छत्तीसगढ

प्रथम बजट के बाद आयकर अधिनियम की बारीकियां समझने जुटे चार्टर्ड एकाउंटेंट्स व आयकर सलाहकार

0 एक्सपर्ट सीए राजेश मेहता ने 200 से अधिक लोगों को दी विभिन्न पहलुओं पर जानकारी

रायपुर। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के प्रथम बजट में आये विभिन्न आयकर अधिनियम एवं नए कर प्रावधानों को समझने के लिए आज शहर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स व आयकर सलाहकारों के लिए सेमिनार का आयोजन किया। यह आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ  चार्टर्ड एकाउंटेंट्स रायपुर शाखा द्वारा रखी गई थी।   इसमें करीब 200 से अधिक सीए एवं इनकॉम टैक्स एडवाइजरों ने पार्टीसिपेट किया।

सैकड़ों धाराओं में सरकार ने किया परिवर्तन

वक्ता के रूप में इंदौर से आए सीए राजेश मेहता ने नए अधिनियमों एवं नए कर की बारीकियों के बारे में काफी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बजट 2020 में 100 से *यादा धाराओं में सरकार ने परिवर्तन किए हैं। उन्होंने बताया कि जितनी भी चैरिटेबल ट्रस्ट या समितियां, शैक्षिणिक संस्थान, वैज्ञानिक कार्य में जुटे संस्थान है, जो कि आयकर में छूट के लिए पंजीकृत थी, उनको एक बार फिर से ऑनलाइन पंजीयन करवाना पड़ेगा। हालांकि इस बार उनका पंजीयन 5 वर्ष के लिए वैध रहेगा एवं जिसके बाद उन्हें फिर से रिन्यूअल करना होगा। सरकार की मंशा यह है कि सभी संस्थाओं को आयकर में ऑनलाइन फिर से पंजीयन करवाना पड़ेगा, जिससे उनका पुराना रिकॉर्ड भी ऑनलाइन हो जाएगा एवं सरकार की नजरों में रहेगा।

व्यापार डिजिटल फॉरमेट में तो आयकर ऑडिट जरूरी नहीं

अगर व्यापारी का टर्नओवर यानी बिक्री और खरीदी दोनों ही पूरी तरह से डिजिटल फॉरमेट में है और 5 करोड़ तक के टर्नओवर है तो ऐसे मौके पर व्यापारी को आयकर ऑडिट करवाने की जरूरत नहीं है। इसमें नगदी लेन&देन 5 प्रतिशत से *यादा नही होना चाहिए। अगर 5 प्रतिशत से *यादा किसी भी प्रकार का नगद में लेन&देन है तो वो व्यापारी इस प्रावधान का लाभ नही ले पाएगा।

पहली बार आयकर में आया दो व्यवस्था

सीए राजेश मेहता ने बताया कि जमीन या अचल संपत्ति की बिक्री पर अगर बाजार भाव एवं लेन&देन की राशि के अंतर को 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है तो इस फैसले को इस तरह से समझा जा सकता है कि केंद्र सरकार को भी यह लगता है कि सरकारी कीमत एवं बाजार भाव में फर्क आ गया है] लिहाजा जिसे केंद्र सरकार ने भी आयकर की धारा में अंतर के प्रतिशत को बढ़ाकर स्वीकार किया है। उन्होंने आगे बताया कि इतिहास में पहली बार आयकर में 2 रेजीम लायी गयी हैं। इसको आसान शब्दों में ऐसा समझा जा सकता है कि अगर कोई व्यक्ति आयकर अधिनियम द्वारा सभी प्रचलित छूट को त्याग दे तो उसे सीधे&सीधे कर की गढऩा करनी एवं पटाना है। वो व्यक्ति अपनी कमाई अपने हिसाब से जहां लगाना चाहे लगा सकता है और अगर कोई व्यक्ति पुरानी रेजीम में रहना चाहता है तो वो पुरानी में रह सकता है। आयकर अधिनियम की सारी छूटों का लाभ लेना चाहे तो ले सकता हैं] लेकिन अगर कोई व्यक्ति एक बार नई रेजीम को अपनाता है और उसकी आय में बिजनेस एवं प्रोफेशन से आय आती है और अगर वो व्यक्ति नई रेजीम में जाता है तो उसे वापस पुरानी रेजीम में जाने का मौका लाइफ टाइम में सिर्फ एक ही बार मिलेगा। अगर किसी व्यक्ति की बिजनेस एवं प्रोफेशन से नही है तो वो व्यक्ति हर साल अपने हिसाब से जहां जाना चाहे अपना विकल्प चुन सकता है।

