छत्तीसगढ

कैट ने किया बड़ा सर्वे : व्यापार जगत में आर्थिक निर्वासन समाप्त…कैसे देखें

रायपुर, 4 अक्टूबर।  दिवाली की खरीदारी को लेकर देशभर के बाजारों में पिछले एक सप्ताह से उत्साह देखने को मिला। कैट का आंकलन है कि देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए लोग घरों से लेकर ऑफिस की सजावट की सजावट के लिए पारंपरिक सामानों की खरीदारी करेंगे।

सर्वे के लिए चुने गए टॉप 20 शहर

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं  प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा कि, कैट की अनुसंधान शाखा, कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी ने देश के सभी राज्यों में 20 शहरों में प्रमुख व्यापारिक नेताओं के साथ टेलीफोन सर्वेक्षण किए गए, जिन्हें वितरण केंद्र के रूप में जाना जाता है। इस सर्वे के जरिए सभी व्यापारियों ने अपने-अपने राज्यों में दिवाली की बिक्री की जानकारी जुटाई।

एकत्रित जानकारी से पता चला कि कैट ने जैसा अनुमान लगाया, ठीक वैसा ही प्रतिसाद मिला। इस साल देशभर में दिवाली की बंपर बिक्री करीब 1.25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा हुई है। कैट के अधिकारियों ने इस बात पर खुशी जताई कि भारत के लोगों ने कोरोना से सुरक्षा और भारतीय सामानों की खरीद-बिक्री के मामले में कोविड और चीन दोनों को पछाड़ दिया है।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया की कैट की रिसर्च विंग कैट ट्रेड एंड रिसर्च डेवलपमेंट सोसाइटी ने देश के अलग-अलग शहरों में व्यापारियों के बीच एक सर्वे किया। इसके आधार पर यह पाया कि इस बार दीवाली के मौके पर लोग खास तौर पर मिटटी के दिए, हाथ की बानी वंदनवार, मोमबत्ती एवं मोम के बने दिए, रुई, घर को सजाने के लिए रंगोली के रंग, मिटटी की हठरी, खांड के बने खिलौने, मिटटी के श्री लक्ष्मी एवं श्री गणेश जी, पेपरमेशी से बनी कंडीलें और पूजन के लिए खील-बताशे खरीदे।

यह बात चेयरमेन मगेलाल मालू सहित अमर गिदवानी,  प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीडिया प्रभारी संजय चौंबे ने भी सयुक्त रूप से बताया। उनकी माने तो इस वर्ष चीनी सामानों का पूर्ण बहिष्कार के कारण भारतीय सामानों को लोगों ने बड़े पैमाने पर खरीदे। इससे भारत में व्यापारियों के लिए दो साल के व्यापार निर्वासन को समाप्त करने में कुछ हद तक सफलता जरूर मिला।

बहिष्कार अभियान ने इस तरह काम किया

कैट के गत वर्ष शुरू किये गए ‘चीनी सामानों के बहिष्कार’ के आह्वान के बाद इस साल दिवाली पर देश ने चीन को 50 हजार करोड़ से अधिक के व्यापार के बड़े नुकसान पर खुशी जताई। दिलचस्प बात यह है कि इस साल छोटे कारीगरों, कुम्हारों, शिल्पकारों और स्थानीय कलाकारों ने अपने उत्पादों की अच्छी बिक्री की।

राज्य स्तर, जिला स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर हजारों छोटे निर्माताओं ने अपने स्वयं के ब्रांड के सामान की जबरदस्त बिक्री हुई। इससे एफएमसीजी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और किराना उत्पादों के क्षेत्र में बड़ी विदेशी और भारतीय कंपनियों के एकाधिकार को नष्ट कर दिया। उन्होंने उस आपूर्ति की कमी को पूरा किया जो कि चीनी सामन की अनुपस्थिति के कारण हुआ था। कैट अधिकारियों ने कहा कि हम चीन से आयात को कम करने के अपने लक्ष्य दिसंबर, 2022 तक पूरा कर लेंगे।

पटाखा निर्माताओं को हुआ बड़ा नुकसान

वहीं पटाखा नीति के बारे में राज्य सरकारों के ढुलमुल रवैये के कारण पटाखों के छोटे निर्माताओं और विक्रेताओं को लगभग 10 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ है।

देश भर में बढ़ा पैकेजिंग का व्यापार

सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि पैकेजिंग व्यापार का एक नया व्यापारिक कार्यक्षेत्र बन गया है जिसमें इस वर्ष दिवाली पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ।राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं  प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी उम्मीद जताई है कि दिवाली पर जिस तेजी से व्यापार हुआ है उसको देखते हुए दिसंबर 2021 के अंत तक देश भर के बाजारों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये की पूंजी का प्रवाह होगा जिससे अर्थव्यवस्था तो पटरी पर आएगी ही बल्कि व्यापारियों का वित्तीय संकट भी समाप्त होगा।

पारंपरिक सामानों की बंफर खरीदारी

दिवाली व्यापार में खास तौर पर एफएमसीजी सामान, उपभोक्ता सामान, खिलौने, बिजली के उपकरण और सामान, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सफेद सामान, रसोई के सामान और सहायक उपकरण, उपहार के सामान, मिष्ठान आइटम, होम फर्निशिंग, टेपेस्ट्री, बर्तन, सोना और गहने, जूते, घडय़िां जैसे प्रमुख खुदरा कार्यक्षेत्र, फर्नीचर, जुडऩार, फैशन परिधान, घर की सजावट के सामान, मिट्टी के दीयों सहित दिवाली पूजा के सामान, देवता, दीवार पर लटकने वाली सजावटी वस्तुएं, हस्तशिल्प के सामान, वस्त्र, शुभ-लाभ वंदनवार, ओम जैसे सौभाग्य के प्रतीक, त्योहारी सीजन में घर की साज-सज्जा आदि में जबरदस्त व्यापार हुआ।

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