बंगाल चुनाव: सोशल मीडिया के दौर में दीवारों पर कब्जा जमाने की होड़, ज्यादातर जगहों पर TMC की पेंटिंग का कब्जा, डर का आलम इतना कि लोग मना नहीं करते
कोलकाता, 15 मार्च। पश्चिम बंगाल में चुनाव के दौरान वॉल कैंपेनिंग काफी लोकप्रिय है। इसका दशकों पुराना राजनीतिक इतिहास रहा है। आचार संहिता लगने के बाद भी जिस तरह से कार्यकर्ताओं के बीच दीवारों पर कब्जा जमाने की होड़ लगी है, उसे देखना काफी दिलचस्प है। आलम यह है कि सोशल मीडिया और सस्ते इंटरनेट के दौर में भी कार्यकर्ता किसी दीवार पर थोड़ी भी जगह छोड़ना नहीं चाहते।
दीवारों पर कब्जा जमाने में TMC सबसे आगे
ज्यादातर जगहों पर TMC की पेंटिंग नजर आती है। BJP और CPM की पेंटिंग गांवों में या उन इलाकों में देखने को मिलती है जहां भीड़ कम होती है।
ज्यादातर जगहों पर TMC की पेंटिंग नजर आती है। BJP और CPM की पेंटिंग गांवों में या उन इलाकों में देखने को मिलती है जहां भीड़ कम होती है।
अभी बंगाल में वॉल कैंपेनिंग के मामले में TMC टॉप पर है। ज्यादातर घरों की दीवारों और दुकानों पर उसका कब्जा है। जगह-जगह TMC के स्लोगन लिखे हैं। कई जगह कार्यकर्ता दीवारों पर अभी भी TMC के लिए पेंटिंग्स बना रहे हैं। बीच में कहीं-कहीं BJP और CPM की भी मौजूदगी नजर आती है। हालांकि दीवारों पर पेंटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है, लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका पालन नहीं किया जाता है। डर की वजह से बहुत कम लोग ही शिकायत दर्ज कराते हैं।
पार्टी के कार्यकर्ता मकानों और दुकानों पर स्लोगन लिखने से भी नहीं चूकते। लोग मना इसलिए नहीं करते कि कहीं पार्टी के कार्यकर्ता उनसे रंजिश न रखने लगें।
पार्टी के कार्यकर्ता मकानों और दुकानों पर स्लोगन लिखने से भी नहीं चूकते। डर का आलम इतना कि लोग मना नहीं करते कि कहीं पार्टी के कार्यकर्ता उनसे रंजिश न रखने लगें।
आचार संहिता के मुताबिक, दीवारों पर पेंटिंग बनाने से पहले ओनर से परमिशन लेना पड़ती है। दक्षिण 24 परगना में एक दुकान की दीवार पर एक पार्टी के स्लोगन लिखे हैं। जब हमने दुकानदार से इसको लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मेरी दीवार पर किसने निशान बनाए हैं? वे लोग रात में आते हैं और अपनी पार्टी के निशान बनाकर चले जाते हैं। भविष्य में मेरे साथ कुछ गलत नहीं हो इसलिए अब मैं मना भी नहीं कर सकता।’
दीवार रंगने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं है। फिर वो चाहे BJP हो या TMC, जिसे जहां जगह मिलती है, वो वहीं पर पार्टी के नारे और चुनाव चिन्ह छापकर चला जाता है।
दीवार रंगने में कोई भी पार्टी पीछे नहीं है। फिर वो चाहे BJP हो या TMC, जिसे जहां जगह मिलती है, वो वहीं पर पार्टी के नारे और चुनाव चिन्ह छापकर चला जाता है।
नाम न छापने के अनुरोध पर एक BJP कार्यकर्ता ने कहा कि TMC मुख्य सड़क और बाजार की सभी दीवारों पर अपना कब्जा जमा रही है। जबकि दूसरी पार्टियों को अंदर गलियों में जगह मिल रही है जहां कम भीड़ होती है।
एक बार हमने कब्जा कर लिया तो फिर कोई नहीं लिख सकता
मनोज खानरा TMC के कार्यकर्ता हैं। दक्षिण 24 परगना में मेन रोड पर दीवारों पर पेंटिंग कर रहे हैं। वे कहते हैं,’ जब हमने एक बार दीवारों पर कब्जा कर लिया और TMC का निशान बना दिया तो फिर दूसरा कोई इस पर नहीं लिख सकता है। हम पहले दीवार पर TMC 2021 लिख देते हैं और आगे एरो का निशान बना देते हैं। जैसे ही चुनाव की तारीखें नजदीक आती हैं, हम उस पर पेंट कर देते हैं।
वॉल पेंटिंग की शुरुआत में प्राइम लोकेशन की दीवारों को सबसे पहले निशाना बनाया जाता है। बाद में गलियों में कच्चे-पक्के घरों की दीवारें भी रंग दी जाती हैं।
वॉल पेंटिंग की शुरुआत में प्राइम लोकेशन की दीवारों को सबसे पहले निशाना बनाया जाता है। बाद में गलियों में कच्चे-पक्के घरों की दीवारें भी रंग दी जाती हैं।
ऐसे कई मामले हैं जहां स्थानीय लोग अपनी पसंदीदा पार्टियों को पेंटिंग के लिए अनुमति देते हैं। जिसको लेकर दूसरे दल के कार्यकर्ता उन्हें टारगेट भी करते हैं। अगर कोई अपनी फेवरेट पार्टी को कैंपेनिंग के लिए जगह देता है तो हो सकता है कि सत्ता में आने पर दूसरी पार्टी उससे बदला ले। कई बार पॉलिटिकल पार्टियां दीवारों पर लगी पेंटिंग के आधार पर वोटर्स का मूड जानने की भी कोशिश करती हैं।
वर्चस्व की लड़ाई बन गया
राजनीतिक विशेषज्ञ पंकज रॉय कहते हैं कि वॉल कैंपेनिंग यहां पहले से चलन में रहा है, लेकिन जिस तरह से अब दीवारों पर कब्जा जमाया जा रहा है, उसमें काफी बदलाव आया है। पहले फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व के आधार पर दीवारों पर जगह मिलती थी। लेकिन पिछले कुछ सालों से यह वर्चस्व की लड़ाई बन गया है।