छत्तीसगढ

कई हाथों को सुशोभित करने वाली राज्योत्सव अलंकरण पुरस्कार का डिजाइनर ही आज अलंकरण के लिए है मोहताज

कोंडागांव। नया राज्य बनने के बाद राज्योत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। उस दौरान सरकार कई विभूतियों को विभिन्न अलंकारों से सम्मानित भी करते हैं। 19 वर्षों में करीब सैकड़ों हाथों को सुशोभित करने वाली राज्योत्सव अलंकरण पुरस्कार को डिजाइन करने वाला सुखचन्द पोयाम आज उसी अलंकरण के लिए मोहताज है, क्योंकि सरकार विगत कुछ वर्षों से उनको काम न देकर अंयत्र दे रहे हैं। सरकार की इस बेरुखी से 80 वर्षीय पोयम न सिर्फ दुखी है बल्कि वे बदहाली में जीने को मजबूर हैं।

कोंडागांव को शिल्पनगरी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वहां के शिल्पकारों की कारीगिरी पूरे विश्व में चर्चित है। वहीं का शिल्पकार सुखचन्द पोयाम, जिन्होंने अपनी शिल्पकारी से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा दिया जाने वाला राज्य अलंकरण पुरस्कार को डिजाइन किया, जो अब तक छत्तीसगढ़ राज्योत्सव में पुरस्कार अलंकरण के रूप में दिया जा रहा है। आपको जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि, राज्य स्थापना के बाद शुरू हुए राज्य अंलकरण देने की पंरपरा में अलंकरण को डिजाइन करने वाला उम्रदराज सुखचंद पोयाम आज गुमनामी की जिंदगी जी रहा है। जबकि उनकी प्रतिभा को भारत सरकार ने वर्ष 1970 में श्रेष्ठ शिल्पकार के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा था।

जब छत्तीसगढ़ राज्य उत्सव में अंलकरण देने का निर्णय लिया गया, उस समय विभिन्न राज्यों के शिल्पकारों के साथ सुखचंद ने भी अलंकरण के लिए एक मॉडल तैयार किया जो कि मील राष्ट्रीय पुरस्कार अंलकरण के काफी मिलता जुलता था। सुखचंद ने डिजाइन में थोड़ा हेर फेर करने के बाद राज्य सरकार ने उसी डिजाइन को पुरस्कार अलंकरण के लिए फाइनल कर दिया। कुछ वर्षों तक तो सरकार ने अलंकरण बनाने का काम सुखचंद को दिया लेकिन उसके बाद उनको काम देना बंद कर दिया, अब उसकी कोई पूछ परख नही है।

राज्य सरकार आज छत्तीसगढ़ राज्योत्सव मानने में करोड़ों खर्च कर रही है। राज्य अलंकरण पुरस्कार भी बांट रही है, लेकिन जिस शिल्पकार के बनाए अलंकरण पुरस्कार को सरकार बांट रही है, दरअसल आज वहीं गुमनामी में गुम है। सरकार से मदद के लिए उम्मीद लगाए बैठा है कि उनकी बदहाल और बीमार जिंदगी की सुध लेने सरकार का कोई नुमाइंदा तो उनके पास आएगा और इसकी बदहाली दूर करेगा।

सुखचंद पोयाम के नाती का कहना है कि इस प्रकार से सरकार का रवैया ठीक नही है चूंकि अलंकरण का डिजाइन दादा जी ने बनाया है तो उनको बनाने का ऑर्डर मिलना चाहिए था, लेकिन सरकार दूसरे कलाकारों से क्यों बनवा रही है, समझ से परे हैं।

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