छत्तीसगढ

“Op चौधरी ने हमें छला है” इस शिकायत के साथ आज आदिवासी समाज मिला राज्यपाल से

रायपुर। दंतेवाड़ा के दर्जन भर आदिवासियों ने आज राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से मिलकर भाजपा नेता ओ.पी. चौधरी के खिलाफ लिखित में शिकायत की। शिकायतकर्ताओं ने राज्यपाल से कहा कि ओ.पी. चौधरी जब दंतेवाड़ा कलेक्टर थे जवांगा में भूमि अधिग्रहण के नाम पर  हमारे साथ छल किया। हमारे परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा है।

आदिवासियों ने अपनी लिखित शिकायत के माध्यम से राज्यपाल अवगत कराया कि हम ग्राम बड़े-पनेड़ा तहसील गीदम जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा के आदिवासी हैं। हम आदिवासियों के साथ धोखाधड़ी करते हुए वन अधिकार के तहत दिए गए वन भूमि के पट्टे को षड्यंत्रपूर्वक निरस्त कर भूमि का उपयोग एजुकेशन सिटी जावांगा के निर्माण में कर लिया गया। हम लोग पिछले 5 सालों से कृषि कार्य से वंचित हैं। जिस वन भूमि पर काबिज होकर पिछले कई वर्षों से कृषि कार्य कर रहे थे उसी भूमि का वन अधिकार के तहत तत्कालीन कलेक्टर श्रीमती रीना कंगाले द्वारा कुल 17 आदिवासियों को वन भूमि पट्टे दिए गए। वर्ष 2011 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा एजुकेशन सिटी जावांगा के निर्माण के लिए हम लोगों को भूमि खाली करने को कहा गया। हमें कहा गया कि नौकरी दी जाएगी तथा तुम लोगों के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जाएगा। इस भूमि के बदले दूसरी भूमि के पट्टे दिए जाएंगे लेकिन हम लोगों ने भूमि देने से इनकार कर दिया था। इस पर तत्कालीन कलेक्टर ओ. पी. चौधरी ने थानेदार को बोलकर हम लोगों को पूरे दिन थाने में बिठवा दिया। हमें नक्सलियों का सहयोगी ठहरा दिया गया। यह कहकर धमकाया गया कि एजुकेशन सेंटर बना रहे हैं विरोध मत करो नहीं तो जेल भेज देंगे। हम डर के मारे चुप हो गए। हम आदिवासियों को दी गई वन पट्टे की भूमि का उपयोग किसी अन्य कार्यों में वैधानिक रूप से कोई भी नहीं कर सकता। क्योंकि दिए गए पट्टों में स्पष्ट उल्लेख है कि इसे अंतरण नहीं किया जा सकता। इसलिए झूठी कहानी रची गई। एक षड्यंत्र रचा गया कि वन भूमि के पट्टे को निरस्त कराकर एजुकेशन सेंटर के लिए उपयोग किया जा सके। ग्राम बड़े पनेड़ा के पटवारी चंद्रसेन नागवंशी को छत्तीसगढ़ शासन की ओर से प्रार्थी बनाकर उससे आवेदन बनवाया गया कि ग्राम बड़े पनेड़ा की वर्तमान भूमि खसरा नं.105, 109, 110,141, 142 क्रमश रकबा 1.87हे., 1.14हे., 7.84हे., 3.05हे., 4.95हे. ग्राम बड़े पनेड़ा के लिये संहिता के प्रावधानुसार संधारि निस्तार पत्र के मद (क) इमारती लकड़ी अथवा ईंधन हेतु सुरक्षित तथा मद (ख) चरोखर घास बीड़ तथा चारे के लिये सुरक्षित तथा संहिता की धारा 237 के तहत संरक्षित रही है। उक्त खसरे की भूमि में से 0.05 हे. भूमि लक्ष्मण पिता-सुक्को जाति-माड़िया, 0.05 हे. बुधु पिता भदरू माड़िया, 0.05हे. बेला पिता-हल्कु जाति-माड़िया, 0.05 हे. गोदरू पिता-भदरू जाति-माड़िया को छोटे झाड़ के जंगल में से 0.05हे. भूमि धुरवा पिता-पांडू माड़िया खसरा नं. 110 रकबा 7.48 हे. बड़े झाड़ के जंगल मद में से 1.00 हे. सुदरू पिता-बुधरू माड़िया 0.05 हे. आयतू पिता-कोला माड़िया 0.05 हे. सोमारू पिता-मिठू 0.05हे. दिवाड़ पिता-पंडरू माड़िया 1.00हे. बुधराम पिता-चुले माड़िया 1.00हे. लिंगा पिता-गुडी माड़िया सभी ग्राम बड़े पनेड़ा को प्रदाय किये गये जो वन अधिकार पत्र निरस्त किये जाने का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इस प्रतिवेदन के आधार पर न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी दंतेवाड़ा द्वारा धारा-32 एवं सह पठित धारा 233,234,235,236 छ.ग. भू राजस्व संहिता 1959 क्रं. 20 सन 1959 के तहत राजस्व प्रकरण क्रमांक 56/अ-6(अ) 2010-11 दर्ज कर कार्यवाही शुरू की गई जिसमें प्रार्थी/आवेदक/पटवारी बड़े पनेड़ा को छत्तीसगढ़ शासन की ओर से बनाया गया। जिन लोगों को वन अधिकार के तहत वन भूमि के पट्टे दिये गये थे उन्हें अनावेदकगण बनाया गया। किसी भी अनावेदक को न तो बुलाया गया न ही कोई सूचना दी गई। सूचना के अधिकार के तहत जो जानकारी प्राप्त हुई उससे हमें ज्ञात हुआ कि हम लोगों के साथ छल कपट तथा षड़यंत्र किया गया। नियमानुसार कार्यवाही नहीं करते हुये चुपके-चुपके हमारी वन भूमि के पट्टे निरस्त कर दिये गये। हमारी जमीन एजुकेशन सीटी जावंगा के निर्माण में ले ली गई। ग्राम पंचायत बड़े पनेड़ा के प्रस्ताव की कॉपी जो प्रकरण में लगाई गई वह भी फर्जी है। ग्राम के किसी भी पंच को यह मालूम नहीं है कि यह बैठक कब हुई तथा प्रस्ताव कब लिया गया। अनुवाभिगीय अधिकारी द्वारा ग्राम पंचायत बड़े पनेड़ा के सचिव को बुलाकर प्रस्ताव लिखवा लिया गया। कलेक्टर ओ.पी. चौधरी ने पट्टे को निरस्त कर भूमि का उपयोग एजुकेशन सीटी में करने के पश्चात हम लोगों को बुलवाया और दूसरे पट्टे दिये। इन पट्टों की भूमि हमें आज तक प्राप्त नहीं हुई है। मात्र कागज का एक टुकड़ा हमारे पास में है। अगर निरस्त की गई भूमि पूर्व से ही निस्तार भूमि थी तो हमें पटटे कैसे दिये गये। उस भूमि का उपयोग एजुकेशन सीटी जावंगा के निर्माण में किस नियम के तहत लिया गया। यदि भूमि निस्तारी हो गई तो फिर इस भूमि में से बुधराम, बेदर, दिवाड, फगनू, बृज बिहारी तथा आयतू को खसरा क्रं. 109,110 तथा 142 में से फिर पटटे कैसे दिये गये। ग्राम के निस्तार मद को अन्य मद में बदलकर उपयोग या उपभोग, क्या इस मामले में मामले में सर्वोच्च न्यायालय की आवमानना नहीं हुई।

