कोविड-19 के टेस्टिंग और मेडिकल प्रोडक्ट के सप्लाई और डिमांड के बीच के गैप को भरने की बात पर WHO की सहमति…किसने नहीं दी सहमति… पढ़े पूरी खबर


दुनिया भर में कोरोना वायरस की वैक्सीन पर काम चल रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही ये लोगों के लिए उपलब्ध होगी। वैक्सीन को लेकर भारत के एक प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य संगठन का समर्थन मिला है। भारत और दक्षिण अफ्रीका ने संयुक्त रूप से विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization) ये सुनिश्चित करने का प्रस्ताव रखा था कि दुनिया के हर देश को कोरोना वायरस की वैक्सीन मिले।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब भारत और दक्षिण अफ्रीका के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है। WHO प्रमुख टेड्रोस एडनॉम गेब्रियेसस का ने ट्वीट कर कहा, ‘डब्ल्यूएचओ कोरोना वायरस वैक्सीन पर अंतर्राष्ट्रीय नियमों में छूट की मांग, ट्रीटमेंट और टेस्ट उपकरणों को जरूरतमंद देशों को सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए WHO को दिए दक्षिण अफ्रीका और भारत के हालिया प्रस्ताव का स्वागत करता है।’
WHO प्रमुख ने कहा, ‘महामारी का अंत सहयोग से शुरू होता है। डब्ल्यूएचओ ने मई में covid-19 टेक्नोलॉजी एक्सेस पूल (CTAP) लॉन्च किया था, जिसमें कोरोना वायरस से निपटने के लिए जीवन रक्षक स्वास्थ्य प्रोडक्ट पर डेटा, जानकारी और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी साझा करने के लिए देशों को आमंत्रित किया गया।’
2 अक्टूबर को भारत और दक्षिण अफ्रीका ने WTO काउंसिल को एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें इसके सदस्य देशों से पेटेंट, इंडस्ट्रियल डिजाइन, कॉपीराइट जैसे अन्य इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी नियमों में छूट देने और उचित दाम पर दवाएं और वैक्सीन उपलब्ध कराने, covid-19 के लिए जरूरी रिसर्च, डेवलेपमेंट और मेडिकल प्रोडक्ट की आपूर्ति कराने का आग्रह किया गया है।

आपको बता दें अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, जापान, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और स्विट्जरलैंड जैसे विकसित देशों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। जबकि अफ्रीकी समूह के देशों, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल जैसे विकासशील देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। वहीं चीन, तुर्की, फिलीपींस और कोलंबिया जैसे देशों ने इस प्रस्ताव पर और अधिक जानकारी मांगी है।
ऑक्सफैम, मेडेक्स सेंस फ्रंटियर (MSF) एक्सेस कैंपेन एमएसएफ, पीपुल्स वैक्सीन एलायंस सहित 379 सिविल सोसाइटी संगठनों ने डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को एक पत्र लिखा है, जिसमें भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का स्वागत किया गया है। पत्र में covid-19 के टेस्टिंग और मेडिकल प्रोडक्ट के सप्लाई और डिमांड के बीच के गैप को भरने की बात कही गई है।