छत्तीसगढराज्य

Arson & Sabotage in Parsa : खदान समर्थक ग्रामीणों में डर का माहौल

साल्हि, 16 अप्रैल। Arson & Sabotage in Parsa : एक तरफ जहां परसा खदान को मंजूरी के बाद आसपास के ग्रामीणों में खुशी की लहर फैल चुकी थी तो वहीं एक एनजीओ के द्वारा खदान का काम रोकने की कोशिश में की गयी आगजनी की घटना से ग्रामीण अब दहशत में नजर आ रहे हैं।

शुक्रवार को योजनाबद्ध तरीके से कुछ असामाजिक तत्वों को महिलाओ और बच्चों की आड़ में हथियारो के साथ परसा खदान क्षेत्र में घुसाया गया।  इस पूरे घटनाक्रम के जनक अलोक शुक्ला ने खुद ही कल दो वीडियो अपने टविटर पर डाले थे जिसमे अनेक हथियार बंद लोग महिलाए और बच्चो के पीछे चलते हुए नज़र आ रहे है। राजस्थान सरकार की परसा खदान को श्री बघेल सरकार की अनुमति मिलने से बौखलाए हुए लोगों को कानून का भी कोई खौफ नहीं रहा। उनके द्वारा अब कानून को भी हाथ में लेकर खदान समर्थित ग्रामीणों को दहशत में डालने की कोशिश की जा रही है। 

ग्रामीणों और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गेहलोत के अनुरोध पर परसा खदान को मिली अनुमति से बौखलाए पेशेवर प्रदर्शनकारी अब हिंसक तरीकों को अपना रहे है। इस घटना से अब यह कहावत “खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे” बिलकुल सार्थक होती है कि इनके लाख कोशिशों के बावजूद परसा के वास्तविक ग्रामीणों की जीत हुई है।

जो पिछले 2 वर्षों से पुनर्व्यस्थापन और पुनर्वास के तहत आजीविका और रोजगार के इंतजार में अपनी जमा पूंजी को खर्च करने में मजबूर हो रहे हैं। इस आगजनी की घटना के बाद जिले के प्रशासनिक अधिकारीयों द्वारा क्षेत्र का दौरा कर स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की गयी। पुलिस प्रशासन घटना की जांच में लगा है वहीं स्थानीय लोग आशा करते है की अब उनके क्षेत्र में शांति बानी रहे। साथ ही प्रशासन ने तथाकथित एनजीओ के द्वारा फर्जी ग्रामसभा के आरोप को भी सिरे से नकार दिया गया है।

इस घटना के बारे में डिप्टी कलेक्टर सरगुजा अनिकेत साहू ने कहा (Arson & Sabotage in Parsa) कि, “आज परसा कोल ब्लॉक के विरोध में ग्राम हरिहरपुर के ग्रामीणों ने अपना प्रदर्शन किया। सभी प्रदर्शनकारी हथियारों से लैस थे और ग्राम साल्ही में आगजनी की घटना को अंजाम दिया है। इसके लिए जिम्मेदारों पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। इसकी ग्राम सभा हुई थी जहां तक फर्जी ग्राम सभा की शिकायत की बात है तो इसकी जांच कर रिपोर्ट जमा कर दिया गया है।”

सरगुजा के एएसपी विवेक शुक्ला ने कहा कि, “आज साल्हि ग्राम में ग्राम मानिकपुर और बाहर से आये 300 से ज्यादा लोगो ने खदान के लिए बनाये गए शेड और जनरेटर में आग लगा कर कानून व्यवस्था को अपने हाथों में लेने का अपराध किया गया है। इसी ग्राम के 10 लोगों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा १४७,१४८,१४९,४५२,२९४,५०६,३२३,४३६,२५ एवं २७ के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। इसकी जाँच करा उचित कार्यवाही की जाएगी।”

परसा खदान के सलका ग्राम के श्री जीतू दास का कहना है कि,” 2020 में हम लोगो का जमीन ले लिया गया और उसका मुआवजा भी मिल गया लेकिन उसके जरिये से हमें नौकरी नहीं मिल रहा है इसमें हमारा पूरा परिवार जुड़ा हुआ है। हम जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री से अनुरोध करते है की परसा खदान का काम जल्द ही शुरू करवाएं।”

परसा खदान के साल्हि ग्राम के प्रधान राम ने कहा कि,” हमने २९ मार्च को खदान खोलने के लिए कलेक्टर महोदय को ज्ञापन दिए थे इसके आधार पर मुख्यमंत्री जी ने खदान खोलने का अनुमति दिया इसका बहुत बहुत धन्यवाद है वहीं इसके विरोध में जो बाहरी एन जी ओ आ रहें हैं उनका हम विरोध करते हैं हम प्रशासन से अनुरोध करते हैं कि वे उनपर प्रतिबन्ध लगाए और खदान जल्दी चालू कराये जिससे हमें रोजगार मिल सके।”

ग्राम फत्तेपुर के एक ग्रामीण ने बताया की, हम चाहते हैं की अब जब कोल ब्लॉक खोलने का आदेश आ गया है तो यह जल्द से जल्द खुले और हमें रोजगार मिल सके।”

पिछले महीने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजधानी रायपुर अपने युवा साथी और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल से मिलकर अपने राज्य में चल रही कोयले और बिजली की किल्लत का हल ढूंढने मुलाकात की थी। श्री बघेल ने उनको मीडिया के सामने भरोसा दिलाया था की वह राजस्थान को नियम से होने वाली हर मदद करेंगे।

उसके बाद परसा के स्थानीय लोग को आशा (Arson & Sabotage in Parsa) जगी थी की क्षेत्र में राजस्थान की खदान खुलने से उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा। वहीं कोयले के बढ़े हुए दाम से छत्तीसगढ़ सरकार को अतिरिक्त राजस्व की भी प्राप्ति हो सकती है। किन्तु कल की हुई इस घटना इस बात की ओर भी इशारा करती है की यह तथाकथित एनजीओ अगर चाहे तो छत्तीसगढ़ की कानून व्यवस्था को भी चुनौती दे सकते हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर क्षेत्र में जिस प्रकार टाटा, एस्सार, इत्यादि जैसी बड़ी कंपनियां और कॉर्पोरेट्स माओवाद के सामने असहाय महसूस करते हुए वापस चली गयी कहीं सरगुजा को भी तो इसी तरह के माओवाद की भेट चढ़ाने के लिए उकसाने की कोशिश तो नहीं?

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