रेल कारिडोर की पहली लाइन पर आज से गुड्स ट्रेन शुरू, पहला रैक माड़वा पावर प्रोजेक्ट को भेजा गया, यात्री ट्रेनें भी जल्द चलेगी
रायगढ़। रेल कॉरिडोर की पहली लाइन खरसिया-कॉरिछापर के बीच आज से गुड्स ट्रेन चलनी शुरू हो गई। फिलहाल, रोज आठ हजार मीट्रिक टन कोयले का ट्रांसपोर्टेशन किया जाएगा। रेलवे के अफसरों ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही इस लाइन पर यात्री ट्रेनें चलनी शुरू हो जाएगी।
कुछ दिन तक रोज दो रैक चलाया जाएगा। कोयले का पहला रैक आज सरकारी बिजली कंपनी माड़वा पावर प्लांट और दूसरी रैक एनटीपीसी पावर प्लांट को भेजी गई।
44 किलोमीटर लंबी खरसिया और कॉरिछापर के बीच हालांकि, दोहरी लाइन बिछाई जा चुकी है। लेकिन, रेल परिचालन के लिए अभी सिंगल लाइन की अनुमति मिली है। आज छत्तीसगढ़ ईस्ट रेलवे कॉरिडोर लिमिटेड के अफसरों ने बिना किसी तामझाम के मालगाड़ी का परिचालन प्रारंभ कर दिया। कॉरिछापर से रोज दो रैक कोयला ट्रांसपोर्ट किया जाएगा।
हालांकि, इस लाइन को ब़ढ़ाकर धरमजयगढ़ तक ले जाना है। धरमजयगढ़ वहां से 30 किलोमीटर दूर है। खरसिया से धरमजयगढ़ के बीच यात्री ट्रनों के परिचालन के लिए छह स्टेशन बनाए गए हैं। गुरदा, छाल, घरघोड़ा, कॉरिछापर, कुटुमकेला और धरमजयगढ़। 74 किलोमीटर इस लाइन पर सात बड़े और 90 छोटे ब्रिज बनाए गए हैं।
कॉरिडोर के अफसरों ने संकेत दिए हैं कि दो-ढाई महीने में इस लाइन पर यात्री ट्रेनें भी चलनी शुरू हो जाएगी। ट्रेनों के परिचालन के लिए कमिश्नर रेल सेफ्टी की रिपोर्ट की जरूरत पड़ती है। सीआरएस केंद्रीय पर्यटन विभाग के अफसर होते हैं। सीआरएस के क्लियरेंस के बाद ही यात्री ट्रेनें शुरू हो पाती है। अफसरों का कहना है, सीआरएस इंस्पेक्शन के लिए अप्लाई किया जा चुका है। कभी भी उसका डेट आ सकता है।
छत्तीसगढ़ ईस्ट रेल कॉरिडोर में एसईसीएल 64 फीसदी, इरकॉन 26 फीसदी और छत्तीसगढ़ की सीएसआईडीसी की 10 फीसदी की भागीदारी है।
हालांकि, रेल कॉरिडोर के तहत 800 किलोमीटर रेल लाईन बिछनी है। कुछ लाइनो को लेकर विवाद की स्थिति बन रही है। इसमें ब़ड़ी संख्या में जंगल की कटाई को लेकर कई संगठनों द्वारा विरोध किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भी पिछले दिनों रेल कॉरिडोर की समीक्षा में अफसरो से पूछा था कि इस प्रोजेक्ट से छत्तीसगढ़ को कितना लाभ होगा। उन्होंने मुख्य सचिव से 15 दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। मुख्यमंत्री ने इस पर नाराजगी जताई थी कि कोयला जब खतम हो जाएगा तो क्या यहां के उद्योगों के लिए हमें उन्हीं लोगों से कोयला खरीदना पड़ेगा। लिहाजा, बाकी रेल लाइनों के बारे में सीएस की रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ तय हो पाएगा।