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मौत की बारिश : 124 लोगों ने गंवा दी जान, दर्जनों की तलाश जारी, कई इलाके जलमग्न

a national disaster response force personnel rescues an elderly woman stranded in floodwaters in kol

भारत में मानसून की वजह से अलग-अलग जगहों पर हुई भारी बारिश और भूस्खलन के कारण जान गंवाने वालों की संख्या बढ़कर अब 124 तक पहुंच गई है। रविवार को अधिकारियों ने यह आंकड़ा जारी करते हुए यह भी बताया कि इसमें बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि दर्जनों लोगों की तलाश अभी भी जारी है। गुरुवार से जारी मूसलाधार बारिश से देश का पश्चिमी तट जलमग्न हो गया है। मौसम विभाग ने इस क्षेत्र में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का अनुमान भी पेश किया है।

अकेले महाराष्ट्र में ही अभी तक आधिकारिक तौर पर 114 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। इनमें वे 40 लोग भी शामिल हैं, जो गुरुवार को दक्षिणी मुंबई में हुए भयंकर भूस्खलन की चपेट में आ गए थे। गांव के एक निवासी  जयराम महास्के ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि अभी भी उनके रिश्तेदार मलबे में फंसे हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जैसे ही भूस्खलन हुई बहुत से लोगों ने भागने की कोशिश की और इस कारण वे पानी के तेज बहाव में बह गए। चंद मिनटों में दर्जनों घर बह चुके थे और बिजली व्यवस्था ठप हो गई।

बचाव कार्य में जुटे लोग अभी भी मलबा हटाने में लगे हुए हैं क्योंकि 99 लोग अभी भी लापता हैं। दक्षिणी मुंबई में ही दो अलग-अलग भूस्खलन की घटनाओं में भी दर्जनों की जान चली गई। बाढ़ जैसी स्थिति की वजह से मुंबई के एक कोरोना अस्पताल में बिजली आपूर्ति बाधित हुई, जिससे वेंटिलेटर पर भर्ती आठ मरीजों की जान चली गई।

गोवा में 1982 के बाद सबसे खराब स्थिति

पड़ोसी राज्य गोवा में भी बाढ़ जैसी स्थिति है। खुद मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने इसे 1982 के बाद से अब तक की सबसे भयानक बाढ़ करार दिया है। यहां भी एक महिला की पानी में डूबने से मौत होने की खबर है।

कर्नाटक के 11 जिलों में बिजली आपूर्ति बाधित, फसलें बर्बाद

दक्षिणी कर्नाटक में भी बारिश से मरने वालों का आंकड़ा 3 से बढ़कर 9 पहुंच गया है और अभी भी 4 लोग लापता हैं। राज्य के 11 जिलों में बिजली आपूर्ति बाधित है और अधिकारियों के मुताबिक, राज्य के बड़े इलाके में बारिश के कारण फसलें बर्बाद हो गई हैं।

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