
रायपुर, 5 मई। Prajapita Brahma Kumari : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित समर कैम्प के दूसरे दिन आत्म अुनभूति विषय पर बोलते हुए ब्रह्माकुमारी चित्रलेखा दीदी ने कहा कि यदि हम अपने जीवन में आगे बढऩा चाहते हैं तो यह जानना निहायत जरूरी है कि मैं कौन हूॅं? उन्होंने बतलाया कि इस दुनिया में जितने भी जड़ पदार्थ हैं, वह स्वयं अपने ही उपयोग के लिए नही बने हैं। सभी जड़ पदार्थों का उपभोग करने वाला उससे भिन्न कोई चैतन्य प्राणी होता है। हमारा यह शरीर भी जड़ पदार्थों से बना पांच तत्वों का पुतला है तो जरूर इसका उपयोग करने वाला इससे भिन्न कोई चैतन्य शक्ति होनी चाहिए।
ब्रह्माकुमारी चित्रलेखा दीदी (Prajapita Brahma Kumari) ने आगे कहा कि जब हम कहते हैं कि मुझे शान्ति चाहिए? तो यह कौन है जो कहता है कि मुझे शान्ति चाहिए? शरीर शान्ति नही चाहता। आत्मा कहती है कि मुझे शान्ति चाहिए। उन्होने आगे कहा कि आत्मा एक चैतन्य शक्ति है। शक्ति को स्थूल नेत्रों से देखा नही जा सकता लेकिन मन और बुद्घि से उसका अनुभव किया जाता है। जैसे बिजली एक शक्ति है, वह दिखाई नही देती किन्तु बल्ब जल रहा है, पंखा चल रहा है, तो हम कहेंगे किबिजली है। इसी प्रकार आत्मा के गुणों का अनुभव करके उसकी उपस्थिति का अहसास होता है। आत्मा का स्वरूप अतिसूक्ष्म ज्योतिबिन्दु के समान है। आत्मा के शरीर से निकल जाने पर शरीर कोई इच्छा नहीं करता है। मृत शरीर के पास ऑंख, मुख, नाक आदि सब कुछ होता है लेकिन वह न तो देख सकता है, न ही बोल अथवा सुन सकता है।
ब्रह्माकुमारी चित्रलेखा दीदी ने आगे कहा कि आत्मा तीन शक्तियों के द्वारा अपना कार्य करती है। वह किसी भी कार्य को करने से पहले मन के द्वारा विचार करती है, फिर बुद्घि के द्वारा यह निर्णय करती है कि उसके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित? तत्पश्चात किसी भी कार्य की बार-बार पुनरावृत्ति करने पर वह उस आत्मा का संस्कार बन जाता है।
स्वस्थ रहने के लिए भोजन, पानी, व्यायाम और मेडिटेशन का सन्तुलन रखें: डॉ. विवेक भारती
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व शान्ति भवन चौबे कालोनी रायपुर में आयोजित समर कैम्प के दूसरे दिन प्राकृतिक चिकित्सक एवं फिटनेस ट्रेनर डॉ. विवेक भारती ने स्वस्थ रहने के लिए बच्चों को कुछ उपयोगी टिप्स दिए। प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. विवेक भारती ने बतलाया कि सिर्फ बीमारी का नहीं होना ही स्वस्थ होना नहीं है बल्कि शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टि से स्वस्थ रहना है।
उन्होंने कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें तनाव से बचना चाहिए। स्वस्थ रहने के लिए जीवन में भोजन, पानी, व्यायाम, उपवास और मेडिटेशन का सन्तुलन रखना भी जरूरी है। व्यायाम करने से हमारे शरीर में एण्डार्फिन हार्मोन निकलता है जिससे कि खुशी का अनुभव होता है। हमारे शरीर में पानी का उचित बैलेन्स होना जरूरी है। शरीर में बनने वाली गन्दगी को यह बाहर निकालने में मदद करता है।
उन्होंने कहा (Prajapita Brahma Kumari) कि आजकल विज्ञापन का जमाना है। लोग अपना प्रॉडक्ट बेचने के लिए झूठे विज्ञापनों का सहारा लेने लगे हैं। बच्चे उसे नहीं पहचान पाते और उस वस्तु का उपयोग करके अपने को बीमार कर लेते हैं। इसलिए सिर्फ विज्ञापन के आधार पर किसी चीज को न खरीदें।