छत्तीसगढ

मोटराइज्ड ट्राइसिकल योजना से गोविंद का हर सफर हुआ आसान

रायपुर, 4 नवम्बर। दोनों पैरों से निःशक्त युवक गोविंदलाल साहू अब जीवन की नई दिशा की ओर चल पड़ा है। अभी तक उसे घर से बाहर की दुनिया को देखने कही आने-जाने के लिए बार-बार सोचना पड़ता था और अपनी सहायता के लिये दूसरों पर आस लगाकर रखनी पड़ती थी। गोविंद कभी-कभी लाचार और बेबस महसूस करता था। उसे भी बाहर घूमने-फिरने की इच्छा तो होती थी, लेकिन समय पर उसकी इच्छा पूरी हो पाये ऐसा संभव नहीं हो पाता था। जब कोई साथ दे देता या अपने साथ बाहर लेकर जाता तभी वह घूम फिर पाता था। एक दिन गोविंद को शासन द्वारा दिव्यांगों को मोटराइज्ड ट्रायसिकल दिये जाने की योजना की जानकारी लगी,उसने समाज कल्याण विभाग के माध्यम से आवेदन दिया। आवेदन की जांच के बाद गोविंद को मोटराइज्ड ट्रायसिकल मिल गई हैं। और इसने गोविंद की मानों दुनिया ही बदल दी हैं।

रायपुर जिले के रामकुंड इलाके का निवासी गोविंद लाल साहू ने बताया कि वह बचपन से ही दोनों पैर से निःशक्त है। उसकी इच्छा होती थी कि वह भी सामान्य इंसानों की तरह बाहर घूमने फिरने जाये। लेकिन निःशक्तता की वजह से कही भी नही जा सकता था और अपनी गरीबी की वजह से मोटराइज्ड ट्रायसिकल नहीं ले सकता था। उसने बताया कि कुछ समय तक वह हाथ से चलाने वाला ट्रायसिकल में चलता था, लेकिन इससे केवल कुछ दूर ही चल पाता था, क्योकि इसे चलाने पर हाथों में दर्द होता था। उसने बताया कि मोटराइज्ड ट्रायसिकल को बस बैटरी चार्ज करना पड़ता है। फिर बटन दबाते ही 10 से 20 किलोमीटर तक का सफर आसानी से किया जा सकता है। अब वह शहर से गांव तक की दूरी तय कर सकता है।

गोविंद ने बताया कि कुछ माह पहले ही उसने विवाह किया है। घर से कुछ दूर एक दुकान में मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता है,जिससे उसको कुछ आमदनी हो जाती है। गोविंद ने शासन द्वारा दिव्यांगों को निःशुल्क में प्रदान किये जा रहे मोटराइज्ड ट्रायसिकल की सराहना करते हुये कहा कि शासन ने उसकी जिंदगी के कठिन सफर को बहुत आसान बना दिया है। गोविंद को हाल ही में राज्यस्तरीय ई-मेगा कैम्प में कलेक्टर डाॅ एस भारतीदासन और जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामकुमार तिवारी के हाथों समाज कल्याण के माध्यम से ट्रायसिकल निःशुल्क दिया गया।

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