छत्तीसगढराज्य

Monsoon Session : नेता प्रतिपक्ष का कटाक्ष, बोले- कांग्रेस सरकार आने के बाद से सत्रों में कटौती

रायपुर, 16 जून। Monsoon Session : विधानसभा मानसून सत्र को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार विधानसभा सत्रों पर कटौती कर रही है। 

सत्र की अवधि बढ़ाने की उठाएंगे मांग

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने आज पत्रकारों से चर्चा (Monsoon Session) करते हुए कहा कि आगामी मानसूत्र सत्र के समयावधि दस दिनों से अधिका होनी चाहिए ताकि राज्य के जनहित के मुद्दों पर व्यापक चर्चा हो सके।

जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आयी है तब से सदन के समय को सीमित कर दिया गया है, जिससे कई आवश्यक मुद्दों पर चर्चा ही नहीं हो पाती है। सत्र की अवधि अधिक होने से सभी विषयों पर चर्चा करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है। विपक्ष के विधायक आगामी सत्र में खाद की कमी, प्रदेश में लगातार बढ़ रहे अपराध, किसानों का मुद्दा, सहित कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करना चाहते हैं, लेकिन सार्थक चर्चा से प्रदेश की कांग्रेस सरकार हमेशा बचना चाहती हैै।

उन्होंने कहा कि हमेशा सत्र की समय अवधि कम होने से कई जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाती है इसके लिए कांग्रेस की सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से आगामी मानसून सत्र की अविध 10 दिनों से अधिक करने की मांग की है।

सोसाइटी में खाद्य उपलब्ध नहीं

राज्य में खाद्य की कमी को लेकर कौशिक ने कहा कि प्रदेश में किसानों को खाद्य की आवश्यकता है। इसे लेकर कांग्रेस की सरकार राजनीति कर रही है। सरकारी सोसायटियों में खाद की आपूर्ति नहीं होने से किसान परेशान हैं और बाजार से अधिक दाम पर खाद खरीदने को विवश है। प्रदेश के सोसायटियों में खाद की कमी है लेकिन बाजार में खाद अधिक दाम उपलब्ध है। प्रदेश में खाद की लगातार कालाबाजारी हो रही है और इन लोगों को प्रदेश सरकार का प्रोत्साहन मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि गर्मी के दिनों में भी किसानों को रबी की फसल (Monsoon Session) के लिए खाद की उपलब्धता नहीं होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। प्रदेश में खाद की कालाबाजारी लगातार हो रही है लेकिन प्रदेश सरकार इस पर नियंत्रण लगा पाने में नाकाम है। उन्होंने कहा कि भाजपा के 15 साल के शासनकाल में कभी भी खाद की कमी नहीं हुई। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद खाद किसानों को समय पर खाद की उपलब्धता नहीं हो पा रही है।

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