व्यापारिक दृष्टिकोण से हुआ एक बड़ा परिवर्तन

एक्सपर्ट का मानना है कि व्यापारिक दृष्टिकोण से एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। जो भी व्यापारी 10 करोड़ से *यादा का टर्नओवर करता है एवं किसी भी एक व्यापारी को 50 लाख से *यादा का माल बेचता है तो उसे उस व्यापारी की 0-1 प्रतिशत से उसका कर काटकर सरकार जो जमा करना पड़ेगा। इस तरह का प्रावधान कभी भी नही आया। एक्सपर्ट ने माना कि संभवत: सरकार की मंशा है कि वह हर व्यापारी का डाटा अपने पास रखे। इस नए प्रावधान का असर यह पड़ेगा कि कोई भी व्यापारी अपनी बिक्री एवं खरीदी छुपा नही पाएगा एवं सरकार को पता चल जाएगा कि किसने किसको कितना माल बेचा है।

विदेश घूमना अब नहीं होगा आसान

विदेश घूमने जा रहे लोगों के लिए अट्टछी खबर नही है] क्योंकि सरकार ने सभी टूर ऑपरेटर्स को 5 प्रतिशत से टैक्स काटने के लिए कहा है। इससे सरकार की मंशा साफ  दिख रही है कि बाहर जाने वाले हर व्यक्ति पर उनकी नजर रहे एवं सरकारी कोष में राजस्व भी मिले। उन्होंने यह भी बताया कि एनआरआई टैक्सेशन में बहुत सारे परिवर्तन किये गए हैं। धारा 80 (जी) डोनेशन में मिलने वाली छूट के लिए भी परिवर्तन किये गए हैं। अब संस्था को इसकी विवरण ऑनलाइन जमा करवानी पड़ेगी। एक अधिकृत फॉर्म में ही सर्टिफिकेट संस्था द्वारा प्रदान किया जाएगा] इसके लिए अभी नियमावली में परिवर्तन किया जाएगा एवं फॉरमेट निर्धारित किया जाएगा। ऐसा माना जा रहा है कि जिस प्रकार 2चएएस में कर कटौती की जानकारी आ जाती थी] उसी प्रकार कुछ प्रावधान लाए जाएंगे जिससे डोनेशन करने वाले व्यक्ति के आयकर पोर्टल में जानकारी आ जाएगी कि उसने किस संस्था को कितना डोनेशन दिया है।

‘विवाद से विश्वास’ को माना बेहतर योजना

वित्तमंत्री ने एक अट्टछी योजना लायी है जिसका नाम विवाद से विश्वास रखा गया है। इस योजना के अंतर्गत देश में चल रहे मुकद्दमेबाजी को कम करने की कोशिश की गई है। सरकार ने यह प्रावधान लाया है कि जिस किसी भी व्यक्ति का केस अपील में लगा हुआ है वो चाहे किसी भी स्टेज पर हो अगर वो व्यक्ति अपने केस को खत्म करना चाहता है तो वो आपने आयकर आदेश में दर्शाए गए केवल टैक्स यानी कर की राशि को पटा दे तो उसे सरकार ब्याज एवं पेनल्टी में पूरी छूट दे देगी। अगर व्यापारी इस स्कीम को इस्तेमाल करेंगे तो देश में चल रहे लगभग 4 लाख छ0 हजार केसेस खत्म हो जाएंगे एवं लिटिगेशन खत्म हो जाएगी जिससे सरकार एवं व्यापारी दोनों अपने आगे के काम में ध्यान देंगे।
आयकर के प्रावधानों के बाद रमनदीप सिंह भाटिया ने जीएसटी एवं कस्टम्स डयूटी में आये परिवर्तन में भी प्रकाश डाला एवं विस्तार से हर प्रावधान को समझाया। कार्यक्रम में रायपुर शाखा के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश भाटिया, आयकर बार के अध्यक्ष बी सुब्रमण्यम, फेडरेशन ऑफ छत्तीसगढ़ आयकर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष पारस छाजेड़, कोषाध्यक्ष रवि ग्वालानी, सुरेश अग्रवाल, अमिताभ दुबे, किशोर बरडिया, राजेश गोलछा, प्रवीण शर्मा, शशिकांत चंद्राकर, सुनील जोहरी, संजय बिल्थरे, एनके अग्रवाल, विजय मालू, प्रफुल्ल पेंडसे, आनंद बेरीवाल उपस्थित थे।

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