रायपुर, 26 दिसंबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) E-Commerce एवं GST पर केन्द्र सरकार की चुप्पी से व्यापारी संघ बेहद नाराज है।
देश के ई कॉमर्स व्यापार में विदेशी धन पोषित ई कॉमर्स कंपनियों की लगातार मनमानी और नियम एवं कानूनों का उल्लंघन तथा जीएसटी की दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।
आक्रोशित है देशभर के व्यापारी
E-Commerce एवं GST की जटिलता ने देश के व्यापारी समुदाय को बर्बादी के चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। बार बार इन मुद्दों पर आवाज उठाने के बाद भी केंद्र सरकार ने जिस प्रकार की चुप्पी साध रखी है। इससे देश भर के व्यापारी बेहद नाराज और आक्रोश में हैं। इस स्तिथि को और अधिक बर्दाश्त न करने की घोषणा के साथ कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने इन ज्वलंत मुद्दों सहित अन्य व्यापारिक मुद्दों को लेकर एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष अभियान छेड़ने की घोषणा की है। इस रणनीति को अंतिम रूप देने के लिए कैट ने देश के सभी राज्यों के प्रमुख व्यापारी नेताओं का एक “राष्ट्रीय सम्मेलन” आगामी 11 -12 जनवरी को उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कानपुर में बुलाया है।
सम्मेलन में भाग लेंगे राष्ट्रीय संगठनों के 100 व्यापारी नेता
इस सम्मेलन में सभी राज्यों एवं विभिन्न उत्पादों के राष्ट्रीय संगठनों ने लगभग 100 व्यापारी नेता भाग लेंगे। कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने कहा की ऐसा लगता है कि देश की सभी सरकारों ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों के आगे घुटने टेक दिए हैं। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पियूष गोयल ने पिछले दो वर्षों से विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एवं सार्वजनिक रूप से ई कॉमर्स कंपनियों को चेतावनी देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। क्या कारण है की नियम एवं क़ानून की अवहेलना कर रहे है। जबकि ई कॉमर्स पर गांजा सहित अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं का बिकना, केंद्र सरकार को ई कॉमर्स कंपनियों द्वारा जीएसटी के राजस्व की क्षति पहुँचाने के सबूत दिए जाने के बाद भी सरकारों के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगा।
केंद्र सरकार पर गम्भीर आरोप
व्यपारिक संगठनों ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि, सरकार पर देसी अथवा विदेशी दबाव है तभी तो खुलकर इन कंपनियों द्वारा मनमानी की जा रही है। पारवानी एवं दोशी ने कहा की वर्ष 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जिस जीएसटी के विषय में कैट को बताया था और जिस जीएसटी की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी, जीएसटी का वर्तमान स्वरूप ठीक उसके उलट बेहद जटिल हो गया है। श्री जेटली के देहावसान के बाद जीएसटी कॉउन्सिल ने व्यापारियों से सलाह मशवरा करना छोड़ दिया है। ऐसे निर्णय लिए जा रहे हैं जिनका कोई जमीनी आधार नहीं है।
GST दर जनवरी से 5 की जगह हो जाएगा 12%
टेक्सटाइल एवं फुटवियर पर जीएसटी की कर दरों में वृद्धि का प्रस्ताव इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। देश की 85% जनसंख्या एक हजार रुपये से कम कीमत के कपडे एवं जूते चप्पल खरीदती है, जिस पर वर्तमान में 5% की जीएसटी कर दर है लेकिन 1 जनवरी 2022 से यह कर दर 12% हो जाएगी। इसका सीधा असर देश की 85% जनसंख्यां पर पड़ेगा। यह निर्णय बेहद अतार्किक है। देश भर में फैले छोटे छोटे निर्माताओं, कारीगरों एवं अन्य वर्गों की रोजी रोटी बुरी तरह प्रभावित होगी। जीएसटी का पूरा ढांचा ईज ऑफ़ डूइंग बिजनिस के विपरीत हो गया है, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। देश की सरकारों ने अपने लाभ की खातिर जीएसटी के स्वरूप को बेहद विकृत कर दिया है।
इस तरह करेंगे विरोध
उन्होंने कहा की देश भर के व्यापारी सरकारों की अस्पष्ट नीति से बेहद तंग आ चुके हैं। अब और कोई विकल्प न होने के कारण देश भर में एक विराट संघर्ष अभियान छेड़ने को मजबूर हो गए हैं। आगामी 11 -12 जनवरी को कानपुर में होने वाले राष्ट्रीय व्यापारी सम्मेलन में देश के प्रमुख व्यापारी नेता इसके लिए एक बृहद रणनीति तय करेंगे, जिसमें देश के सभी राज्यों में भारत व्यापार स्वराज्य रथ यात्रा, राज्यस्तरीय विराट व्यापारी सम्मेलन, देश भर के बाज़ारों में विरोध जलूस, मशाल जलूस, धरने प्रदर्शन, राज्यस्तरीय व्यापार बंद एवं भारत व्यापार बंद की योजना सहित अन्य विरोध कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जायेगा।
इस दौरान चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे उपस्थित रहे।