रायपुर, 2 दिसंबर। छत्तीसगढ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इंडस्ट्रीज एवं कैट सी.जी. चैप्टर ने संयुक्त रूप से टी.एस. सिंहदेव जी वाण्ज्यिकर मंत्री से मुलाकात की। कैट ने मंत्री से मुलाकात कर केन्द्र सरकार द्वारा टेक्सटाइल, फुटवेयर पर 12 प्रतिशत एवं स्टेशनरी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाये जाने संबधित ज्ञापन सौपां।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने सयुक्त रूप से बताया कि ज्ञापन के माध्यम से वाण्ज्यिकर मंत्री को अवगत कराया गया कि कपड़ा पर टैक्स बढ़ाने के सरकार के फैसले से पूरा कपड़ा व्यापार और उद्योग सदमे में है।
उन्होंने कहा कि कृषि के बाद दूसरी सबसे बड़ी राजस्व पैदा करने वाली वस्तु टेक्सटाइल, फुटवेयर और फुटवेयर है। इस तरह जीएसटी बढ़ा देने से कपड़ा व्यापार ब्व्टप्क् -19 से बुरी तरह प्रभावित होगा। कोरोना से अभी भी ये व्यापार अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा है। परिस्थितियों में कपड़ा पर कर की दरों में यह वृद्धि कपड़ा क्षेत्र में एक और झटका होगा, भोजन, कपड़ा, घर, शिक्षा और स्वास्थ्य मानव की बुनियादी जरूरतें हैं।
कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा पर टैक्स है, रिहायशी मकानों पर सरकार सब्सिडी दे रही है और टैक्स की दर 1 प्रतिशत और 5 प्रतिशत है। कपड़े, फुटवियर एवं स्टेशनरी जो भी एक बुनियादी जरूरत है, उस पर 12 प्रतिशत कर लगाया जाता है, पेन में 12 प्रतिशत से 18 प्रतिशत कर दिया गया है। जो उचित नहीं है।
पारवानी एवं दोशी ने कहा कि कई वर्षों तक कपड़ा, फुटवियर एवं स्टेशनरी पर कोई कर नहीं लगता था। कपड़ा उद्योग को फिर से कर के दायरे में लाना ही पूरे कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़ा झटका था। भारत भर में व्यापार संघ ने पिछली जीएसटी परिषद की बैठक के तुरंत बाद प्रतिनिधित्व किया था जिसमें कपड़ा पर उल्टे शुल्क संरचना को ठीक करने का प्रस्ताव था। व्यापार और उद्योग द्वारा अनुरोध किया गया था कि यथास्थिति / 5 प्रतिशत बनाए रखी जाए और कर की दर 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत जहाँ लागू हो, हालांकि, दर को 5 प्रतिशत तक कम करने के बजाय अधिसूचना संख्या 14/2014 दिनांक 18/11/2017 को कर की दर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।
यह न केवल अंतिम उपयोगकर्ता पर वित्तीय बोझ बढ़ाएगा बल्कि छोटे व्यवसायियों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा और कर चोरी और विभिन्न कदाचार को प्रोत्साहित करेगा। साथ ही जो माल व्यवसायियों के स्टॉक में पड़ा है और एमआरपी पर बेचा गया है, उसका 7 प्रतिशत अतिरिक्त भार व्यवसायियों पर पड़ेगा। कर आरटीई में यह वृद्धि न केवल घरेलू व्यापार को बाधित करेगी बल्कि निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। पहले से ही कपड़ा उद्योग वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के साथ सक्षम स्थिति में नहीं है।
एक तरफ सरकार मेक इन इंडिया और आत्मानिर्भर भारत के बारे में बात करती है, दूसरी तरफ इस तरह के उच्च कर लगाने से अनिश्चितता और निराशा का माहौल पैदा होता है। पारवानी एवं दोशी ने माननीय मंत्री जी से यह अनुरोध किया है कि मूल्य पर किसी भी सीमा और श्रेणी के बिना 5 प्रतिशत की दर से एकल दर पेश की जाए और इस प्रकार जारी अधिसूचना को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया जाए, कृपया इसे वापस लिया जाए। सरकार के इस कदम से न सिर्फ अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि उम्मीद और निश्चितता का माहौल बनेगा. यदि कपड़ा व्यापार और उद्योग के इस अनुरोध और स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया गया तो पूरा उद्योग अस्तित्व के लिए संघर्ष करने की स्थिति में होगा और अंततः पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा।
वाण्ज्यिकर मंत्री ने ज्ञापन का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया और कैट सी.जी. चैप्टर एवं छ.ग. चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इंडस्ट्रीज को सकारात्मक आश्वासन दिया साथ ही कहा कि व्यापारी हितो को ध्यान में रखा जायेगा।
टी.एस. सिंहदेव वाण्ज्यिकर मंत्री से मुलाकात में छत्तीसगढ़ चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड़ इण्ड़स्ट्रीज एवं कैट सी.जी. चैप्टर पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित रहे :- अमर पारवानी, जितेन्द्र दोशी, विक्रम सिंहदेव, वासु माखीजा, भरत जैन, कैलाश खेमानी, चन्दर विधानी, सरल मोदी (द रायपुर थोक कपड़ा व्यापारी संघ लिमिटेड), नितेश कुमार अग्रवाल, दीपक गंगवानी (रायपुर होलसेल फुटवेयर एसोसियेशन), पवन जीवन, रमेश हिरवानी (रायपुर होलसेल स्टेशनरी एसोसियेशन) आदि।