छत्तीसगढ

Mahila Aayog अब और हुआ पॉवरफुल…जाने कैसे?

आयोग को प्राप्त हुआ सिविल न्यायालय के समकक्ष अधिकार

रायपुर, 16 अगस्त। राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा प्रायोजित वेबिनार श्रृंखला में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग ने सोमवार को पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में वेबिनार का आयोजन किया। विषय रहा ‘पुलिस थाना, न्यायालय एवं महिला आयोग में कब और कैसे कार्यवाही किया जाये’।

इस विषय पर आयोजित वेबिनार में छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने सम्पूर्ण विषय को समेकित करते हुये जानकारी दी। इस दौरान हमीदा सिद्दीकी, उच्च न्यायालय अधिवक्ता, वर्षा मिश्रा डीएसपी, अभय कुमार देवांगन, उपसंचालक महिला एंव बाल विकास भी मुख्य वक्ता के रूप में शामिल रहे।

महिला आयोग की इस वेबिनार श्रृंखला की खासियत यह है कि सभी भाग लेने वाले सदस्यों को पूरी श्रृंखला सुनने के पश्चात् उनके प्रश्न मंगाये जाते है और प्रश्नों के उत्तर वक्तागण और अध्यक्ष द्वारा दिये जाते है। जिसमें पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के सभी छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

महिला आयोग के आदेशों को हाईकोर्ट में ही चुनौती : डॉ. किरणमयी नायक, President

आयोग की अध्यक्ष डॉ. नायक ने सम्पूर्ण विषय को समेकित करते हुये जानकारी दिया। महिला आयोग में एक साल में 62 जनसुनवाई हुई है। इन सुनवाई में दोनों पक्षों को सुना जाता है, समझाइश दिया जाता है। एक साल में आयोग में 1,401 प्रकरणों की सुनवाई हो चुकी है जिसमें से 410 प्रकरणों में सुनवाई कर उन्हें नस्तीबद्ध किया जा चुका है।

महिला आयोग में केवल महिलाओं का आवेदन ही लिया जाता है। पूरी सुनवाई नि:शुल्क होती है, किसी भी महिला को कोई खर्च वहन नहीं करना पड़ता। महिला आयोग के आदेशों को चुनौती केवल उच्च न्यायालय में ही दिया जा सकता है। किसी भी सरकारी दफ्तर, कोई भी संस्थान जहां पर 10 या 10 से अधिक सदस्य काम करते हैं वहां पर आंतरिक परिवाद समिति का गठन किया जाना आवश्यक है। इसमें 50 महिला सदस्य का होना आवश्यक है।

निर्भया कांड के बाद व्यापक संशोधन: हमीदा सिद्दीकी, Advocate

महिलाओं को अपनी संपत्ति पर अधिकार तो है ही उनका अपने शरीर पर भी अधिकार है। महिलाएं काम करने जाती है, बहुत पुरूष इस बात को स्वीकार नहीं कर पाते है। उनको हर तरह से रोकने का प्रयास करते है। उनके काम में बाधा उत्पन्न करते है। उन्हें आगे बढऩे से रोका जाता है। बलात्कार के मामलों में निर्भया केस के बाद इस पर व्यापक संशोधन हुआ जिसमें बहुत से प्रावधान जोड़े गये। इससे महिलाओं को बहुत फायदा हुआ है।

महिलाएं अपने अधिकारों को समझें यदि उसके विरूद्ध कुछ अपराध होता है तो वह तुरंत रिपोर्ट करें। (ससुराल में हो या काम करने के स्थान पर) धारा 498 के केस में आपको दहेज के सामान की लिस्ट और किसने आपके साथ क्या किया है, उसकी विस्तृत जानकारी देनी होगी। जिसके आधार पर आपकी शिकायत दर्ज होगी। यदि आप शिकायत दर्ज कराती है तो उसके साथ शिकायत से संबंधित सम्पूर्ण दस्तावेज, गवाहों को अपने साथ रखें और चालान की कॉपी आवश्यक रूप से रखें। राज्य में महिला उत्पीडऩ से संबंधित शिकायत हेल्पलाइन नंबर 1091, 112, 181 इनका इस्तेमाल अधिक से अधिक किया जाना चाहिये।

महिलाओं के साथ 4 तरह का होता है शोषण : वर्षा मिश्रा, DSP

महिलाओं के साथ 4 प्रकार के शोषण होते है, जिसमें शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, लैंगिक। इनमें 10 लैंगिक केस होते है और 90 केस हिस्ट्री वाले होते है जो पहले से चले आ रहे होते है। अगर आपके साथ ऐसा कुछ होता है तो उसका पुन: अवलोकन करें और उसे एक आवेदन के रूप में लिखकर दे। कई बार ऐसा होता है कि महिला मौखिक में सभी बातें बता नहीं पाती है, इसलिए सभी तथ्यों की विस्तृत जानकारी आवेदन के रूप में दे सकती है। क्योंकि जो आवेदन होता है वहीं एफआईआर के रूप में दर्ज होता है।

अक्सर यह होता है कि महिला इस बात से घबराती है कि उसके नाम का उल्लेख होगा। महिला अपराधों में गोपनीयता बरती जाती है। उसके नाम का कहीं पर उल्लेख नहीं होता है। वर्तमान में ऑनलाईन आवेदन भी किया जा सकता है अपने एफआईआर को पुन: पढ़ सकते है। यदि कोई बात छूटी हो तो उसे पुन: लिखवाने के बाद संतुष्ट होकर हस्ताक्षर करें। पूरी बातें खुलकर विवेचक को बताये। थाना प्रभारी के संपर्क में रहें। आवेदन करने में जो भी विलम्ब का कारण है उसे अवश्य बताये। अपने केस को मजबूत बनाने की कोशिश करें। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण नि:शुल्क सेवा प्रदान करता है। इसमें कुछ भी समस्या आती है तो वरिष्ठ अधिकारियों से सलाह ले सकती है।

जानिए महिला आयोग कितना प्रभावशाली रहा

  • महिला आयोग एक ऐसी संस्था है जो पूरी तरह से नि:शुल्क कार्य करती है। यहां पर एक आवेदन मात्र देना पड़ता है।
  • सिविल न्यायालय के समकक्ष अधिकार महिला आयोग को प्राप्त है।
  • अब किसी भी व्यक्ति को न्यायालय जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • महिला आयोग बहुत अधिक प्रभावशाली है।
  • महिलाओं से संबंधित हर तरह के आवेदन कर सकते हैं।
  • दहेज प्रताडऩा, घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर प्रताडऩा से संबंधित एवं अन्य शोषण से संबंधित मामलों पर आवेदन कर सकते है।
  • महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के लिये हर तरह के मामलों पर न्याय दिलाने का प्रयत्न किया जाता है।
  • महिला आयोग में परिवार परामर्श से सलाह भी लिया जा सकता है।

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