छत्तीसगढ

Livelihood Activities : IIT बॉम्बे देगा बेहतर तकनीकी सहयोग, रायगढ़ जिले दौरे पर 3 सदस्यीय टीम

रायपुर, 18 फरवरी। Livelihood Activities : भारत के अग्रणी इंजीनियरिंग संस्थान IIT बॉम्बे की 3 सदस्यीय टीम रायगढ़ जिले के दौरे पर है। इस दौरान टीम ने वहां आयोजित विभिन्न आजीविका गतिविधियों को बेहतर बनाने के लिए तकनीकी सहायता और परामर्श देने की बात कही। इसकी मदद से उत्पादों की विविधता, गुणवत्ता और लागत को कम करके उत्पादों को अधिक लाभदायक बनाया जाएगा।

IIT बॉम्बे से पहुंची टीम सेण्टर फॉर टेक्नोलॉजी अल्टरनेटीव्स फॉर रूरल एरियाज में काम करती हैं। 3 सदस्यीय इस टीम में प्रोफेसर बकुल राव, प्रोफेसर सुषमा कुलकर्णी और यतिन दिवाकर शामिल हैं।

गौठानों और स्थानीय पारंपरिक उत्पादों का अध्ययन

आजीविका गतिविधियों से जुड़ी महिलाओं को उचित तकनीकी प्रशिक्षण और व्यावसायिक प्रशिक्षण देने जैसे पहलुओं पर भी काम किया जाएगा। यहाँ पर वे गौठानों और ग्रामीण इलाकों में महिला समूहों के काम तथा स्थानीय परम्परागत उत्पादों को तैयार किये जाने के तरीके का अध्ययन कर रही हैं।

बांस से अधिक दैनिक आवश्यक वस्तुएं बनाने पर जोर

IIT बॉम्बे की टीम (Livelihood Activities) ने जिले के कलेक्टर भीम सिंह और सीईओ जिला पंचायत डॉ.रवि मित्तल के साथ आजीविका संवर्धन से जुड़े विभागों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक कर जिले में संचालित विभिन्न गतिविधियों को तकनीकी रूप से बेहतर बनाने की संभावनाओं पर चर्चा की। जिसमें मुख्य रूप से बांस के उत्पाद से मजबूत व टिकाऊ फर्नीचर के साथ ही फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स श्रेणी के छोटे-छोटे उत्पाद जैसे पेपर क्लिप्स, सोप केस, वाटर बोतल आदि तैयार करना, जिससे बांस से अधिक से अधिक दैनिक जरूरतों वाले घरेलु उत्पाद तैयार कर इस विधा से जुड़े लोगों के लिए एक बड़ा बाजार तैयार किया जा सके।

तगड़े ताने के लिए तैयार करेंगे स्थानीय कारीगर

इसी प्रकार रेशम के कपड़े बनाने में जो धागे ताना-बाना में उपयोग होता है, उसमें बाना का धागा तो स्थानीय स्तर पर तैयार होता है, किन्तु मजबूत ताने के लिए अभी भी बुनकरों की निर्भरता विदेशी आयात पर है। ऐसे में रेशमी कपड़ों के लिए किफायती और मजबूत ताने को यहीं तैयार करने के लिए भी काम किया जायेगा। रायगढ़ जिला के प्रसिद्ध ढोकरा शिल्प कलाकृतियों के लिए भी 3 डी प्रिंटिंग तकनीक का सहारा लेकर इसे आसान बनाने पर भी चर्चा हुई।

पैरा-गोबर से विभिन्न उत्पाद तैयार करने की संभावनाओं पर चर्चा

बैठक में पैरा तथा गोबर से भी अलग-अलग प्रोडक्ट तैयार करने की संभावनाओं पर भी चर्चा की गई। आईआईटी बॉम्बे की टीम गौठानों में जाकर वहां हो रहे काम को देखा। टीम ने समूह की महिलाओं से बात की और उनके अनुभव जाने। टीम के सदस्यों ने अधिकारियों से भी फीडबैक लिया। जिसके आधार पर आजीविका गतिविधियों के संचालन हेतु टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट और प्रभावी वर्किंग प्रोसेस के जोड़ से एक मजबूत और लाभप्रद मॉडल तैयार करने के अलावा गौठानों में उपलब्ध स्थान व संसाधनों का बेहतर उपयोग कर समूहों के लिए ज्यादा फायदेमंद बनाया जा सके। टीम यहाँ तैयार किये जा रहे उत्पादों की बेहतर पैकेजिंग व मार्केट लिंकेज की दिशा में भी टीम काम करेगी।

टीम का ग्रामीण इलाकों (Livelihood Activities) में शिक्षा, हेल्थ, कृषि व जल संसाधन, महिला सशक्तिकरण, ग्रामीण आजीविका संवर्धन, स्किल डेवलपमेंट, कृषि वानिकी, क्षेत्रों में काम करने का 20 वर्षों से अधिक का अनुभव रहा है। जिसमें प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग, इवैल्यूएशन और मॉनिटरिंग करना तथा इसके लिए आवश्यक तकनीक व वर्किंग मॉडल्स के विकास में भी इनका योगदान रहा है।

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