प्रभावित आदिवासियों ने शिकायत में आगे कहा कि एजुकेशन सीटी जावंगा के निर्माण में जो संस्था है वह तीन गांव के मध्य में बनी है। यह गांव जावंगा, बड़ै पनेड़ा, गीदम हैं। क्षेत्रफल की दृष्टि से बड़े पनेड़ा की जमीन अधिक है। बड़े पनेड़ा की 52 एकड़, जावंगा की 22 एकड़ एवं गीदम की 14 एकड़ जमीन सम्मिलित हैं। राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एजुकेशन सीटी जावंगा का नाम होने की बात कही जाती है। हम ग्रामीणों को गुमराह कर प्रशासन जावंगा का नाम हर संस्था में लिखवाया गया। इससे ग्रामीण हताशा महसूस कर रहे हैं। बड़े पनेड़ा के क्षेत्र में बने संस्था/भवन इस प्रकार हैं-  कन्या परिसर, पॉलीटेकनिक छात्रावास, कन्या छात्रावास, शासकीय कन्या शाला एवं छात्रावास, बालक छात्रावास बालिका छात्रावास डी.ए.व्ही. पब्लिक स्कूल, दिव्यांग छात्रावास, एकलव्य कन्या छात्रावास, उप सबरअेशन 11, बी.पी.ओं सेंटर। इन सभी में जावंगा का नाम उल्लेखित है, यह सब संस्थाएं बड़े पनेड़ा क्षेत्र में निर्मित हैं इसके बावजूद बड़े पनेड़ा का नाम कहीं पर भी उल्लेखित नहीं हैं। जिस क्षेत्र में जो संस्थाएं बनी हैं उन संस्थाओं में बड़े पनेड़ार का नाम उल्लेखित किया जाये। हमें हमारी भूमि से बेदखल होने के पश्चात हमें अपनी आजीविका चलाने हेतु काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उक्त भूमि पर वनोपज एवं कृषि से हमारा गुजारा चलता था। हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गयी है।

शिकायतकर्ताओं ने राज्यपाल से निवेदन किया कि  हमारी समस्याओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुये हम आदिवासियों के साथ षडयंत्रपूर्वक धोखाधड़ी से अधिग्रहित भूमि के एवज में पूर्व में दिए गए आश्वासन के तहत प्रत्येक परिवार से योग्यतानुसार शासकीय नौकरी दिलाने व परिवार के बच्चों को एजुकेशन सिटी के प्रत्येक संस्था में भर्ती प्राथमिकता दिलाने व एजुकेशन सिटी में हमारे ग्राम का नाम उल्लेख किया जाए। हम गरीब आदिवासियों के साथ हुई इस धोखाधड़ी की जांच के लिए निर्देशित करें। अन्यथा हमें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात शासन तक पहुंचाने के लिए विवश होना पड़ेगा।

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