छत्तीसगढ

Health News : गर्मियों में पित्तशामक आहार और दिनचर्या का करें पालन

रायपुर, 26 मार्च। Health News : हमारी सेहत पर खान-पान और मौसम का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शरीर को त्रिदोषात्मक यानि वात, पित्त और कफ दोष माना गया है जिनके सामान्य अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है तथा इनमें बदलाव होने से बीमारी होती है।

गर्मियों में लू लगने के साथ ही दूषित जल या भोजन से पेट से संबंधित अनेक रोग जैसे उल्टी, दस्त, डायरिया, पीलिया और टायफाइड होने की संभावना रहती है। इसलिए बाजार और खुले में बिकने वाले पेय एवं खाद्य पदार्थों के सेवन में परहेज करना चाहिए।

खुले में बिकने वाले पेय व खाद्य पदार्थों से करें परहेज, सुबह-शाम ठंडे पानी से नहाएं

शासकीय आयुर्वेद कॉलेज, रायपुर के सह-प्राध्यापक डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद पद्धति में कुल छह ऋतु हेमंत, शिशिर, वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद माने गए हैं। इस पद्धति में सभी ऋतुओं में शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम रखने के लिए खान-पान, पहनावा, दिनचर्या और औषधियों की व्यवस्था सुनिश्चित है। आयुर्वेद पद्धति में बताए गए खान-पान, दिनचर्या और सावधानियों को अपनाकर हर मौसम में सेहतमंद रहा जा सकता है।

गर्मियों के मौसम (Health News) में गरम, खटाई, तीखा, नमकीन, तला-भुना, तेज मिर्च-मसालेदार, उड़द दाल, मैदा और बेसन से बने खाद्य पदार्थों, फास्ट-फूड, मांसाहार और शराब का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए इनका परहेज करना चाहिए। इस मौसम में शारीरिक स्वच्छता आवश्यक है, इसलिए सुबह और शाम ठंडे पानी से स्नान करना चाहिए।

मिनरल्स की मात्रा को रखे संतुलित

डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में शरीर में पित्त दोष की अधिकता रहती है इसलिए व्यक्ति को पित्तशामक आहार और दिनचर्या का पालन करना चाहिए। चूंकि गर्मियों में सूर्य की तपिश बहुत ज्यादा होती है, फलस्वरूप लोगों में डिहाइड्रेशन, थकान, घबराहट और बेहोशी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। शरीर में पानी एवं अन्य इलेक्ट्रोलाइट्स मिनरल्स की मात्रा संतुलित रखने के लिए आयुर्वेद में हल्का, सुपाच्य, मधुर रस वाले स्वच्छ ठंडा या उबाले हुए तरल पेय पदार्थों के सेवन करने का निर्देश है। गर्मियों में पीसा जीरा और नमक मिलाकर मठा यानि छाछ, दही की लस्सी, दूध, कच्चे आम का जलजीरा, नींबू की शिकंजी या शरबत, घर में बनी ठंडाई, गन्ने का रस, बेल का शरबत, नारियल पानी, मौसमी एवं ताजे फलों का रस इत्यादि पीना चाहिए।

भोजन में शामिल करें

गर्मियों के समय भोजन में पुराने जौ, पुराने चांवल, खिचड़ी, मूंग की दाल, गेहूं की रोटी, सत्तू, रायता, सब्जियों में चौलाई, करेला, बथुआ, मुनगा, परवल, भिंडी, तरोई, पुदीना, टमाटर, खीरा, ककड़ी, अदरक, प्याज, आंवला का मुरब्बा इत्यादि को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा तरबूज, खरबूज, मौसंबी, संतरा, अनार, शहतूत, आंवला इत्यादि का प्रयोग हितकारी है।

सूर्योदय से पहले हल्का व्यायाम जरूरी

डॉ. शुक्ला ने बताया कि गर्मियों के मौसम में सूर्योदय से पहले पैदल चलना, हल्का व्यायाम, योगाभ्यास और तैराकी इत्यादि करना चाहिए। चूंकि इस मौसम में लू (तेज बुखार) लगने की ज्यादा संभावना रहती है, इसलिए यथासंभव ठंडी जगह पर रहना चाहिए तथा धूप में निकलने के पहले संतुलित और सुपाच्य भोजन तथा पर्याप्त पानी का सेवन जरूर करना चाहिए।

गर्म लू से बचाव (Health News) के लिए शरीर, सिर, कान आदि को सूती कपड़े से ढांक लें। सूर्य की तेज किरणों के कारण चेहरे और शरीर में सन-बर्न होने तथा त्वचा से संबंधित अन्य रोग होने का खतरा होता है। इसके बचाव के लिए शरीर में आयुर्वेदिक क्रीम या लोशन का प्रयोग करना चाहिए। इस मौसम में धूप में व्यायाम नहीं करना चाहिए।

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