GST पर मोदी सरकार की कलई खुल गई है, राज्यों पर बोझ डालने का षडयंत्र रचा जा रहा है: कांग्रेस
रायपुर, 29 अगस्त। स्वास्थ्य पंचायत और वाणिज्य कर मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा है कि GST पर राज्यों को घाटे की भरपाई करने से केंद्र की मोदी सरकार का इनकार… दरअसल उनकी नीति की विफलता का उदाहरण है. उन्होंने कहा है कि जिस जीएसटी को लागू करने के समय 2017 में प्रधानमंत्री आज़ादी मिलने जैसा जश्न मना रहे थे वही जीएसटी अब केंद्र सरकार के गले की फांस बन गया है और उनकी कलई खुल गई है।
स्वास्थ्य पंचायत और वाणिज्य कर मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा है कि जीएसटी परिषद की बैठक में जिस तरह से केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने राज्यों से कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति न मिलने से हो रहे घाटे की भरपाई के लिए राज्य रिज़र्व बैंक से कर्ज़ ले लें उससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि जीएसटी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने जो सपने देखे थे या दिखाए थे वे टूट गए हैं। केंद्र सरकार ने राज्यों के मंत्रियों के साथ हुई बैठक में सॉलिसिटर जनरल या महान्यायवादी का आकलन पढ़कर सुना दिया कि केंद्र सरकार पर राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति देने की कोई क़ानूनी बाध्यता नहीं है लेकिन केंद्र सरकार भी जानती है कि यह सरासर ग़लत बयानी है क्योंकि यह संसद द्वारा पारित क़ानून और संविधान द्वारा संस्थापित प्रावधान है। इसीलिए राज्यों ने केंद्र का प्रस्ताव मानने से इनकार कर दिया है।
राज्यों ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार कोविड-19 की वजह से क्षतिपूर्ति की राशि देने की स्थिति में नहीं है तो वह राज्यों को रिज़र्व बैंक से कर्ज़ लेने को कहने की बजाय ख़ुद रिज़र्व बैंक से कर्ज़ ले ले और राज्यों को क्षतिपूर्ति की भरपाई करे।
स्वास्थ्य पंचायत और वाणिज्य कर मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा है कि अगर सब चीज अगर राज्यों पर डाल देनी है तो फिर मोदी सरकार जीएसटी काउंसिल का आडंबर क्यों कर रही है? उन्होंने कहा है कि अगर मोदी सरकार संघीय व्यवस्था को सम्हाल नहीं पा रही है तो इसे स्वीकार करे और सारी व्यवस्था राज्यों पर छोड़ दे।
सिंहदेव ने कहा है कि पहले भाजपा की केन्द्र सरकार कहती है कि हम बड़े भाई, हम घर के बड़े हम सबका देखभाल करेंगे, और स्थिति थोड़ी सी बुरी हुई तो केन्द्र सरकार कह रही है कि हम कुछ नहीं जानते आप अपना रास्ता देखिए। ये बहुत अफसोस की बात है कि भारत जैसे बड़े देश में प्रजातांत्रिक और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करके और मात्र बहुमत के आधार पर राज्य सरकारों का हाथ मरोड़ने जैसी बात हो रही है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
स्वास्थ्य पंचायत और वाणिज्य कर मंत्री टी एस सिंह देव ने मोदी सरकार के वादों की बात करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार ने जीएसटी लागू करते हुये कहा था कि जीएसटी के आने से लीकेज बंद हो जाएंगे, जीडीपी बढ़ेगा, एक्सपोर्ट बढ़ेंगे लेकिन ऐसा हुई नहीं. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार ने क्षतिपूर्ति के लिए सेस लगाया है और पहले दो माही किस्तों में ये राज्यों को क्षतिपूर्ति की राशि और बकाया राशि मिलती थी. लेकिन मोदी सरकार ने इस वित्तीय वर्ष का सभी राज्यों के कंपंसेशन का पैसा भी रोक लिया है। अकेले छत्तीसगढ़ का बकाया 2828 करोड़ रुपयों का है।
स्वास्थ्य पंचायत और वाणिज्य कर मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था करोना के आने के पहले ही चरमरा चुकी थी जीडीपी 8% से गिरकर 4% तक आ चुका था और जीडीपी के और गिरने का अनुमान करोना के आने के पहले ही लगाया जा चुका था। स्वास्थ्य पंचायत और वाणिज्य कर मंत्री टी एस सिंह देव ने कहा है कि निर्मला सरकार सब कुछ को ‘एक्ट ऑफ़ गॉड’ यानी दैवीय प्रकोप कहकर बच नहीं सकतीं। संघीय ढांचे में केंद्र सरकार की अपनी जिम्मेदारी है और वह इससे नहीं बच सकती। उन्होंने कहा है कि ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार राज्यों को कमज़ोर करके केंद्र सरकार को सर्वशक्तिमान बनाना चाहती है लेकिन यह संविधान की संघीय ढांचे की परिकल्पना के विपरीत है। यह लोकतांत्रिक नहीं बल्कि तानाशाही नज़रिया है।