छत्तीसगढराज्य

Bastar Dussehra : बस्तर के मुरिया दरबार में पहुंचकर CM बघेल ने की ये बड़ी घोषणाएं…

बस्तर, 7 अक्टूबर। Bastar Dussehra : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बस्तर दशहरा के मुरिया दरबार में शामिल हुए। यहां पारंपरिक पागा पहनाकर उनका स्वागत किया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने झाड़ा सिरहा की प्रतिमा का अनावरण किया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज बस्तर दशहरा के अंतर्गत मुरिया दरबार सहित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होने जगदलपुर पहुंचे। मुख्यमंत्री बघेल ने जगदलपुर में स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर में विधि विधान से पूजा अर्चना कर प्रदेश वासियों के सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा मुरिया दरबार में कई घोषणाएं की है। उन्होंने मांझी चालकी सहित बस्तर दशहरा के आयोजन से जुड़े सदस्यों के पोशाक के लिए 5 लाख रुपए की राशि देने की घोषणा की। शहीद हरचंद के नाम पर तोकापाल शासकीय महाविद्यालय का नामकरण करने की घोषणा की। जरकरन भतरा के नाम पर बकावंड शासकीय महाविद्यालय का नामकरण करने की घोषणा की।

इस अवसर पर उन्होंने जननायक झाड़ा सिरहा के जीवनी पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर जिले के प्रभारी मंत्री एवं प्रदेश के उद्योग मंत्री कवासी लखमा, कोंडागांव विधायक मोहन मरकाम, सांसद दीपक बैज, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष लखेश्वर बघेल, संसदीय सचिव रेखचन्द जैन, बस्तर क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष विक्रम शाह मंडावी, चित्रकोट विधायक राजमन बेंजाम, महापौर सफीरा साहू, नगर निगम सभापति कविता साहू सहित जनप्रतिनिधिगण उपस्थित (Bastar Dussehra) थे।

जन नायक झाड़ा सिरहा की आदमकद मूर्ति का किया अनावरण

बस्तर दशहरा में शामिल  होने पहुँचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सिरहासार भवन के समीप शहीद स्मारक परिसर में मुरिया विद्रोह के जन नायक झाड़ा सिरहा की आदमकद मूर्ति का अनावरण किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने  बस्तर जिले में 89 विकास कार्यों लागत लगभग 173 करोड़ 28 लाख से अधिक राशि के कार्यों का लोकार्पण-शिलान्यास किया। मुख्यमंत्री ने 77 करोड़ 38 लाख 72 हजार के 22 विकास कार्यों का लोकार्पण तथा 95 करोड़ 89 लाख 72 हजार के 67 विकास कार्यों का भूमिपूजन किया।

शहीद झाड़ा सिरहा की प्रतिमा को शहर के सिरहासार चौक स्थित शहीद स्मारक के पास लगाया गया है। वीर शहीद झाड़ा सिरहा का जन्म बस्तर जिले के आगरवारा परगना के अंतर्गत ग्राम बड़े आरापुर में परगना मांझी एवं माटी पुजारी परिवार में हुआ था। वे बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे। वे जड़ी बूटियों के जानकार, कुशल नेतृत्वकर्ता और प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें 1876 में हुए मुरिया विद्रोह में नेतृत्व किया।

विद्रोह में बस्तर की आदिम संस्कृति की रक्षा, जल, जंगल, जमीन की सुरक्षा, (Bastar Dussehra) सामाजिक रीति-नीतियों के संरक्षण और अंग्रेजों से मिले सामंतवादियों द्वारा किये जा रहे शोषण के विरूद्ध सभी आदिवासियों ने झाड़ा सिरहा के नेतृत्व में आवाज उठाई थी। अपनी कुशल संगठन क्षमता और रणनीति के साथ पूरे दमखम से लड़ते हुए अंग्रेजी फौज के हाथों झाड़ा सिरहा 1876 में वीरगति को प्राप्त हुए थे।  

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