
रायपुर, 20 अप्रैल। National Tribal Literature Fest : राजधानी रायपुर पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जनजाति साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों ने शोध पत्र का वाचन किया।

इसे भी पढ़ें- National Tribal Literature Fest : परिचर्चा में प्रख्यात साहित्यकारों ने की शिरकत
आज तृतीय व चतुर्थ सत्र में (National Tribal Literature Fest) ’’जनजातीय साहित्य में लिंग संबंधी मुद्दे, सांस्कृतिक संघर्ष, चुनौतियां एवं संभावनाएं’’ विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। शोधार्थियों ने जनजातीय समुदायों में महिलाओं की स्थिति, संस्कृति एवं परंपराओं की संरक्षण, साहित्य प्रकाशन में संघर्ष और चुनौतियों जैसे मुद्दों पर लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
केंद्रीय विद्यालय रायपुर शिक्षक एवं शोधार्थी डॉ ध्रुव तिवारी ने कहा कि आदिवासियों का उत्पाद आज केवल सजावटी वस्तुएं बन गई है। इन उत्पादों में आदिवासियों की समृद्ध संस्कृति व प्रकृति प्रेम की भावनाएं छुपी हुई है। उनकी संस्कृति और परंपरा आदिवासियों की पहचान है। संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित कर विकास की योजनाएं बनाने की आवश्यकता है।
उड़ीसा के बीजू पटनायक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सरत कुमार जेना ने उड़ीसा की बांदा जनजाति में महिलाओं की परंपरा और संस्कृति विशेषकर आभूषण व परिधान पर अपना शोध प्रस्तुत किया। इसी प्रकार दिल्ली यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर ज्योत्सना बारूह, साईं नाथ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर रीना कुमारी, झारखंड के शोधार्थी श्री बिना पटनायक सहित विभिन्न राज्यों के 25 से अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
सत्र के दौरान (National Tribal Literature Fest) आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की संचालक सह आयुक्त शम्मी आबिदी सहित विभाग के अधिकारी भी उपस्थित थे।