छत्तीसगढ

CG Vidhansabha : कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र पर तीखी बहस, विपक्ष का वॉकआउट

रायपुर, 16 मार्च। CG Vidhansabha : छत्तीसगढ़ विधानसभा में बुधवार को विभिन्न मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस जारी है। भाजपा विधायकों ने सरकार को चुनावी घोषणा-पत्र पर घेरा। मितानिनों की प्रोत्साहन राशि ओर नर्सों की भर्ती के सवाल पर खूब हंगामा हुआ। जवाब से असंतुष्ट भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।

मितानिनों की प्रोत्साहन राशि और नर्सों की भर्ती पर हंगामा

प्रश्नकाल (CG Vidhansabha) शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने कांग्रेस के चुनावी घोषणा-पत्र का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आत्मसात जन घोषणापत्र में मितानिनों के संबंध में क्या घोषणाएं की गई थीं। उसमें से कितनी पूरी हुई हैं? स्वास्थ्य मंत्री की अनुपस्थिति में जवाब दे रहे वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि मितानिनों को कमीशन के अतिरिक्त पांच हजार रुपया महीना मानदेय की घोषणा थी। वहीं पांच हजार नए मितानिनों की भर्ती की जाने की बात थी। सरकार की ओर से मानदेय के संबंध में कोई बात नहीं आई, जबकि नई भर्ती के संबंध में बताया गया, 1362 मितानिनों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें से 1199 की भर्ती की गई है।

मंत्री मोहम्मद अकबर बोले- 3 महीनों का भुगतान किया जा चुका

भाजपा विधायक रंजना डीपेंद्र साहू ने पूछा कि कोरोना काल में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में 6 महीनों तक प्रोत्साहन राशि देने का आदेश दिया था, यहां मितानिनों को यह राशि क्यों नहीं दी जा रही है? मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, अभी तक तीन महीनों का भुगतान किया जा चुका है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने स्टाफ नर्सों की भर्ती का सवाल उठाया। जवाब में मंत्री मोहम्मद अकबर ने बताया कि यह प्रक्रिया जल्दी ही पूरी की जाएगी।

यूनिवर्सल हेल्थ केयर पर काम चल रहा है

भाजपा विधायक (CG Vidhansabha) शिवरतन शर्मा ने घोषणा-पत्र में यूनिवर्सल हेल्थ केयर की बात की गई थी, वह लागू हो गई क्या? जवाब में मोहम्मद अकबर ने कहा, इसमें कई काम पूरे हो गए हैं, कुछ हो रहे हैं। इसके बाद विपक्ष ने हंगामा खड़ा कर दिया। सरकार पर घोषणापत्र को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। वन मंत्री का कहना था कि घोषणा-पत्र के वादों का यह मतलब नहीं कि सब कुछ एक झटके से कर दिया जाए। सरकार इसे लेकर कटिबद्ध है और इसे पूरा किया जाएगा। भाजपा विधायक नहीं माने और सदन से बहिर्गमन कर गए।

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