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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए नामांकन शुरू…एनडीए में सीट बंटवारे का मुद्दा अधर में… महागठबंधन में तीनों दलों के बीच मतभेद

पटना, 2 अक्टूबर। महागठबंधन और एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर दोनों तरफ से खामोश सवाल हैं। समाधान नहीं मिल सकता है और कोई भी जवाब भी नहीं देना चाहता है। एनडीए में, चिराग पासवान की मांग को स्वीकार न मिलने के कारण पेंच फंसा है, जबकि महागठबंधन में, यह तीन दलों की स्वीकृति न होने के कारण है। समझें कि कैसे और कहाँ सीट बंटवारे में बाधा है।

पहला पेंच- कांग्रेस को 60 से ज्यादा सीटें देने के लिए राजद तैयार नहीं

बिहार में कांग्रेस ने 2015 के चुनाव में एक तरह से अपनी खोई हुई साख वापिस लाने की तरफ कदम बढ़ा दिया था। कांग्रेस ने 27 सीटें झटक कर बिहार में शानदार वापसी की थी। जाहिर है कि अगले चुनाव यानि इस चुनाव में कांग्रेस की उम्मीद और ज्यादा है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने RJD के सामने करीब 70 सीटों पर दावा ठोका है, लेकिन RJD कांग्रेस को 60 से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया गुरुवार को शुरू हो गई। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने कथित तौर पर बेटे और पार्टी को स्पष्ट संदेश दिया है। तेजस्वी यादव को लालू ने कांग्रेस को 60 या 61 सीटों से ज्यादा का ऑफर देने ने साफ मना कर दिया है।

दूसरा पेंच- लेफ्ट नाराज…30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान

बिहार में वामपंथी पार्टियां एक ऐसी पार्टी हैं जिनका अपना कैडर है। ये कैडर चाहे किसी भी जाति का हो लेकिन उसके वोट वामपंथी पार्टियों को ही मिलते हैं। इस चुनाव में लेफ्ट को RJD ने 15 सीटें ऑफर कीं लेकिन CPI (ML) ने इस ऑफर को ठुकरा दिया और कांग्रेस से भी एक कदम आगे बढ़कर पहले चरण की 30 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान भी कर दिया है। CPI (ML) के बिहार कार्यालय सचिव कुमार परवेज के मुताबिक ‘RJD हमें जितनr सीटों की पेशकश कर रहा है, हम उसे मंजूर करने के लिए तैयार नहीं हैं। हमने अपनी मांग को आगे रखा है और अब RJD को आखिरी फैसला लेना है। लेकिन इसी बीच हमने 30 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी की है।’

तीसरा पेंच- RJD का रुख…अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ना

कांग्रेस के साथ सीटों के तालमेल पर एक RJD नेता नाम न बताने की शर्त पर कहते हैं कि ‘चुनाव परिणाम आने के बाद, कांग्रेस आसानी से दूसरे खेमे यानि नीतीश कुमार की JDU की तरफ जा सकती है अगर विधानसभी त्रिशंकु बनी तो। इसीलिए लालू यादव चाहते हैं कि RJD अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़े।’ वहीं RJD के मुताबिक उपेंद्र कुशवाहा को जाने दिया गया क्योंकि महागठबंधन के लिए उनकी निष्ठा डगमगाती दिख रही थी थी।

समझौते की गुंजाइश अभी बाकी?

हालांकि कांग्रेस अभी भी चाहती है कि समझौता हो जाए, लेकिन उसे परेशानी RJD के ‘अड़ियल रुख’ से है। लेकिन एक तथ्य ये भी है कि 2019 के लोकसभा चुनाव भी RJD और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर आखिरी वक्त में ऐसी ही तनातनी हुई थी। आखिरी वक्त में किसी तरह मामला सेटल हुआ। लेकिन इस देरी का खामियाजा दोनों ही दलों को भुगतना पड़ा। अब सवाल यही है कि क्या इस बार भी फैसला बिल्कुल आखिरी वक्त में ही होगा। बड़ी बात ये कि राष्ट्रीय राजनीति में RJD को कांग्रेस की तो राज्य के लिहाज से कांग्रेस को RJD की जरुरत है और इसमें कोई शक नहीं।

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