छत्तीसगढ

डीईआईसी सेंटर: विशेषज्ञ कर रहे बच्चों को सेंटर लाने की अपील, 4 वर्षों में करीब सैकड़ों मरीजों ने लिया है उपचार और परामर्श

रायपुर, 6 जुलाई। कोरोनावायरस (कोविड-19) अनलॉक 2 चल रहा है। जिला अस्पताल शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर / डीईआईसी सेंटर) ने मानसिक विकारों से ग्रसित बच्चों के अभिभावकों से ऐसे बच्चों को उपचार के लिए अस्पताल लाने की अपील की है। इस सेंटर में परामर्श के लिए पहले के मुकाबले कम बच्चे पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों द्वारा ऐसे बच्चों को आवश्यक चिकित्सकीय परामर्श के लिए सेंटर आने की हिदायत अभिभावकों को फोन कर दी जा रही है।

हालांकि लॉकडाउन में अब काफी ढील हुई है और अस्पताल में कई आवश्यक सेवाएं भी शुरू कर दी गई हैं परंतु उक्त सेंटर में नए मरीज नहीं आ रहे हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ एवं इंचार्ज शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी सेंटर) रायपुर डॉ. निलय मोझरकर का कहना है मानसिक विकार जैसे, ऑटिज्म भी एक प्रकार की दिव्यांगता है जिसका सही वक़्त पर उपचार करने से काफी लाभ होता है। महामारी संक्रमणकाल के पूर्व डीईआईसी सेंटर में बच्चों का इलाज जारी था। लॉकडाउन की वजह से उन बच्चों को घर पर ही नियमित देखभाल करने, फिजियोथैरेपी आदि करते रहने की सलाह दी गई थी। लॉकडाउन के दौरान भी विशेषज्ञ फोन पर ही उन बच्चों को चिकित्सकीय सलाह दे रहे थे। लेकिन अब जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं भी शुरू हो चुकी हैं, परंतु सेंटर में नए मरीज ( बच्चे) नहीं आ रहे हैं, जबकि ऐसे बच्चों को चिकित्सकीय परामर्श और फिजियोथैरेपी की जरूरत होती है। उन्होंने बताया यदि विशेष लक्षण वाले बच्चों को समय पर चिकित्सकीय परामर्श ना मिले तो उनके विकार बढ़ जाते हैं, इसलिए उन्होंने ऐसे बच्चों को सेंटर लाने और चिकित्सकीय परामर्श लेने अपील की है।

असामान्य व्यवहार वाले बच्चों के लिए सेंटर- बच्चों के मानसिक विकास में विलंबता, मानसिक विकार, ऑटिज्म और अन्य प्रकार की दिव्यांगता के विशेष इलाज के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र (डीईआईसी सेंटर) खोला गया है। सेंटर में ऐसे बच्चों की विशेष देखभाल होती है। बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों, केयर टेकर की काउंसिलिंग होती है ताकि घर में अच्छा वातावरण इन बच्चों को मिले। सेंटर में विशेष तौर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा बहु विषयक टीम, साइकोलॉजिस्ट, स्पेशल एजुकेटर, सोशल वर्कर, ऑक्यूपेशनल थैरेपिस्ट तथा फिजियोथेरेपिस्ट की देखरेख में ऐेसे बच्चों का उपचार किया जाता है।

कोरोनाकाल के पूर्व और वर्तमान स्थिति- शीघ्र हस्तक्षेप केन्द्र में जनवरी 2020 में 43 मरीज पहुंचे, इनमें 41 फॉलोअप हुए, फरवरी में 38 मरीज पहुंचे, इनमें 37 फॉलोअप हुए, मार्च में 27 मरीज पहुंचे , जिनमें से 23 फॉलोअप के लिए आए। लेकिन लॉकडाउन लगते ही अप्रैल में 3 मरीज पहुंचे, इनमें 2 फॉलोअप के लिए आए। वहीं मई में 11 और जून में 12 मरीजों को परामर्श मिला। अप्रैल और मई माह में फोन से भी फॉलोअप लिया जा रहा था, मगर जून में लॉकडाउन में छूट के बाद भी मरीज सेंटर तक नहीं पहुंच रहे। जबकि बीते चार साल में इस सेंटर से लगभग 2100 बच्चों को परामर्श दिया गया है।

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