रायपुर

Collector-DFO Conference : वन संसाधनों से आत्मनिर्भरता की ओर…! कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में आजीविका-पारदर्शिता-संरक्षण पर हुआ मंथन

रायपुर, 13 अक्टूबर। Collector-DFO Conference : प्रदेश में वनों से जुड़ी आजीविका को सशक्त बनाने, तेंदूपत्ता संग्राहकों के हितों की रक्षा करने, और वन आधारित उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देने हेतु आज कलेक्टर एवं डीएफओ की अहम बैठक आयोजित की गई। इस कलेक्टर-डीएफओ कॉन्फ्रेंस में वन संसाधनों के समुचित प्रबंधन और सतत विकास को लेकर कई ठोस निर्णय लिए गए।

तेंदूपत्ता संग्राहकों के हित में पारदर्शी व्यवस्था

बैठक में तेंदूपत्ता संग्राहकों को समय पर भुगतान और पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया। भुगतान 7 से 15 दिनों के भीतर सुनिश्चित किया जाएगा। संग्राहकों को SMS के माध्यम से भुगतान की जानकारी भेजी जाएगी। सभी भुगतान बैंक खातों के माध्यम से होंगे। संपूर्ण संग्रहण प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत करने की दिशा में पहल होगी। अब तक लगभग 15.60 लाख संग्राहकों को ऑनलाइन जानकारी उपलब्ध कराई जा चुकी है।

लघु वनोपज आधारित आजीविका को बढ़ावा

लघु वनोपजों को वनांचल में आजीविका के मजबूत साधन के रूप में विकसित किया जाएगा। वन धन केन्द्रों को सशक्त किया जाएगा। छत्तीसगढ़ हर्बल और संजीवनी उत्पादों को स्थानीय और शहरी बाजार में प्रोत्साहन मिलेगा। जैविक प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को तेज़ करने के निर्देश दिए गए। लघु वनोपज आधारित स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।

औषधीय पौधों की खेती

धमतरी, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिलों में औषधीय पौधों की खेती को लेकर जानकारी साझा की गई। औषधीय पादप बोर्ड के सीईओ ने क्षेत्र में संभावनाओं और आजीविका से जुड़े पहलुओं पर विस्तृत जानकारी दी। कृषि और उद्यानिकी विभाग के मैदानी अमले की सहायता से प्रचार-प्रसार गतिविधियों को गति दी जाएगी।

बांस आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती

राज्य में 3.71 लाख हेक्टेयर उत्पादक बांस क्षेत्र है। मुख्यमंत्री ने उच्च मूल्य वाली बांस प्रजातियों को बढ़ावा देने के निर्देश दिए। 28 बांस प्रसंस्करण केंद्रों को सक्रिय किया जाएगा। जनजातीय शिल्पकारों को मार्केट से जोड़ने और प्रशिक्षण देने की रणनीति पर चर्चा हुई।

हरियाली के लिए सामूहिक प्रयास

‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत दो वर्षों में 6 करोड़ पौधे रोपे गए। माइक्रो अर्बन फॉरेस्टिंग की भी शुरुआत की गई है।

इको-टूरिज्म से आजीविका

राज्य के 240 नैसर्गिक पर्यटन केंद्रों से स्थानीय युवाओं और समुदायों को वर्ष भर रोजगार मिल रहा है। अप्रत्यक्ष रूप से 2000 से अधिक परिवारों को लाभ मिल रहा है। इको-टूरिज्म को आजीविका का प्रमुख साधन बनाने की दिशा में रणनीति बनी।

गज संकेत ऐप से हाथी-मानव संघर्ष पर नियंत्रण

‘गज संकेत’ एलीफेंट ट्रैकिंग ऐप के ज़रिए अब वास्तविक समय में हाथियों की निगरानी संभव हो रही है। यह तकनीक कम नेटवर्क वाले क्षेत्रों में भी काम करती है। 14 वनमंडलों में लागू यह ऐप जल्द ही सभी मंडलों में विस्तारित होगा। ग्रामीणों को स्थानीय भाषाओं में अलर्ट और शिक्षा मिलेगी। छत्तीसगढ़ में सफलता के बाद अब देश के 6 अन्य राज्यों में भी इसका उपयोग शुरू हो गया है।

बैठक में (Collector-DFO Conference) स्पष्ट किया गया कि वन आधारित संसाधन सिर्फ पर्यावरण के लिए नहीं, बल्कि जनजातीय आजीविका, स्थानीय व्यापार, और राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अब लक्ष्य यह है कि तकनीक, पारदर्शिता और स्थानीय भागीदारी से वनों को आर्थिक समृद्धि का आधार बनाया जाए।

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