छत्तीसगढ

Vande Mataram Song : वंदे मातरम गीत के 150 वर्ष पूर्ण…! 7 नवंबर को BJP करेगी सामूहिक गायन और सांस्कृतिक आयोजन…मंत्री राम विचार नेताम और प्रदेश उपाध्यक्ष रंजना साहू होंगे मुख्य अतिथि

दुर्ग, 05 नवम्बर। Vande Mataram Song : 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा देशभर में भव्य उत्सव मनाने का निर्णय लिया गया है। इसी कड़ी में दुर्ग जिला भाजपा की ओर से 7 नवंबर को सामूहिक वंदे मातरम गायन का आयोजन किया जा रहा है।

यह कार्यक्रम पुराना बस स्टैंड, दुर्ग में शाम 3 बजे से शुरू होगा। मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ शासन के कैबिनेट मंत्री राम विचार नेताम और प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष रंजना साहू उपस्थित रहेंगी। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी लोक कलाकार आरु साहू एवं उनकी टीम सांस्कृतिक प्रस्तुति देंगी।

बैठक में बनी आयोजन की रूपरेखा

आयोजन की तैयारियों को लेकर दुर्ग जिला भाजपा कार्यालय में आवश्यक बैठक आयोजित की गई। बैठक में कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई और सभी कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गईं। बैठक में दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक, भिलाई जिला अध्यक्ष पुरुषोत्तम देवांगन, महापौर अलका बाघमार, निगम सभापति श्याम शर्मा, जिला उपाध्यक्ष शिवेंद्र परिहार सहित वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।

‘वंदे मातरम’ राष्ट्रीय एकता का प्रतीक : जितेंद्र वर्मा

भाजपा प्रदेश मंत्री जितेंद्र वर्मा ने कहा कि, वंदे मातरम गीत राष्ट्रवाद और एकता का सशक्त माध्यम है। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस गीत ने देश की जनभावना को नई दिशा दी थी। आज भी यह हर भारतीय के भीतर देशप्रेम की भावना जगाता है।

जिला भाजपा महामंत्री दिलीप साहू ने बताया कि इस आयोजन में दुर्ग शहर के नागरिक, सामाजिक संगठन, व्यापारिक संघ, महिला व युवा संगठन बड़ी संख्या में भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि, यह कार्यक्रम राष्ट्रभक्ति, एकता और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा का प्रतीक होगा।

इतिहास में ‘वंदे मातरम’ की गौरवगाथा

बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक ने बताया कि ‘वंदे मातरम’ का अर्थ है, ‘मां, मैं तुम्हें नमन करता हूं’। यह गीत 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचा गया था। 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने इसका प्रसिद्ध वाचन किया और 1950 में इसे भारत का राष्ट्रगीत घोषित किया गया। विभाजन और स्वदेशी आंदोलन के दौरान यह गीत राष्ट्रवाद, एकता और ब्रिटिश शासन के विरोध का प्रतीक बन गया था।

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