कैबिनेट की बैठक 29 फरवरी को सतरेंगा में, जल पर्यटन के रूप में विकसित करने का एक प्रयास
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक 29 फरवरी को दोपहर एक बजे से कोरबा जिले के सतरेंगा में होगी। कोरबा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूरी पर हसदेव बांगो के किनारे बसे सतरेंगा को साहसिक और जल पर्यटन स्थल के रूप विकसित किया जा रहा है। सतरेंगा के बांध में पानी के ऊपर तैरता हुआ पुल बनाया गया है। इस पुल से चलकर पहाड़ियों पर पहुंचा जाता है।
ज्ञातव्य है कि छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हसदेव नदी पर बांगो बांध का निर्माण किया गया हैै। यह छत्तीसगढ़ राज्य की सबसे बड़ी एवं पहली बहुउद्देश्यीय जल परियोजना है। यह बांध मध्यभारत के सबसे विशालतम बांधों की श्रेणी में से एक है। पहाड़ियों से घिरे इस बांध के बीचों-बीच कई छोटे द्वीप है जो इसके सौंदर्य को बढ़ावा देती है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा हसदेव बांगो के किनारे बसे सतरेंगा, बुका एवं गोल्डन आइलैण्ड को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए परियोजना तैयार की गई है। इस स्थान को साहसिक पर्यटन एवं जल पर्यटन के लिए विकसित किया जा रहा है।
सतरेंगा के वन परिक्षेत्र में अनेक प्रकार की वनौषधियां भी है जिसका उपयोग प्राकृतिक उपचार एवं दवा के रूप में किया जाता है। इसी गांव में 1400 साल पुराना विशाल साल वृक्ष भी है। यहां का महादेव पहाड़ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, जिसे देखते ही बनता है। सतरेंगा के निकट देवपहरी का प्रसिद्ध जलप्रपात भी है। इस परिक्षेत्र में अनेक पुरातात्विक धरोहर का आकर्षण भी है। जिसमें शैलचित्र प्रमुख है।
राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा लगातार प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में पहली बार योजनाबद्ध तरीके से जल-पर्यटन को बढ़ावा देने एवं स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्थानीय विकास के उद्देश्य से जिले में ‘हसदेव क्रूज एण्ड एडवेंचर स्पोर्टस सोसाईटी कोरबा‘ का गठन किया गया है। इसी कड़ी में सतरेंगा के 11 स्थानीय निवासियों को पावर मोटर बोट्स चालन एवं सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण दिया गया है। जल्द ही यहां पर्यटन की गतिविधियों जिसमें बोटिंग, स्पीड बोटिंग, फ्लोटिंग रेस्टोरेंट, ओपेन एयर आॅडिटोरियम तथा रिसाॅर्ट आदि की शुरूआत की जाएगी। पर्यटकों के रूकने के लिए क्रूज, फ्लोटिंग काॅटेजेस के निर्माण के साथ ही अन्य साहसिक एवं जलक्रिड़ा की गतिविधियां भी यहां प्रारंभ की जाएंगी।