रायपुर, 10 अप्रैल। Election Campaign Ends : खैरागढ़ विधानसभा के गांवों-शहरों में पिछले 20 दिनों से चल रही चुनाव प्रचार की आंधी रविवार शाम थम जाएगी। चुनाव प्रचार के लिए खैरागढ़ विधानसभा के चार प्रमुख मोर्चे हैं। कांग्रेस और भाजपा ने अपने महारथी नेताओं को इन मोर्चों पर 15 दिनों से तैनात कर रखा था। अब परिणाम बताएंगे कि किस मोर्चे ने जीत में क्या भूमिका निभाई।
खैरागढ़ विधानसभा (Election Campaign Ends) का क्षेत्र भौगोलिक रूप से दो प्रमुख हिस्सों में बंटा है। पहला मैदानी इलाका है जिसका विस्तार खैरागढ़, छुईखदान और गंडई के अधिकांश हिस्सों में है। दूसरा हिस्सा पहाड़ी है जो साल्हेवारा क्षेत्र में पड़ता है। सामाजिक रूप से इसके चार प्रमुख क्षेत्र हैं। पहला खैरागढ़ से जालबांधा तक का इलाका। इस इलाके में लोधी समाज की बहुलता है।
खैरागढ़ से छुईखदान तक एक मिश्रित आबादी वाला इलाका है। वहीं छुई खदान से गंडई तक सतनामी समाज की आबादी अधिक है। साल्हेवारा के वन क्षेत्र में आदिवासी समाज की बड़ी आबादी रहती है। राजनीतिक दलों का पूरा प्रचार अभियान इसी जातीय-सामाजिक ध्रुवीकरण के गणित पर केंद्रित था। सत्ताधारी कांग्रेस ने इसमें एक कदम आगे बढ़कर किसान को एक समाज के रूप में ले आई है। वहीं भाजपा “राम नाम’ के सहारे लोगों को एकजुट करने की कोशिश में जुटी रही।
कांग्रेस के इन नेताओं से संभाला क्षेत्र
खैरागढ़ – जयसिंह अग्रवाल, देवेंद्र यादव
छुईखदान – गिरीश देवांगन
गंडई – डॉ. प्रेमसाय सिंह
साल्हेवारा – कवासी लखमा, विक्रम मंडावी, बृहस्पत सिंह, डॉ. के.के.ध्रुव और विनोद तिवारी
एक विशेष मोर्चा – गुरु रुद्र कुमार और डॉ. शिव डहरिया को खैरागढ़, छुईखदान से लेकर गंडई तक के सतनामी बहुल इलाकों की विशेष जिम्मेदारी मिली थी।
भाजपा ने इन नेताओं को दी थी जिम्मेदारी
खैरागढ़ शहर – बृजमोहन अग्रवाल, केदारनाथ गुप्ता
खैरागढ़ ग्रामीण – राजेश मूणत, नारायण चंदेल, अनुराग सिंहदेव
छुईखदान – धरमलाल कौशिक, भूपेंद्र सवन्नी, मोतीराम चंद्रवंशी
गंडई – शिवरतन शर्मा, संजय श्रीवास्तव
साल्हेवारा – केदार कश्यप, किरण देव और विजय शर्मा
कांग्रेस के हर विधायक को चार-पांच बूथ का जिम्मा
कांग्रेस ने (Election Campaign Ends) यहां अपने कई और मंत्रियों-विधायकों को प्रचार में लगा रखा था। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने राजपरिवार के समर्थकों पर फोकस किया था। उन्होंने खैरागढ़ और साल्हेवारा क्षेत्रों में जोरदार दौरा किया। वहीं अमरजीत भगत प्रभारी मंत्री होने की वजह से लगातार सक्रिय रहे। बीमार हो गए। दो दिन बाद फिर मैदान में पहुंचे। गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने वॉर रूम में मोर्चा संभाला। कांग्रेस के 70 में से कम से कम 50 विधायक प्रचार में लगे रहे। प्रत्येक विधायक को चार से पांच बूथ पर प्रचार और प्रबंधन का जिम्मा दिया गया था।