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Lakhimpur Kheri violence: सुप्रीम कोर्ट में आज फिर होगी सुनवाई, जानें पिछली कार्यवाही में क्या हुआ?

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट आज लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई आगे बढ़ाएगा। इस महीने की शुरुआत में हुई हिंसक घटना में चार किसानों और एक पत्रकार सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी। अदालत ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया है और पिछली सुनवाइयों में जांच में असंतोषजनक एक्शन के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई भी की। बता दें कि इस मामल में केंद्रीय मंत्री का बेटा भी मुख्य आरोपियों में शामिल है।

पिछले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई करते हुए जांच की धीमी रफ्तार और मंशा पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को अभियुक्तों की गिरफ्तारी, अभियुक्तों की पुलिस और न्यायिक हिरासत की स्थिति तथा गवाहों व पीड़ितों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पर सवालों में घेरते हुए कहा, ‘हमें लगता है कि आप देरी करने के लिए धीमी गति अख्तियार किए हैं। कृपया इस धारणा को दूर करें।’

वहीं, पिछली बार यूपी सरकार की ओर से पेश वकील से वार्तालाप करते हुए इस हिंसा के संबंध में दो मामले गिनाए थे। एक किसानों को गाड़ी से रौंदने का है और दूसरा तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या का है जिसमें जांच थोड़ी मुश्किल है क्योंकि भीड़ से अभियुक्तों की शिनाख्त करानी है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दोनों मामलों को अलग कर देंगे। यहां सिर्फ किसानों को गाड़ी से रौंदने पर सुनवाई हो रही है।

पिछले सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट को लेकर नाराजगी भी जताई। अदालत ने कहा, ‘राज्य सरकार द्वारा अंतिम क्षणों में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की गई।’ इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 26 अक्टूबर तक टाल दी थी और कहा था अब एक दिन पहले रिपोर्ट देना।

उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दी तो कोर्ट ने कहा कि आपने कुल 44 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं उसमें से सिर्फ चार के बयान ही मजिस्ट्रेट के समक्ष हुए हैं और के बयान भी 164 में दर्ज होने चाहिए। सरकार ने कोर्ट से इसके लिए समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से गवाहों को समुचित सुरक्षा देने को भी कहा।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया गांव में हुई घटना में आरोपी माने जाने के छह दिन बाद पुलिस ने गिरफ्तार किया। आरोप लगाया गया कि आरोपी की राजनीतिक संरक्षण को देखते हुए पुलिस ने कार्रवाई में देरी की।

बता दें कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में गत तीन अक्टूबर को कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे लोगों को गाड़ी से कुचलने की घटना हुई थी जिसके बाद वहां मौजूद उग्र प्रदर्शकारियों ने गाड़ी के ड्राइवर सहित तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। इस घटना में एक पत्रकार की भी मौत हुई थी। कुल आठ लोग मारे गए थे। सुप्रीम कोर्ट के वकील शिव कुमार त्रिपाठी ने इस मामले में प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर घटना पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया था।

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