District Presidents : जिला अध्यक्ष की कुर्सी पर सियासी संग्राम…! कांग्रेस में दावेदारों की लंबी कतार…रायपुर-दुर्ग में 100 से अधिक नेता रेस में…किसका चलेगा सिक्का…?

रायपुर/दुर्ग, 05 अक्टूबर। District Presidents : छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन में नए ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर पार्टी ने रायशुमारी की प्रक्रिया तेज़ कर दी है। यह कवायद न सिर्फ संगठनात्मक मजबूती के लिए की जा रही है, बल्कि आगामी चुनावों के मद्देनज़र स्थानीय नेतृत्व के पुनर्गठन की अहम रणनीति भी है। हालांकि, इस प्रक्रिया के पीछे गुटीय समीकरण, वरिष्ठ नेताओं की सिफारिशें और सत्ता की दावेदारी जैसे तमाम अंतर्विरोधी पहलू भी उभरकर सामने आ रहे हैं।
दावेदारों की भरमार, शक्ति प्रदर्शन या नेतृत्व का संकट?
दुर्ग शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 31 दावेदार, जबकि ग्रामीण अध्यक्ष पद के लिए 7 नाम सामने आ चुके हैं। रायपुर शहर में 50 से अधिक दावेदारों ने आवेदन लिए हैं, जो कांग्रेस संगठन में भीतरघात या नेतृत्व के खालीपन की ओर भी इशारा करता है।
इतनी बड़ी संख्या में दावेदारों का सामने आना कांग्रेस के भीतर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की सक्रियता को दर्शाता है, लेकिन यह सवाल भी खड़ा करता है कि, क्या पार्टी के पास पर्याप्त स्वीकार्य और प्रभावी नेतृत्व नहीं बचा है, जो इतना बिखराव सामने आ रहा है?
समर्थन की राजनीति, गुटीय खेमेबाजी चरम पर
दुर्ग में मौजूदा अध्यक्ष राकेश ठाकुर को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का समर्थन प्राप्त है। वहीं, पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू अपने करीबी बंटी हरमुख के पक्ष में माहौल बना रहे हैं। यह साफ संकेत है कि ज़िला अध्यक्षों की नियुक्ति भी कांग्रेस के भीतर शक्ति-संतुलन का हिस्सा है, जहां वरिष्ठ नेता अपने-अपने खेमों के लोगों को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
संगठन ने अपनाया पारदर्शिता का ढांचा
AICC द्वारा निर्धारित आवेदन प्रक्रिया में उम्मीदवारों से संगठनात्मक और चुनावी अनुभव, पार्टी के साथ जुड़ाव की अवधि, अब तक निभाए गए कर्तव्यों और आपराधिक मामलों का विवरण सहित अन्य जानकारी मांगी है। यह कदम संगठन में पारदर्शिता और योग्यता आधारित चयन की मंशा को दिखाता है। हालांकि, व्यवहार में इसे कितना लागू किया जाएगा, यह देखना बाकी है।
केन्द्रीय पर्यवेक्षक की भूमिका
अजय कुमार लल्लू (दुर्ग पर्यवेक्षक) ने वन-टू-वन मुलाकात कर दावेदारों से बातचीत की। प्रफुल्ल गुदाधे (रायपुर पर्यवेक्षक) 8 अक्टूबर को रायशुमारी के लिए पहुंचेंगे। पर्यवेक्षकों की भूमिका अहम है, लेकिन यह सवाल बना रहेगा कि क्या वे स्थानीय नेताओं के दबाव और अनुशंसा से ऊपर उठकर वास्तविक ज़मीनी कार्यकर्ताओं को मौका देंगे?
इन बिंदुओं में समझें कांग्रेस का यह आंतरिक चुनाव क्यों है अहम?
- लोकसभा चुनाव 2029 और छत्तीसगढ़ में संभावित राजनीतिक बदलाव के लिए ज़िला अध्यक्षों का मजबूत होना आवश्यक है।
- BJP से मिली हार के बाद कांग्रेस संगठन मनोबल और रणनीति, दोनों स्तर पर पीछे है, ज़िला स्तर पर प्रभावशाली नेतृत्व ही कार्यकर्ताओं को पुनः सक्रिय कर सकता है।
- नए अध्यक्षों के चयन से यह भी तय होगा कि पार्टी में नई पीढ़ी को कितना मौका मिलता है, और क्या पुराने चेहरों पर ही भरोसा किया जाता है।
और अंत में, बड़ी संख्या में दावेदारों का उभरना पार्टी के भीतर सक्रियता का संकेत है, लेकिन यह आंतरिक मतभेदों और गुटबाजी को भी उजागर करता है। संगठन का यह प्रयास तभी सफल होगा जब चयन में पारदर्शिता, क्षमता, और ज़मीनी पकड़ को प्राथमिकता दी जाए, न कि केवल सिफारिश और लॉबिंग को। यदि रायशुमारी एक औपचारिकता मात्र बनकर रह गई, तो इससे कार्यकर्ताओं में निराशा फैलेगी और स्थानीय स्तर पर संगठन कमजोर ही रहेगा।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या कांग्रेस (District Presidents) इस बार वास्तव में अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने में सफल हो पाएगी, या ये नियुक्तियां भी राजनीतिक समीकरणों का शिकार हो जाएंगी?
प्रमुख दावेदारों की सूची
- श्रीकुमार मेनन
- कन्हैया अग्रवाल
- राजू घनश्याम तिवारी
- मनोज कंदोई
- सुबोध हरितवाल
- विनोद तिवारी
- एजाज ढेबर
- दीपक मिश्रा
- शिव सिंह ठाकुर
- श्रीनिवास ‘सीनू’
- अमित शर्मा ‘मोंटा’
- पंकज मिश्रा
- सारिक रईस खान
- अजीज ‘गोलू’ भिसरा
- दिलीप सिंह चौहान
- इंद्रजीत गहलोत
- धनंजय ठाकुर
- सुनील कुकरेजा
- प्रीति कुणाल शुक्ला (एकमात्र महिला दावेदार, अगर अन्य नहीं हैं)
- सतनाम सिंह पनाग
- अमित राजेंद्र तिवारी
+ अन्य 15 नाम, जिनमें कुछ युवा कांग्रेस, NSUI, पार्षद और पूर्व पदाधिकारी शामिल हैं।