छत्तीसगढ

जन सुनवाई में पेशे का दुरूपयोग…अधिवक्ता के लाइसेंस निलंबन की सिफारिश

राज्य महिला आयोग की सुनवाई में शामिल हुए नवनियुक्त सदस्यगण

रायपुर, 28 जुलाई। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने अपने तीन नवनियुक्त सदस्यों नीता विश्वकर्मा, अर्चना उपाध्याय और शशिकांत राठौर के साथ बुधवार को महिलाओं से संबंधित मामलों पर जन सुनवाई की। इस दौरान उन्होंने अधिवक्ता जैसे संवेदनशील पद की गरिमा नहीं रखने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए वकालत का लाइसेंस निलंबित करने की सिफारिश की। शास्त्री चौक स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं से जुड़े मामलों को लेकर जनसुनवाई हुई। इसके साथ ही तलाक, भरण-पोषण न देना, पहली पत्नी के रहते दूसरी को घर ले आना सहित दर्जनभर से अधिक मामलों को सुलझाया।

महिलाओं पर बुरी नीयत रखता था वकील

अनावेदक अधिवक्ता के द्वारा बिना पढ़े लिखे आयोग के समक्ष आदेश पत्रक हस्ताक्षर करने और आवेदिका के ऊपर छेड़छाड़, बुरी नियत रखने के साथ अनावेदक व्यवसायिक कदाचरण का दोषी पाया। इसकी सुनवाई के बाद अध्यक्ष ने अनावेदक अधिवक्ता का लायसेंस निलंबित किये जाने की अनुशंसा उच्च न्यायालय बिलासपुर अधिवक्ता संघ और रायपुर अधिवक्ता संघ में आदेश पत्रक की प्रमाणित प्रतिलिपि एवं सम्पूर्ण दस्तावेज के साथ एक पत्र लिखने के निर्देश दिए। जिससे अनावेदक इस तरह से किसी महिला को प्रताडि़त न कर सकें और अपने पेशे का दुरुपयोग कर बेईमानी ना कर सके। इस संबंध में आवेदिका को स्वतंत्रता दी गयी है कि वह थाने में मामला भी दर्ज करा सकती है।

घरेलू हिंसा का शिकार हुए बुजुर्ग दंपत्ति

इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदकगण एवं उसकी पत्नि दोनों बुजुर्ग आवेदकगण के साथ निरंतर घरेलू हिंसा कर रहे है। आवेदकगण की स्वअर्जित संपत्ति से, अनावेदकगण ने बेदखल कर दिया है। आवेदकगणों को उनकी स्वअर्जित संपत्ति में रहने पर निरंतर बाधा डाल रहे है। स्पष्ट रूप से घरेलू हिंसा कानून का दुरूपयोग है। वृद्ध आवेदकगण जो 84 वर्ष एवं 92 वर्ष के है, ऐसी स्थिति में आवेदकगण को अधिकारिता दिये जाने की अनुशंसा आयोग द्वारा किया गया।

आवेदकगणों की ओर से थाना में जाकर लिखित शिकायत (Jansunvai) कर घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अनावेदक और उनकी पत्नी के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करा सकते है। थाना में इन आवेदकगणों की एफआईआर दर्ज कर इसकी सूचना आयोग को 2 माह के अंदर प्रेषित करने के साथ इस प्रकरण को निराकृत कर दिया

देखिए समाज में किस तरह के मामले हैं-

  • एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों का विस्तार से सुनने के बाद संज्ञान लिया गया कि अनावेदक द्वारा तलाक का मामला फरवरी 21 में किया था जिसकी सूचना आवेदिका को मिल चुकी है। अध्यक्ष ने समझाइश दी कि आवेदिका के देवर को आयोग की सुनवाई में उपस्थित कराया जाए, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
  • एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्ष आपसी राजीनामा से तलाक लेना चाहते है। अध्यक्ष ने दोनों पक्षो को संबंधित क्षेत्राधिकार न्यायालय में आपसी तलाक नामा का आवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश के साथ ही प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
  • एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अनावेदक पर बिना तलाक के दूसरी पत्नी रखने का आरोप लगाया जिसे अनावेदक ने स्वीकार किया। आवेदिका को 10 वर्ष से छोड़कर रखा है और अदालत के भरण-पोषण के आदेश का पालन भी नहीं किया जा रहा है। अनावेदक को समझाईश देने पर अपनी पत्नी और बच्चो को भरण-पोषण देने के लिये तैयार है और इसके लिए अनावेदक ने 2 दिन का समय मांगा है। अध्यक्ष ने अनावेदक को निर्देशित किया कि आगामी सुनवाई 30 जुलाई को दूसरे अनावेदक को अपने साथ लेकर उपस्थित रहे ताकि इस सम्पूर्ण मामले का निराकरण किया जा सके।
  • एक अन्य प्रकरण में दोनों पक्षों ने अपनी शर्तें लिखकर प्रस्तुत किया है। इन शर्तो के आधार पर दोनों पक्षों को अपने संबंध सुधारने का समय दिया गया है। इस में आयोग की काउंसलर को निगरानी के लिये अधिकृत किया गया है। काउंसलर की रिपोर्ट के आधार पर 2 माह बाद अंतिम निराकरण के लिये प्रकरण को रखा जायेगा।

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