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GDP Growth Rate : विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में दूसरी बार घटाया जीडीपी वृद्धि दर

वाशिंगटन, 7 जून। GDP Growth Rate : विश्वबैंक ने मंगलवार को चालू वित्त वर्ष (2022-23) के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया। इसका कारण बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव को बताया गया है। यह दूसरी बार है जब विश्वबैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि के अनुमान को संशोधित किया है। इससे पहले, अप्रैल में वृद्धि दर के अनुमान को 8.7 फीसदी घटाकर 8 फीसदी किया गया था। अब इसे और कम कर 7.5 कर दिया गया है। गौरतलब है कि बीते वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 8.7 फीसदी रही थी।

जीडीपी अनुमान को घटाकर किया 7.5 फीसदी

विश्वबैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावना (GDP Growth Rate) के ताजा अंक में कहा, ‘बढ़ती महंगाई, आपूर्ति व्यवस्था में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध से वैश्विक स्तर पर तनाव जैसी चुनौतियों को देखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7.5 फीसदी कर दिया गया है। इन कारणों से महामारी के बाद सेवा खपत में जो तेजी देखी जा रही थी, उस पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।’

निजी और सरकारी निवेश से मिलेगी ग्रोथ को मदद

इसमें कहा गया है कि वृद्धि को निजी और सरकारी निवेश से समर्थन मिलेगा। सरकार ने व्यापार परिवेश में सुधार के लिये प्रोत्साहन और सुधारों की घोषणा की है। आर्थिक वृद्धि दर का ताजा अनुमान जनवरी में जतायी गई संभावना के मुकाबले 1.2 फीसदी कम है। विश्वबैंक के अनुसार अगले वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर और धीमी पड़कर 7.1 फीसदी रह जाने का अनुमान है।

महंगाई बढ़ने से आरबीआई बढ़ा रहा ब्याज दरें

ईंधन से लेकर सब्जी समेत लगभग सभी उत्पादों के दाम बढ़ने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (WPI Inflation) अप्रैल में रिकॉर्ड 15.08 फीसदी पर पहुंच गयी। वहीं, खुदरा मुद्रास्फीति आठ साल के उच्चस्तर 7.79 फीसदी पर रही। ऊंची महंगाई दर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो (Repo Rate) को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था। बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में इसमें और वृद्धि की संभावना है।

पहली छमाही में कोविड के चलते रही धीमी ग्रोथ

विश्वबैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2022 की पहली छमाही में वृद्धि दर के धीमा होने का कारण कोविड-19 के मामलों का बढ़ना रहा है। इसके कारण आवाजाही पर पाबंदियां लगायी गईं। इसके अलावा यूक्रेन युद्ध का भी असर हुआ है। रिकवरी के रास्ते में बढ़ती महंगाई प्रमुख चुनौती है। इसमें कहा गया है कि बेरोजगारी दर घटकर महामारी से पहले के स्तर पर आ गयी है। लेकिन श्रमबल की भागीदारी दर महामारी-पूर्व स्तर से अभी नीचे है। कामगार कम वेतन वाले वाले रोजगार में जा रहे हैं।

अच्छी नीतियां देंगी अर्थव्यवस्था को रफ्तार

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बुनियादी (GDP Growth Rate) ढांचे में निवेश पर जोर है और श्रम नियमों को सरल बनाया जा रहा है। साथ ही कमजोर प्रदर्शन करने वाली सरकारी संपत्तियों का निजीकरण किया जा रहा है और लॉजिस्टिक क्षेत्र का आधुनिकीकरण और उसके एकीकृत होने की उम्मीद है। विश्वबैंक के अध्यक्ष डेविड मालपास ने रिपोर्ट की भूमिका में लिखा है कि कई संकट के बाद दीर्घकालीन समृद्धि तीव्र आर्थिक वृद्धि के वापस आने और अधिक स्थिर तथा नियम आधारित नीति परिवेश पर निर्भर करेगी।

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