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स्वास्थ्य मंत्रालय ने किया स्पष्ट, कोई भी टीका प्रजनन क्षमता को नहीं करता है प्रभावित

नई दिल्ली, 30 जून। कोरोना वैक्सीन को लेकर बांझपन अथवा प्रजनन क्षमता को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों और भ्रम को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दूर करने का प्रयास किया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन लगवाने के बाद महिलाओं अथवा पुरुषों में बांझपन का कोई वैज्ञानिक सुबूत नहीं है और प्रजनन क्षमता पर कोई असर नहीं पड़ता है। मंत्रालय ने आम लोगों को आश्वस्त किया वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। वे कोरोना के प्रभाव को रोकने में सक्षम हैं।

अफवाहों पर आया बयान

मंत्रालय का यह बयान मीडिया में आईं उन खबरों को लेकर आया है जिनमें कोरोना वैक्सीन के चलते प्रजनन आयु के लोगों के बीच बांझपन को लेकर चिंता जताई गई थी। मंत्रालय ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में मीडिया में आईं कुछ खबरों में एक तबके में विभिन्न अंधविश्वासों और मिथकों को उजागर किया गया है।

प्रजनन क्षमता नहीं होती है प्रभावित

बयान में कहा गया कि पोलियो और खसरा-रूबेला के खिलाफ टीकाकरण अभियान के दौरान भी इस तरह की भ्रामक बातें और अफवाहें फैलाई गई थीं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि उपलब्ध टीकों में से कोई भी प्रजनन क्षमता को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि सभी टीकों का परीक्षण पहले जानवरों और बाद में मनुष्यों पर किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इनका कोई दुष्प्रभाव तो नहीं है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे कहा कि बच्चों में कोरोना अक्सर एसिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) होता है और शायद ही कभी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। संक्रमित होने वाले बच्चों के एक छोटे प्रतिशत की संभावना के साथ अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। 2-18 साल के बच्चों में भी कोवैक्सिन का ट्रायल शुरू हो गया है। आने वाली किसी कोरोना लहर के दौरान बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने से बड़े स्तर पर प्रभावित होने के संबंध में कई प्रश्न उठाए गए हैं। विशेषज्ञों ने कई मंचों पर इन आशंकाओं और आशंकाओं को दूर किया है।

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