांव मोहल्ले में जाकर विभिन्न माध्यम से शिक्षा देंगे। इसमें तय किया गया कि शिक्षा में नवाचार को प्राथमिकता दी जाएगी।
प्रमुख सचिव डॉ आलोक शुक्ला ने राज्य से संकुल स्तर केअधिकारी व शिक्षकों को कहा कि स्थानीय सुविधा के अनुसार पढ़ाई कराया जाएं। साथ ही जो राशि की ज़रूरत होगी वो दिया जाएगा। जो सुझाव आया है इसमें से पांच सुझाव को अनुमति देते हुए 15 अगस्तसे मुख्यमंत्री सेशुभारंभ कराया जाएगा। केंद्र सरकार के बिना अनुमति के स्कूल नहीं खोला जा सकता, लेकिन इन नवाचार से शिक्षा दिया जाएगा। कोरोना काल में शिक्षा का प्रवाह नहीं रूकेगा, निरंतर जारी रहेगा, लेकिन पढ़ाई का तरीक़ा बदला जा सकता है. नवाचार में काम करने वाले शिक्षक, डीईओ का सम्मान किया जाएगा।

मंथन में पांच सुझावों को चुना गया

1 गांव गली मोहल्ला में सामुदायिक सहायता से पढ़ाई।

2 लाउडस्पीकर से बच्चों को पढ़ाना।

3 ब्लूटूथ ऐसे ऑडियो फ़ाइल जिससे शिक्षा विभाग के वेबसाइट से बिना इंटरनेट के एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर भेजा जा सकता है।

4 एक ऐसा एक नया मोबाइल ऐप बनाया जाएगा प्लीकेशन बनाया जा रहा है जिसे इंस्टॉल करते तक ही नेट की ज़रूरत पड़ेगी उसके बाद बिना इंटरनेट के सुचारु रूप से ये एप्लीकेशन संचालित होगा।

5 कॉल सेंटर के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जाएगी, इसमें बच्चे किसी भी माध्यम से कॉल सेंटर में कॉल कर सकेंगे और अपने जिज्ञासा अनुरूप सवाल कर सकते हैं।

इन पांचों माध्यमों को प्रदेश स्तर पर लागू किया जाएगा. इसके लिए कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं होगी। इच्छुक शिक्षक इसे अपनाकर बच्चों को पढ़ा सकते हैं।

लोक शिक्षण संचालक जितेन्द्र शुक्ला ने बताया कि बेबीनार मुमकिन है में प्रदेश के 35 हजार से ज़्यादा शिक्षक कर्मचारी अधिकारी जुड़े। वेबनार में कोरोना काल में बच्चों को कैसे शिक्षा दिया जाए। क्या माध्यम हो सकता है? इन तमाम विषयों पर चर्चा हुई। प्रदेश के विभिन्न जगहों में कही विकल्प के तौर पर शिक्षा पढ़ाई करा रहे हैं वो अपना अनुभव साझा किए कई ज़िलों में शिक्षा गली मोहल्लों गांव में जाकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं। आज जो सुझाव मिले हैं उसमें से जो कारगार है उन सुझावों के आधार पर विचार विमर्श कर प्रदेश में लागू किया जाएगा।
आज लगभग 2 घंटे चले इस वेबीनार का संचालन समग्र शिक्षा के सहायक संचालक डॉक्टर यमसुधीश ने व आभार प्रदर्शन स्टेट मीडिया सेंटर के नोडल अधिकारी प्रशांत कुमार पांडेय ने किया।
वेबीनार के प्रारंभ में सुकमा के आशीष राम दंतेवाड़ा के श्री महेश कुमार पटले बस्तर के गणेश तिवारी रायपुर की सुनीला फ्रैंकलीन राजनांदगांव की नैना वर्मा बिलासपुर की श्रीमती प्रतिभा पांडे कोरिया के सी स्माइल सूरजपुर के गौतम शर्मा ने अपने-अपने जिलों मैं अपनाए जा रहे नवाचारी कार्यक्रम के बारे में बताया नवाचारी कार्यक्रम के संबंध में बताया।
यह उल्लेखनीय है कि इस वेबीनार का प्रसारण वेबैक्स के साथ-साथ यूट्यूब पर भी किया गया यह कभी भी यूट्यूब पर देखा जा सकता है।

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